लखनऊ (सवांददाता) सपा सरकार में खुद को मुख्यमंत्री समझने वाले मौहम्मद आज़म खां की भाजपा सरकार बनने के बाद से मुश्कलें बढ़ती हुई नज़र आ रही है | एक के बाद एक मामले उनकी परेशानियां बढ़ाते जा रहे है| अब मौलाना मोहम्मद अली जौहर शोध संस्थान, रामपुर को आजम खां के निजी जौहर ट्रस्ट को देने के मामले की जांच विशेष अनुसंधान दल (एसआइटी) ने शुरू कर दी है। एसआइटी ने अल्पसंख्यक कल्याण विभाग से आठ बिंदुओं की सूचना मांगी है। विभाग ने एसआइटी की मदद के लिए संयुक्त निदेशक स्तर के अफसर को भी नामित कर दिया है।
बताते चलें कि सपा सरकार के समय उन्होंने अपने विभाग का सरकारी शोध संस्थान अपने निजी ट्रस्ट में लीज पर ले लिया था। इसके लिए कई बार नियमों को भी बदला गया। यहां तक की शोध संस्थान के उद्देश्यों को भी सपा सरकार ने बदल दिया था। जेल की जमीन लेकर करीब 20 करोड़ रुपये की लागत से बने इस शोध संस्थान को आजम खां ने एक हजार रुपये प्रति वर्ष के हिसाब से 99 साल की लीज पर लिया था।
भाजपा सरकार में अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के राज्यमंत्री बलदेव सिंह औलख ने इस मामले पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से एसआइटी जांच की संस्तुति कराई और एसआइटी ने जांच शुरू करते हुए विभाग से इससे जुड़ी पत्रावलियां तलब की हैं। विभाग ने संयुक्त निदेशक राघवेन्द्र प्रताप सिंह को एसआइटी की मदद के लिए नामित किया है। उन्हें इसलिए लगाया गया क्योंकि जिस समय यह शोध संस्थान आजम खां के ट्रस्ट को दिया गया था उस समय वे रामपुर में जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी के पद पर तैनात थे।