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सांसदों के वेतन से होगी एक वर्ष के लिये 30 प्रतिशत की कटौती, विधेयक हुआ पारित
लखनऊ ,संवाददाता |लोकसभा में सोमवार को सांसदों के वेतन में एक वर्ष के लिये 30 प्रतिशत कटौती करने वाला एक विधेयक पेश किया गया, लोकसभा में सांसदों के वेतन, भत्ते और पेंशन (संशोधन) विधेयक थोड़े विरोध के बाद पारित हो गया | इसका उपयोग कोविड-19 महामारी के कारण उत्पन्न स्थिति से मुकाबले के लिये किया जायेगा |
इस विधेयक के पास होने से सांसदों के वेतन में एक वर्ष के लिये 30 प्रतिशत कटौती करने का रास्ता साफ हो गया है | इस बिल पर हुई चर्चा में लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि संसद वेतन, भत्ता और पेंशन में हो रही कटौती के लिए हमें एक प्रस्ताव लाना होगा क्योंकि हम बहुत पिछड़े इलाके से आते हैं और हमारे लिए यह बहुत जरूरी है | चौधरी ने कहा कि सरकार को एमपीएलएडी फंड हमें वापस करना चाहिए | इनके अलावा महाराष्ट्र के अमरावती की सांसद नवनीत रवि राणा ने स्थानीय क्षेत्र के विकास के लिए सांसदों को दिए जाने वाले फंड में कटौती न करने की अपील की |
राणा ने कहा कि सांसद इस राशि से अपने क्षेत्रों का विकास करते हैं | उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने उन्हें सदन में चुनकर भेजा है वह उनसे विकास की अपेक्षा करते हैं और सांसद इस राशि से उनकी अपेक्षाओं की पूर्ति करते हैं | राणा ने आगे कहा कि मेरे जैसे नवनिर्वाचित सांसदों के लिए ये राशि बहुत जरूरी है |
संसदीय मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने निचले सदन में संसद सदस्यों के वेतन, भत्ता एवं पेशन संशोधन विधेयक 2020 को पेश किया जो संसद सदस्यों के वेतन, भत्ता एवं पेशन अध्यादेश 2020 का स्थान लेगा | जोशी ने कहा कि वह संसद सदस्यों के वेतन, भत्ता एवं पेशन अधिनियम 1954 में संशोधन करने का विधेयक पेश कर रहे हैं | इस अध्यादेश को 6 अप्रैल को मंत्रिमंडल की मंजूरी मिली थी और यह 7 अप्रैल को लागू हुआ है |
अध्यादेश में कहा गया था कि कोरोना वायरस महामारी ने त्वरित राहत और सहायता के महत्व को प्रदर्शित किया है और इसलिये महामारी को फैलने से रोकने के लिये कुछ आपात कदम उठाये जाने जरूरी हैं |
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