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जानिए क्यों चालू वित्त वर्ष में भारत के GDP में 9.6 प्रतिशत तक हो सकती है गिरावट
लखनऊ,संवाददाता | कोरोना वायरस की दहशत से घबराई केंद्र सरकार ने बिना कुछ सोचे समझे नोट बंदी की तरह अचानक लगाए गए लंबे लॉकडाउन का अंजाम भले ही अभी न देखा हो ,लेकिन इसका परिणाम चालू वित्त वर्ष में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 9.6 प्रतिशत की गिरावट के रूप में देख लेगी | इस मामले पर विश्वबैंक ने कहा कि भारत की आर्थिक स्थिति इससे पहले के किसी भी समय की तुलना में काफी खराब है।
विश्व बैंक ने गुरुवार को जारी किए गए अपने अर्ध-वार्षिक दक्षिण एशिया फोकस अपडेट में कहा है कि दक्षिण एशिया अपनी सबसे खराब मंदी का सामना करने के लिए तैयार रहे। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ सालाना बैठक से पहले जारी हालिया दक्षिण एशिया आर्थिक केंद्र बिंदु रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया है। रिपोर्ट में विश्वबैंक ने दक्षिण एशिया क्षेत्र में 2020 में 7.7 प्रतिशत की आर्थिक गिरावट आने की आशंका जाहिर की है। इस क्षेत्र में पिछले पांच वर्षों के दौरान सालाना छह प्रतिशत के आसपास की वृद्धि देखी गयी है।
विश्व बैंक ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी के कारण कंपनियों व लोगों को आर्थिक झटके लगे हैं। इसके साथ ही महामारी के प्रसार को थामने के लिये देश भर में लगाये गये लॉकडाउन का भी प्रतिकूल असर पड़ा है। सवाल ये है ,जब भारत में लॉकडाउन लगाया गया था उस समय कोरोना मरीज़ों की संख्या कम थी या ज़्यादा ? आज जब भारत में रिकॉर्ड तोड़ कोरोना मरीज़ होते जा रहे हैं तब लॉकडाउन हटा दिया गया और जब मरीज़ न के बराबर थे तब देश में लॉकडाउन लगाया गया था | इसी कारण भारत के GDP पर खासा असर पड़ने जा रहा है | इसका ज़िम्मेदार कौन है ये सरकार को खुद आंकलन करना होगा |
दक्षिण एशिया क्षेत्र के विश्व बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री हैंस टिमर ने कहा कि पहले भी हमने देखा है लेकिन इस बार भारत की स्थिति पहले से कहीं ज्यादा खराब है। उन्होंने कहा कि यह भुगतान संतुलन से भी ज्यादा खराब स्थिति है। टिमर ने कहा कि भारत को सबसे ज्यादा परेशानी इस वजह से हो रही है क्योंकि शुरुआत में लगाया गया लॉकडाउन बहुत सख्त था। इसके कारण तिमाही ग्रोथ माइनस 25 फीसदी पर दिखने लगी।
ताजी रिपोर्ट में कहा मार्च 2020 में शुरू हुए चालू वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी में 9.6 प्रतिशत की गिरावट आने का अनुमान है। हालांकि रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि 2021 में आर्थिक वृद्धि दर वापसी कर सकती है और 4.5 प्रतिशत रह सकती है।
विश्वबैंक ने कहा कि आबादी में वृद्धि के हिसाब से देखें तो प्रति व्यक्ति आय 2019 के अनुमान से छह प्रतिशत नीचे रह सकती है। इससे संकेत मिलता है कि 2021 में आर्थिक वृद्धि दर भले ही सकारात्मक हो जाये, लेकिन उससे चालू वित्त वर्ष में हुए नुकसान की भरपाई नहीं हो सकेगी।
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