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भाजपा की दिग्गज टीम पर चुनाव के अखाड़े में पप्पू ने दी सबको पटकनी

इस खबर को पढ़ने के बाद नहीं पड़ेगी भाजपा को अपनी हार की समीक्षा की ज़रूरत

अजब मुहावरा है सरकार, धोबी का कुत्ता ना घर का, ना घाट का

(ज़की भारतीय)

लखनऊ (सवांददाता) पांच राज्यों की 678 सीटों पर कुल 8500 प्रतियाशियों ने विधानसभा चुनाव में जहाँ अपनी किस्मत को आज़माया है वहीं पार्टियों की क़िस्मत भी उम्मीदवारों के हाथों में है | भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जादुई भाषण इस बार काम नहीं आ सका है | यही नहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को स्टार प्रचारक बनाकर पांच राज्यों में पेश तो किया गया लेकिन उनका भी कोई खासा प्रभाव जनता पर नहीं पड़ सका | आखिर भाजपा के जादूगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जादूगरी इस बार क्यों नहीं चली, इसका कारण क्या है ये समझना भी ज़रूरी है |
“रामलला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे” के नारे के बाद ही हिन्दू संप्रदाय को ये लगा था कि भाजपा वो पार्टी है, जो हिन्दुओं की आस्था का ध्यान रखते हुए रामलला के मंदिर का निर्माण अवश्य करवाएगी, लेकिन लाल कृष्ण अडवाणी और मुरली मनोहर जोशी जैसे भाजपा के दिग्गज नेताओं ने रथ यात्रा निकाल कर भाजपा के लिए वो माहौल बनाया कि बाबरी मस्जिद को कारसेवकों द्धारा विध्वंस कर दिया गया था | इसके बाद से भाजपा ने हिन्दू सम्प्रदाय के दिलों पर राज करना शुरू कर दिया था | भाजपा का एक वो समय था जब पूरे भारत में इसको सिर्फ लोकसभा में दो सीटे ही मिली थी | लेकिन कारसेवा के बाद भाजपा की ऐसी हवा बनी की उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार आ गई और कल्याण सिंह मुख्यमंत्री बन गए | उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद बाबरी मस्जिद का कारसेवकों ने विध्वंस कर दिया | ये अलग बात है कि उसके बाद कल्याण सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था | लेकिन भाजपा के पुराने नेताओं ने भाजपा को शीर्ष पर पंहुचा दिया | 2014 में जब नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाया गया तो उन नेताओं को साइड लाइन कर दिया गया जिन्होंने भाजपा के सूखे हुए वृक्ष को अपनी मेहनत से सींचकर बड़ा किया था | मोदी की सरकार आने के बाद “रामलला हम आएंगे, मंदिर वही बनाएंगे” का नारा ही बदलकर “सबका साथ, सबका विकास” कर दिया गया | लेकिन एक मुहावरा जो भाजपा के लिए एकदम सही बैठता है “धोबी का कुत्ता ना घर का, ना घाट का” दरअस्ल भाजपा ना ही अपने पुराने मुद्दे पर क़ायम रह सकी और ना ही किसी का विकास कर सकी | ज़ाहिर है कि अब भाजपा अपनी हार के बाद समीक्षा बैठके करेगी और उसमे अपने बाग़ी कार्यकर्ताओं पर भाजपा की हार का ठीकरा फोड़ देगी | लेकिन भाजपा को चाहिए है कि वो इसकी समीक्षा करे कि वो किस तरह और कैसे सत्ता में आई थी ?
