लखनऊ,13 अप्रैल । शिया समुदाय अपने छठे इमाम, हजरत जाफर ए सादिक (अ.स.) की शहादत की याद में आज शाम देशभर में मजलिसों और जुलूसों का आयोजन करेगा। इन मजलिसों में उनकी शिक्षाओं, बलिदान और इस्लामी इतिहास में उनके योगदान पर रोशनी डाली जाएगी। आज जहां पुराने लखनऊ में स्थित हज़रत क़ासिम हाल में बज़्में मवददत के द्वारा आयोजित मजलिस को शिया धर्मगुरु हसन मुत्तकी मीसम जैदी और धर्मगुरु मोहम्मद अस्करी संबोधित करेंगे तो वहीं मस्जिद अबुजरी में आयोजित मजलिस को धर्मगुरु अली हैदर
संबोधित करेंगे। इसके अलाव कर्बला दियानतुद्दौला,कर्बला इमदाद हुसैन खान, कर्बला तालकटोरा, दरगाह हज़रत अब्बास, इमामबाड़ा आगा बाकर सहित कई धार्मिक स्थानों में मजलिस का आयोजन होगा। श्रद्धालुओं से इन मजलिसों में शामिल होने की अपील की गई है।
इमाम जाफर सादिक (अ.स.) की शहादत का ऐतिहासिक विवरण
इमाम जाफर सादिक (अ.स.), जो शिया इस्लाम के छठे इमाम थे, की शहादत अरबी (हिजरी) कैलेंडर के अनुसार 25 शव्वाल 148 हिजरी को हुई थी। ऐतिहासिक रिवायतों के अनुसार, उनकी शहादत मदीना में उस समय के अब्बासी खलीफा अल-मंसूर के शासनकाल में हुई। कहा जाता है कि खलीफा अल-मंसूर ने इमाम (अ.स.) की बढ़ती लोकप्रियता और उनके ज्ञान के प्रभाव से डरकर उन्हें जहर दे दिया था। यह जहर उनके भोजन में मिलाया गया था।
इमाम द्वारा स्थापित वैज्ञानिक, धार्मिक और दार्शनिक शिक्षाएँ आज भी जाफरी विचारधारा के रूप में जीवित हैं। उनकी शहादत के बाद उनके बेटे, इमाम मूसा काजिम (अ.स.), सातवें इमाम के रूप में उत्तराधिकारी बने।
आज शाम से देशभर में शिया समुदाय द्वारा इमाम जाफर ए सादिक (अ.स.) की शहादत की याद में मजलिसों शुरू होगी और कल देर रात तक ये क्रम जारी रहेगा।
इन मजलिसों में उलेमा इमाम की शहादत के ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व पर प्रकाश डालेंगे। दिल्ली, लखनऊ, हैदराबाद और मुंबई जैसे शहरों में हजारों की संख्या में लोग हिस्सा लेंगे। नौहाख्वानी और मातम के साथ श्रद्धांजलि अर्पित की जाएगी।लखनऊ के अहाता मिर्ज़ा अली खां इलाक़े में स्थित इमामिया मस्जिद में आज 4 बजे दिन में आयोजित मजलिस में मौलाना सैयद हसन बाकर ने कहा, “इमाम जाफर ए सादिक (अ.स.) ने न केवल इस्लामी शिक्षाओं को समृद्ध किया, बल्कि मानवता को सत्य और न्याय का मार्ग दिखाया। उनकी शहादत हमें धैर्य और हौसले का सबक देती है।
इस अवसर पर दान, लंगर और सामुदायिक सेवा के कार्य भी किए गए, जो इमाम की शिक्षाओं का हिस्सा हैं।