पत्रकार मोईद खान को क्या मिल सकेगा इंसाफ ?
(ज़की भारतीय)
लखनऊ (सवांददाता) वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कलानिधि नैथानी को अपने मातहतों की कार्यप्रणाली के कारण इधर निरंतर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की फटकार सुनना पड़ रही है | यही हाल रहा तो पूर्व एसएसपी दीपक कुमार की तरह वर्तमान एसएसपी कलानिधि नैथानी को भी लखनऊ से हटना पड़ सकता है | हालाँकि कलानिधि नैथानी ने कुछ गुडवर्क बेहतरीन तरीके से और जल्द ही किये है, जो सराहनीय हैं | एक मिसाल हैं कि एक मछली पूरे तालाब को गन्दा कर देती है, लेकिन देखा जाये तो पुलिस विभाग में अधिकतर मछलियां गन्दी ही हैं | ये अलग बात है कि कलानिधि नैथानी सहित कुछ अन्य पुलिस अधिकारी भी अपने कर्तव्य के प्रति पूरी निष्ठां और लगन से कार्य कर रहे है | लेकिन लखनऊ में बढ़ती हुई आपराधिक घटनाओं के प्रति एसएसपी के मातहत एसएसपी को बदनाम करने की साज़िश रचते नज़र आ रहे है | कही लूट की घटना को पुलिस चोरी की घटना दिखाने पर तुली हुई है तो कही अपराधियों से मोटी रिश्वत लेकर उनपर मेहरबान होती हुई नज़र आ रही है | अपराधियों के विरुद्ध डकैती जैसी संगीन धाराओं में दर्ज मुक़दमे के उपरांत भी अपराधी उसी थाने पर अधिकारीयों से बातचीत करते हुए नज़र आ रहे है जहाँ उनके विरुद्ध मुक़दमा पंजीकृत हैं | आज ऐसा ही मामला जानकीपुरम में बिजली कर्मी के साथ पेश आया | जानकीपुरम थाना क्षेत्र के न्यू कैम्पस के पास कुछ बदमाशों ने उसकी कनपटी पर तमंचा लगाकर उसका मोबाईल, पर्स और मोटरसाइकिल लूट ली और उसे लातघूसों से मारकर खुद फरार हो गए | लूट का शिकार बने बिजली कर्मी ने जब जानकीपुरम थाने पहुंच कर एक दरोगा से पूरी बात बताई तो दरोगा जी ने कहा कि चोरी की तहरीर देना हो तो दे दों वरना थाने से चले जाओं | हालाँकि इस मामले की इंस्पेक्टर को कोई जानकारी ही नहीं है | इस तरह के एक नहीं अनेकों मामले प्रकाश में आते रहते हैं , लेकिन इस तरह के मामले शायद एसएसपी तक नहीं पहुंच पा रहे हैं | ये तो हैं पुलिस की आम जनता के साथ कार्यप्रणाली लेकिन पुलिस की शिकार सिर्फ आम जनता ही नहीं हैं , क्योकि आजकल पत्रकार भी अपराधियों की दबंगई की ज़द पर हैं | अभी कुछ दिन पूर्व ही पत्रकार मोईद खान के कार्यालय में एक खबर को लेकर दबंगों ने जमकर गोलियां चलाई थी और मोईद के कर्मचारियों और उनकी पत्नी सहित पुत्री को भी धमकाया गया था | जिसका मोबाईल द्धारा वीडीओ भी तैयार कर लिया गया था | जिस वीडीओ में स्पष्ट रूप से अभियुक्त चिल्ला-चिल्ला कर पत्रकार मोईद खान के बारे में कर्मचारियों से पूछ रहे हैं कि कहा हैं मोईद खान | जिससे ये साबित होता हैं कि जिस समय इन अपराधियों ने कार्यालय में हमला किया उस समय पत्रकार मोईद खान अपने कार्यालय में नहीं थे | मोईद खान ने इस घटना की सूचना चौक कोतवाली को दी थी जिसके उपरांत अभियुक्तों के विरुद्ध संगीन धाराओं में मुक़दमा पंजीकृत कर लिया गया था | लेकिन 15 अक्टूबर को हुई एफआईआर के बावजूद अपराधी खुले आम घूम रहे थे, जब पत्रकार मोईद खान ने अभियुक्तों की गिरफ़्तारी के लिए कार्रवाई की मांग की तो , उनका कहना हैं कि एक चौकी इंचार्ज ने कहा था कि इस मामले में समझौता कर लो वरना तुमपर भी कई संगीन धाराओं में मुक़दमे पंजीकृत किये जा सकते हैं | बताते चले कि उसके बाद पत्रकार मोईद खान पर थाना चौक में धारा 107/116 का मुक़दमा पंजीकृत किया गया | यही नहीं पत्रकार मोईद खान के कार्यालय में हमला करने वाले इक़्तेदार की ओर से पत्रकार मोईद खान, हसीब, नोमान और वारिस के विरुद्ध एक ओर मुक़दमा धारा 323,504,506,और 452 के तहत दर्ज कर लिया गया हैं | पुलिस के इस रवैये के विरुद्ध यदि एसएसपी कलानिधि नैथानी ने कार्रवाई नहीं की तो इस प्रकरण में भी उनकी छवि पर दाग लग सकता हैं |
इस मामले पर जहाँ पत्रकार लामबंद होते हुए नज़र आ रहे हैं वही यूनाइटेड पत्रकार एसोशिएसन ने भी पत्रकार मोईद खान को न्याय दिलाने के लिए किसी भी हद तक जाने का एलान कर दिया हैं |