लखनऊ (सवांददाता) अपनी शायरी का लोगो को लोहा मनवाने वाले शायर राहत इंदौरी ने कल देर रात कैसरबाग स्थित एक होटल में ‘अवध की शाम,शायरी के नाम’ में अपनी ग़ज़लों से श्रोताओं का दिल जीत लिया और उनकी बेहतरीन ग़ज़लों से ऐसा समां बना कि राहत इंदौरी ने लगभग अपनी 18 से 20 गज़ले सामेइन को सुनाई| उन्होंने अपनी ग़ज़ल का एक ऐसा शेर सुनाया जो लोगो को फ़ौरन याद हो गया| उन्होंने कहां ‘ हमारे ऐब हमें उँगलियों प गिनवाओ| हमारी पीठ के पीछे हमें बुरा न कहो’ उनके इस शेर के बाद मुशायरे में लोग खड़े हो गए और इस शेर को कई बार पढ़वाया गया| इसके अलावा राहत इंदौरी से फरमाइश करके उनकी बहुत पूरानी ग़ज़ल ‘किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी हैं’ भी पढ़वाई गई|
अगर खिलाफ हैं होने दो जान थोड़ी है, ये सब धुआं है कोई आसमान थोड़ी है, लगेगी आग तो आएंगे घर कई जद में, यहां पे सिर्फ हमारा मकान थोड़ी है, जो आज साहिबे मसनद हैं कल नहीं होंगे, किराएदार हैं जाती मकान थोड़ी है, सभी का खून है शामिल यहां की मिट्टी में, किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है’।
अपनी एक अन्य गजल में उन्होंने सुनाया- ‘अंगुलियां यूं न सब पर उठाया करो, खर्च करने से पहले कमाया करो, जिंदगी क्या है खुद ही समझ जाओगे, बारिशों में पतंगें उड़ाया करो, चांद सूरज कहां, अपनी मंजिल कहां, ऐसे वैसों को मुंह मत लगाया करो’।
इसके अलावा उनकी ग़ज़लों में एक और ग़ज़ल बहुत कामयाब हुई | ‘चरागों को उछाला जा रहा है, हवा पर रोब डाला जा रहा है, न हार अपनी न अपनी जीत होगी, मगर सिक्का उछाला जा रहा है, वो देखो मयकदे के रास्ते में, कोई अल्ला हवाला जा रहा है, हमी बुनियाद का पत्थर हैं लेकिन, हमें घर से निकाला जा रहा है, जनाजे पर मेरे लिख देना यारो, मोहब्बत करने वाला जा रहा है’।