ताहिर हुसैन हाशमी
लखनऊ। हकीम-ए-उम्मत और पद्म भूषण से सम्मानित डॉ. कल्बे सादिक साहब के दृष्टिकोण को साकार करने वाली अहले बैत लाइब्रेरी आज एक महत्वपूर्ण शैक्षिक केंद्र के रूप में उभर रही है। मरहूम डॉ. कल्बे सादिक का जीवनपर्यंत सपना था कि वे अपनी कौम को जागरूक करें और बच्चों के लिए शिक्षा का एक उत्कृष्ट प्रबंध स्थापित करें, ताकि युवा लड़के-लड़कियाँ उच्च सरकारी और अर्ध-सरकारी पदों पर पहुँचकर सफलता के शिखर को छुएँ। शिक्षा पर उनका विशेष ध्यान हमेशा बना रहा, और उनकी इस सोच का एक अनमोल योगदान अहले बैत लाइब्रेरी के रूप में सामने आया है।
राजधानी लखनऊ के कश्मीरी मोहल्ला क्षेत्र में स्थित इस लाइब्रेरी के इतिहास और कार्यों को समझने के लिए मीडिया टीम ने गहन सर्वेक्षण किया और लाइब्रेरी के अधिकारियों से विस्तृत चर्चा की। लाइब्रेरियन सादिक हुसैन रिजवी ने बताया कि लाइब्रेरी का संचालन वर्ष 2004 से तौहीदुल मुस्लिमीन ट्रस्ट (टीएमटी) द्वारा किया जा रहा है। इस लाइब्रेरी में हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू, प्रतियोगी परीक्षाओं, डिग्री कोर्सेस, धार्मिक ग्रंथों और ऐतिहासिक विषयों पर आधारित लगभग 7,500 से अधिक पुस्तकें उपलब्ध हैं। दूर-दराज से आने वाले छात्र यहाँ पढ़ाई के लिए आते हैं, और लाइब्रेरी की वार्षिक सदस्यता शुल्क मात्र 150 रुपये निर्धारित है।सादिक रिजवी ने आगे कहा कि लाइब्रेरी को और बेहतर बनाने तथा छात्रों और पाठकों को अधिक सुविधाएँ प्रदान करने के लिए निरंतर प्रयास जारी हैं। पिछले कुछ वर्षों से लाइब्रेरी की जिम्मेदारी अमीर अहमद (निहाल जैदी) संभाल रहे हैं, जिनके मार्गदर्शन में लाइब्रेरी ने उल्लेखनीय प्रगति की है। सहायक लाइब्रेरियन फौजिया मिर्जा ने बताया कि वे आसपास के स्कूलों में जाकर छात्रों को लाइब्रेरी में आने और यहाँ से शिक्षा ग्रहण करने के लिए प्रेरित करती हैं।लाइब्रेरी के नियमित पाठक जैसे एजाज आगा, परवेज हुसैन, मेहदी हसन एडवोकेट और आसिफ हुसैन ने भी मीडिया टीम के साथ अपनी अनुभूतियाँ साझा की, जिसमें लाइब्रेरी की उपयोगिता और महत्व की सराहना की गई। यह लाइब्रेरी न केवल शिक्षा का केंद्र है, बल्कि समुदाय के लिए एक प्रेरणा स्रोत भी बन गई है।