लखनऊ 21, अप्रैल। जम्मू-कश्मीर में कल बीती रात मौसम ने अपने बदलते मिज़ाज से भारी बारिश और भूस्खलन से तबाही मचा दी। इस घटना में जहां तीन लोगों की मौत होने की खबर प्राप्त हुई है वहीं सैकड़ों लोगों के प्रभावित भी हुए हैं।बताया जाता है कि राहत कार्य जारी है ।
प्राप्त जानकारी के अनुसार:जम्मू-कश्मीर के रामबन जिले में रविवार रात से शुरू हुई मूसलाधार बारिश ने आम जनजीवन को ठप कर दिया है। भारी बारिश के कारण हुए भूस्खलन में तीन लोगों की जान चली गई, जबकि सैकड़ों लोग प्रभावित हुए हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग 44 पर भूस्खलन के कारण यातायात पूरी तरह बंद है, जिससे हजारों यात्री फंसे हुए हैं। प्रशासन और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) की टीमें राहत और बचाव कार्य में जुटी हैं, लेकिन मौसम की मार ने चुनौतियाँ बढ़ा दी हैं।
यह घटना 20 अप्रैल 2025 की देर रात शुरू हुई, जब रामबन और आसपास के इलाकों में अचानक तेज बारिश शुरू हुई। रात 11 बजे के आसपास भूस्खलन की पहली घटना सामने आई, और सुबह तक स्थिति और गंभीर हो गई। मौसम विभाग के अनुसार, यह बारिश पश्चिमी विक्षोभ के कारण हुई, जो अगले 24 घंटों तक जारी रह सकती है।
मौसम विभाग ने पहले ही जम्मू-कश्मीर में भारी बारिश की चेतावनी जारी की थी। विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण बारिश का पैटर्न बदल रहा है, जिससे अचानक और भारी बारिश की घटनाएँ बढ़ रही हैं। इसके अलावा, रामबन जैसे पहाड़ी इलाकों में अवैध खनन और जंगलों की कटाई ने भूस्खलन की आशंका को और बढ़ा दिया है। राष्ट्रीय राजमार्ग के पास ढीली मिट्टी और चट्टानों ने स्थिति को और खतरनाक बना दिया।
यह आपदा जम्मू-कश्मीर के रामबन जिले में केंद्रित है, विशेष रूप से राष्ट्रीय राजमार्ग 44 के आसपास। बनिहाल, रामसू, और चंद्रकोट जैसे क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। भूस्खलन ने कई गाँवों को राजमार्ग से काट दिया है, और कुछ रिहायशी इलाकों में भी मलबा घुस गया है। श्रीनगर-जम्मू राजमार्ग पर कई जगहों पर मलबा जमा होने से सड़कें बंद हैं।
यह एक प्राकृतिक आपदा है, जिसमें भारी बारिश ने भूस्खलन को ट्रिगर किया। दो लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जिनमें एक महिला और एक बच्चा शामिल हैं। मरने वालों की पहचान अभी नहीं हो सकी है। इसके अलावा, कम से कम 10 लोग घायल हैं, और कई लोग लापता बताए जा रहे हैं। 100 से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया गया है। राजमार्ग पर फंसे यात्रियों के लिए अस्थायी शिविर बनाए गए हैं।
रविवार रात को शुरू हुई बारिश ने पहाड़ी क्षेत्रों में मिट्टी और चट्टानों को कमजोर कर दिया। रामबन में रात 11:30 बजे के आसपास पहला बड़ा भूस्खलन हुआ, जिसने राजमार्ग को पूरी तरह अवरुद्ध कर दिया। इसके बाद लगातार बारिश ने छोटे-बड़े भूस्खलनों की श्रृंखला शुरू कर दी। कई जगहों पर मलबा सड़कों और गाँवों में बहकर आ गया। स्थानीय लोगों ने बताया कि बारिश इतनी तेज थी कि कुछ ही घंटों में नाले उफान पर आ गए।
जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने आपदा को गंभीरता से लेते हुए तत्काल राहत कार्य शुरू किए हैं। NDRF और SDRF की टीमें मलबे में फंसे लोगों को निकालने में जुटी हैं। सेना ने भी हेलिकॉप्टर और अन्य संसाधनों के साथ सहायता शुरू की है। रामबन के डिप्टी कमिश्नर ने बताया कि प्रभावित क्षेत्रों में भोजन, पानी, और दवाइयाँ पहुँचाई जा रही हैं।मौसम विभाग ने अगले 24 घंटों के लिए रेड अलर्ट जारी किया है, जिसमें श्रीनगर, अनंतनाग, और कुपवाड़ा जैसे जिलों में भी भारी बारिश की आशंका जताई गई है। स्कूल-कॉलेज बंद कर दिए गए हैं, और लोगों को घरों में रहने की सलाह दी गई है।स्थानीय लोगों का कहना है कि इस तरह की आपदा पहले भी हो चुकी है, लेकिन इस बार बारिश की तीव्रता और भूस्खलन का दायरा पहले से कहीं ज्यादा है। एक स्थानीय निवासी, मोहम्मद यूसुफ ने बताया, “हमारा गाँव पूरी तरह कट गया है। सड़क पर मलबा है, और बिजली-पानी की कोई व्यवस्था नहीं है।
सरकार की प्रतिक्रिया
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने स्थिति पर नज़र रखने के लिए आपात बैठक बुलाई है। उन्होंने केंद्र सरकार से अतिरिक्त संसाधनों की माँग की है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भी प्रभावित क्षेत्रों में हर संभव मदद का आश्वासन दिया है। राहत कोष से प्रभावित परिवारों के लिए तत्काल सहायता राशि की घोषणा की गई है।
राहत कार्यों में सबसे बड़ी चुनौती मौसम है, जो लगातार बारिश के कारण बचाव कार्य को मुश्किल बना रहा है। इसके अलावा, राजमार्ग को साफ करने में कई दिन लग सकते हैं, जिससे आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित हो रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि भूस्खलन की बढ़ती घटनाओं को रोकने के लिए दीर्घकालिक उपाय, जैसे वनीकरण और अवैध खनन पर रोक, जरूरी हैं।