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लखनऊ में इमाम हसन अस्करी (अलैहिस्सलाम) की विलादत के अवसर पर आयोजित हुई भव्य धार्मिक कवि संगोष्ठी

लखनऊ, 19 अक्टूबर । शिया मुस्लिम के ग्यारहवें इमाम, हजरत इमाम हसन अस्करी (अलैहिस्सलाम) की विलादत के पावन अवसर पर लखनऊ के सहादतगंज, करबला दियानटुद्दौला में मशहूर शायर मोहिब अब्बास (मोहिब लखनवी) द्वारा स्थापित 50 वर्ष पुरानी महफिल-ए-मकासदा” का आयोजन किया गया। यह आयोजन मोहिब लखनवी के निधन के बाद भी उनके पुत्रों द्वारा उसी शान-ओ-शौकत के साथ निरंतर जारी है। महफिल का शुभारंभ कुरान-ए-पाक की तिलावत के साथ हुआ, जिसे फुरकान हुसैन ने किया। इसके बाद
मौलाना मीसम जैदी ने महफिल को संबोधित करते हुए इमाम हसन अस्करी (अलैहिस्सलाम) के जीवन और उनके मोजिजात पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि इमाम हसन अस्करी की जिंदगी का अधिकांश समय अब्बासी खलीफाओं की नजरबंदी में बीता, फिर भी उन्होंने शिया समुदाय को संगठित किया और बारहवें इमाम, इमाम महदी (अलैहिस्सलाम) के आगमन की नींव रखी। मौलाना ने इमाम के एक मोजिजे का जिक्र किया, जिसमें इमाम जब लिखते समय कलम रख देते थे, तो वह स्वयं कागज पर चलने लगता था। इसके अलावा, शहजादी फातिमा का मोजिजा भी बताया, उन्होंने कहा, वो जब चक्की चलाते हुए थक कर आराम करने लगती थी तो चक्की स्वयं चलती थी, मानो फरिश्ते उसे चला रहे हों। मौलाना ने कहा कि इमाम हसन अस्करी में वही गुण थे जो पहले इमाम अली (अलैहिस्सलाम) में पाए जाते थे। उन्होंने इमाम की शहादत का जिक्र करते हुए बताया कि अब्बासी खलीफा अल-मुहम्मद के आदेश पर उन्हें जहर देकर शहीद किया गया।

कवि संगोष्ठी और शायरों की शिरकत

महफिल-ए-मक़ासिदे का संचालन मशहूर शायर खुर्शीद रजा फतेहपुरी ने किया, जबकि ताहिर एडवोकेट इस आयोजन के कन्वीनर थे। इस तरही महफिल में कई नामी शायरों ने शिरकत की और इमाम हसन अस्करी (अलैहिस्सलाम) की शान में मंजूम नजराना-ए-अकीदत पेश किया। इनमें एजाज जैदी, नय्यर मजीदी, खुर्शीद रजा फतेहपुरी, फरीद मुस्तफा, मुख्तार लखनवी, फिदवी नकवी, हबीब शारबी, अनीसुल हसन, शान आबादी, ताहिर कानपुरी, जकी भारती, अहमद करबलाई, हैदर रज़ा, खुशनुद मुस्तफा, अंजुम गदीरी, ताज लखनवी, तय्यब लखनवी, गुलरेज साहब, शुमूम आरफी, सरवर दबीरी, रिजवान दानिश, फरमान लखनवी, फैजान लखनवी, फुरकान लखनवी, हसन मूसवी, अयान लखनवी और वस्फ अब्बास (तय्यब लखनवी के पुत्र) शामिल थे।

वस्फ अब्बास

तय्यब लखनवी

इनामात की तकसीम और समापन

महफिल के अंत में शायरों और श्रोताओं के बीच क़ुरांदाज़ी के माध्यम से इनामात भी वितरित किए गए। इस आयोजन ने इमाम हसन अस्करी (अलैहिस्सलाम) की शिक्षाओं और उनके मोजिजात को याद करने का एक अनूठा अवसर प्रदान किया।

नय्यर मजीदी

इमाम हसन अस्करी (अलैहिस्सलाम) का परिचय

इमाम हसन अस्करी (अलैहिस्सलाम), जिनका जन्म 8 रबीउस्सानी 232 हिजरी (846 ईस्वी) को मदीना में हुआ, शिया इस्लाम के ग्यारहवें इमाम थे। वे दसवें इमाम, अली अल-हादी (अलैहिस्सलाम) के पुत्र और बारहवें इमाम, इमाम महदी (अलैहिस्सलाम) के पिता थे। उनकी इमामत 254 से 260 हिजरी तक रही। अब्बासी खलीफाओं, विशेष रूप से अल-मुतज्ज और अल-मुहम्मद के दबाव में उन्होंने सामर्रा के सैन्य क्षेत्र “अस्कर” में नजरबंदी में जीवन बिताया। उनकी शहादत 8 रबीउल अव्वल 260 हिजरी (874 ईस्वी) को जहर से हुई। उनके मोजिजात में जेल में चमकती रोशनी, भविष्यवाणियां और बीमारों का इलाज शामिल हैं। उनकी शिक्षाएं, धैर्य, और सादगी आज भी शिया समुदाय के लिए प्रेरणा हैं।

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