CAA और NRC के विरुद्ध प्रदर्शन करने वालों पर दर्ज मुकदमों को रद्द करने की याचिका पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब माँगा
लखनऊ, संवाददाता। नागरिकता संशोधन कानून और नेशनल रजिस्टर आफ सिटीजंस को लेकर पिछले साल हुए विरोध में धरना प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ दायर मुकदमों को रद्द करने की मांग की गई है। इलाहाबाद हाईकोर्ट में इसे लेकर याचिका दायर की गई है । यह याचिका एजाज अहमद और अन्य की ओर से दाखिल की गई है। इस मामले में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब भी तलब किया है । जबकि मामले की अगली सुनवाई तक याचियो के उत्पीड़न पर रोक लगा दी गई है ।
बताते चलें कि सीएए -एनआरसी के विरोध में प्रदर्शन करने वालों में याचिकाकर्ता सहित 26 नामजद और 50 अज्ञात लोगों के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा पंजीकृत किया गया था। सीएए- एनआरसी का विरोध प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ हत्या का प्रयास, मारपीट, विधि विरुद्ध जमाव और 7 क्रिमिनल लॉ अमेंडमेंट की धाराओं में मुकदमा पंजीकृत किया गया था। याचिकाकर्ता का कहना है कि वह मौके पर नहीं थे । याची व अन्य प्रदर्शनकारियों के पास से कोई आपत्तिजनक चीज भी बरामद नहीं हुई ।
यह सुनवाई जस्टिस पंकज नक़वी और जस्टिस विवेक अग्रवाल की डिवीजन बेंच में हुई ।
नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में प्रदर्शन को लगभग 1 वर्ष हो चुका हैं ।केंद्र सरकार ने 11 दिसंबर 2019 को सीएए पास किया था। हालांकि इसके बाद पूरे देश में धरने- प्रदर्शन शुरू हो गए थे ।दिल्ली के शाहीन बाग और देश के कई अन्य हिस्सों में भी धरने प्रदर्शन किए जा रहे थे। राजधानी लखनऊ के घंटाघर और प्रयागराज पार्क का आंदोलन तो करोना काल से पहले शुरू होने के बाद कोरोना के प्रोकोप में खत्म हो सका। सीएए और एनआरसी के खिलाफ एक बड़ी हिंसा भी देखी गई। काफी जगह तोड़फोड़ आगजनी हुई इस दौरान मीडिया की ओबी वैन भी जलाई गईं और मीडिया कर्मी भी ज़ख्मी हुए। यही नहीं पुलिस पर हमले हुएऔर जमकर पथराव भी किया गया। यह हिंसा लखनऊ समेत उत्तर प्रदेश के कई जिलों में फैली हालांकि इस हिंसा के पीछे यदि प्रदर्शनकारियों को दोष दिया जाएगा तो वहीं कुछ ऐसे लोगों पर भी शक की सुई जाएगी जो प्रदर्शनकारियों में शामिल होकर हिंसा भड़का रहे थे। 19 दिसंबर से 10 जनवरी तक चले हिंसा के इस दौर में 23 लोगों की जानें भी गई थी।
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