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नेपाली प्रधानमंत्री के “भारत ने नकली अयोध्या का किया निर्माण” बयान पर विहिप और साधू संत आक्रोशित
लखनऊ ,संवाददाता | भारत जिस नेपाल की निरंन्तर प्रशंसा करने से थकता नहीं था ,जिसके लिए भारत का कहना था कोई कितनी भी कोशिश कर ले लेकिन भारत और नेपाल की दोस्ती में दरार पैदा नहीं कर सकता ,आज वही नेपाल चीन के इशारों पर अपनी औक़ात से बाहर हो चुका है | अभी लगभग एक माह पूर्व नेपाल ने कई पुलिसकर्मियों को सीमा विवाद के चलते जान से मार दिया था,वही अब उसने हिन्दुओं की धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाने वाला बयान देकर भारतीय हिन्दुओं को दुखी कर दिया है | नेपाल के प्रधानमंत्री ओली ने बयान दिया था कि भारत ने सांस्कृतिक अतिक्रमण के लिए नकली अयोध्या का निर्माण किया है जबकि असली अयोध्या नेपाल में है। ओली ने सवाल किया कि उस समय आधुनिक परिवहन के साधन और संचार नहीं थे ,तो राम जनकपुर तक कैसे आए? उनके इस बयान पर भारत में धर्मगुरुओं की तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। इस मामले पर जहाँ साधू-संतों ने नेपाल के प्रधानमन्त्री के इस बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है वहीँ आज विश्व हिंदू परिषद ने नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के अयोध्या को लेकर दिए गए विवादास्पद बयान पर तल्ख टिप्पणी की है और उनके बयान को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है।
विश्व हिंदू परिषद प्रवक्ता शरद शर्मा ने कहा कि चीन ने नेपाली प्रधानमंत्री का मानसिक संतुलन बिगाड़ दिया है | इसलिए वह भारत और नेपाल के आपसी संबंधों को नुकसान पहुंचाने के लिए चीन के इशारे पर काम कर रहे हैं। उनका यह बयान दोनों देशों के आपसी संबंधों को देखते हुए ठीक नहीं है।
उन्होंने कहा कि वेद वर्णित श्रीराम और उनकी अयोध्या जिसका उल्लेख विश्व के अनेक ग्रंथों में है। वह भारत में ही है। भारत की पवित्र धरती के कण-कण में भगवान श्रीराम का वास है और नेपाल भी भारत का अभिन्न अंग है जिसे ओली जैसे चीन भक्त नकार रहे हैं।
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