इधर रामलला के मंदिर निर्माण मामले में साधु-संतों का एक होना, विश्व हिन्दू परिषद और शिवसेना द्धारा भाजपा को मंदिर मुद्दे पर निशाना बनाना , भाजपा के लिए हार का बड़ा सबब है | क्योकि भाजपा और सपा सरकार में हिन्दू संप्रदाय के लोगों को कोई फर्क ही नहीं नज़र आ रहा है | इसके साथ ही जीएसटी, नोट बंदी, बैंकों से धनराशि निकालने का प्रकरण भी भाजपा पर भारी पड़ा है | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्धारा किये गए तमाम वादे लोग भूल जाते यदि मोदी दोनों नारों में से कोई भी नारा पूरा कर देते | पांच राज्यों के चुनाव के नतीजों के बाद 2019 लोकसभा चुनाव में भाजपा को लोहे के चने चबाना पड़ सकते है | ये बात सिर्फ मैं ही नहीं कह रहा हूँ बल्कि शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत ने भी दूसरे अंदाज़ में कही है | उन्होंने दिए अपने बयान में कहा है कि ये कांग्रेस की जीत नहीं है बल्कि सरकार के प्रति लोगों का गुस्सा है | हालाँकि भाजपा सांसद संजय काकड़े ने अपने बयान में नई बात कही है, उन्होंने कहा है कि राजस्थान और छत्तीसगढ़ का चुनाव हारने का उन्हें पहले से ही अंदाज़ा था लेकिन मध्य प्रदेश में जो रुझान आ रहे है उससे वो हैरान है | वो यही पर रुके, इसके आगे भी उन्होंने जो बात कही वो काफ़ी अहमियत रखती है | उन्होंने कहा कि 2014 में प्रधानमंत्री मोदी द्धारा लिए गए विकास के संकल्प को वो खुद ही भूल गए और राममंदिर, स्टैच्यू के अलावा नाम बदलने के फोकस पर ही ठहर गए | उनकी इस बात से दिया गया मेरा मुहावरा “धोबी का कुत्ता ना घर का, ना घाट का” बिल्कुल सही बैठता है | क्योकि अगर भाजपा सांसद की माने तो उनके ही बयान से ये प्रतीत होता है कि उन्होंने “सबका साथ, सबका विकास” के नारे को भी चरितार्थ नहीं किया | 
आने वाले लोकसभा चुनाव पर भाजपा की हार का भाजपा पर बड़ा असर पड़ सकता है | आज जिन पांच राज्यों में मतगणना चल रही है उनमे मिजोरम, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मध्य प्रदेश के नाम शामिल हैं | बताते चलें कि मिजोरम में 40 सीटों में से कांग्रेस को पांच सीटे मिली है, जब्कि एमएनएफ को 26 सीटे, भाजपा को 1 सीट और अन्य को 8 सीटे प्राप्त हुई है | जब्कि राजस्थान की 200 सीटों में से 56 सीटों पर कांग्रेस आगे चल रही है और भाजपा 38 सीटों पर दूसरे स्थान पर चल रही है | मध्य प्रदेश में 230 सीटों में कांग्रेस 114 सीटों पर आगे है और भाजपा 105 सीटों पर दूसरे स्थान पर चल रही है | इसी तरह तेलंगाना में 119 सीटों में से 60 सीटों पर टीआरएस और 19 सीटों पर कांग्रेस और एक सीट पर भाजपा आगे चल रही है | छत्तीसगढ़ में 90 सीटों पर हुए चुनाव में कांग्रेस 65 सीटों पर और भाजपा 17 सीटों पर आगे चल रही है | ये तो वो आंकड़े है जो अभी तक मिली सूचना के आधार पर दिए जा रहे है | हालाँकि केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह का इस मामले पर कहना है कि ये आंकड़े है, शुरुवाती रुझान हैं परिणाम नहीं | यहाँ पर ये कहना ज़रूरी हैं कि जो लोग राहुल गाँधी को अभी तक पप्पू कहने लगे थे, उन लोगों के माथे से पप्पू ने पसीना ज़रूर छुड़वा दिया हैं | तमाम प्रयास के बावजूद पप्पू अकेला भाजपा की दिग्गज टीम पर चुनाव के अखाड़े में विजय होकर उट्ठा हैं |

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