सिविल डिफेंस की ओर से डिप्टी डिवीज़न वार्डन सुनील जी ने संभाली कमान
लखनऊ ,संवाददाता | महाशिवरात्रि पर्व के अवसर पर आज लखनऊ के ठाकुरगंज इलाक़े में स्थित कल्याणगिरी मंदिर से दोपहर 2 बजे हज़ारों की संख्या में दर्शनार्थियों ने जहाँ शिव जी के दर्शन किये ,वहीँ आसपास इलाके के शिवालयों में भोले भक्तों ने जलाभिषेक कर पूजन अर्चन किया। बिल्व पत्र व गंगा जल के साथ मंदिरों में पहुंचे भक्तों ने अपने आराध्य महादेव की पूजा अर्चना की। इस दौरान महिला भक्तों व कन्याओं की संख्या भी अधिक थी। हर हर महादेव और बोल बम के उद्घोष से चारों ओर का वातावरण शिवमय हो गया।
कल्याणगिरी मंदिर से 2 बजे के बाद शिव जी की शोभा यात्रा निकाली गई,यात्रा में महिलाऐं ,पुरुष और बच्चे शिव जी की मूर्तियों के साथ चल रहे थे | मंदिर में सुबह से ही सैकड़ों की संख्या में पहुंचे महिला-पुरुष ने भोलेशंकर का जलाभिषेक किया। हाथों में बिल्वपत्र जल तथा दूध के साथ पूजन सामग्री लिए शिवभक्तों ने अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए भोलेनाथ से प्रार्थना भी की। इसी तरह ये यात्रा विभिन्न मंदिरों से होती हुई रात्रि वापिस कल्याणगिरी मंदिर पहुंचकर समाप्त हुई | 50 हज़ार से अधिक श्रद्धालुओं ने इस यात्रा में सम्मिलित होकर अपने इस त्यौहार को हर्षोल्लास के साथ मनाया |
पुलिस ने इस त्यौहार के मद्देनज़र सुरक्षा के व्यापत इंतज़ाम किये थे ,किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए भारी मात्रा में सुरक्षबलों की तैनाती की गई थी | ड्रोन कैमरों के अतिरिक्त सिविल डिफेंस भी तैनात थी |
सिविल डिफेंस के डिप्टी डिवीज़न वार्डन सुनील जी ने बताया कि उनका काम निशुल्क देश की सेवा करना होता है |उन्होंने बताया कि लखनऊ से निकलने वाले किसी भी धर्म के जुलुस हो, उसको शांति पूर्वक संपन्न कराना उनकी ज़िम्मेदारी रहती है ,इसमें पूर्ण रूप से टीम वर्क होता है |उन्होंने इस शोभा यात्रा के शांति पूर्वक संपन्न होने पर अपनी पूरी टीम को बधाई दी है |
बताते चलें कि इशांत संहिता के अनुसार सभी ज्योतिलिंगों का प्रादुर्भाव फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को अर्धरात्रि के समय हुआ था | इसलिए इस पुनीत पर्व को महाशिवरात्रि के नाम से जाना जाता हे |इसीलिए यह व्रत जन्म जन्मांतर के पापों का सामान करने वाला मन गया है |
स्कंध पुराण के अनुसार इस दिन सूर्यास्त के उपरान्त भगवान शिव पार्वती व अपने गणों भूलोक में सभी
मंदिरों में प्रतिष्ठित रहते हैं |इस दिल विभिन्न शिवालयों में शिव का अलौकिक श्रगार करने का भी विधान है |
रूद्र के एकादश अवतारों कि तरह उनके श्रंगार भी एकादश हैं |इनका अपना महत्त्व और माहात्म्य है |
इनमे से पांच श्रृंगार जन्म से हैं , जबकि काल विशेष पर और विष ग्रहण के बाद इनमे छह श्रृंगार और बढ़ गए |ये एकादश श्रृंगार ही शिव को पूर्ण बनाते हैं |