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शिया धर्मगुरु मौलाना सैयद कल्बे जव्वाद नकवी का इजरायल-ईरान युद्ध पर बड़ा बयान

लखनऊ, 16 जून । शिया धर्मगुरु मौलाना सैयद कल्बे जव्वाद नकवी ने ईरान और इजरायल के बीच चल रहे सैन्य तनाव पर भारत सरकार से तटस्थ रहने की अपील की है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अनुरोध किया कि भारत इस युद्ध में इजरायल का समर्थन न करे और दोनों पक्षों के बीच मध्यस्थता से बचते हुए शांति का पक्ष ले। यह बयान मौलाना ने लखनऊ के कश्मीरी मोहल्ले में स्थित इमामबाड़ा पंजतनी में 16 जून 2025 को दोपहर 3:00 बजे आयोजित एक धार्मिक सभा के दौरान दिया। इस सभा में लगभग 200 शिया समुदाय के लोग और स्थानीय नेता मौजूद थे।मौलाना ने अपने बयान में कहा, “इजरायल ने ईरान पर हमला कर न केवल अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन किया, बल्कि मध्य पूर्व को युद्ध की आग में झोंक दिया। अमेरिका और इजरायल मानवता के दुश्मन हैं, और केवल ईरान ही इनका मुकाबला कर रहा है। भारत को इस युद्ध में इजरायल का साथ नहीं देना चाहिए। हमारी सरकार को तटस्थ रहकर शांति की पहल करनी चाहिए।” उन्होंने यह भी कहा कि गाजा में इजरायल की कार्रवाइयों में 65% मृतक महिलाएँ और बच्चे हैं, जिसे संयुक्त राष्ट्र ने भी दर्ज किया है। मौलाना ने इजरायल के “ग्रेटर इजरायल” नक्शे का हवाला देते हुए दावा किया कि यह नक्शा अरब देशों की संप्रभुता के लिए खतरा है। ये बयान इमामबाड़ा पंजतनी में एक धार्मिक सभा के दौरान दिया गया, जो विश्व रक्तदाता दिवस (14 जून) के उपलक्ष्य में आयोजित थी। सभा में रक्तदान शिविर और सामुदायिक चर्चा शामिल थी।जानकारी के अनुसार, मौलाना ने यहाँ इजरायल की निंदा करते हुए भारत की विदेश नीति पर सवाल उठाए। प्रोग्राम में मौलाना के समर्थक, शिया समुदाय के युवा, और कुछ स्थानीय नेता मौजूद थे। सभा में कोई राजनीतिक दल का प्रतिनिधि शामिल नहीं था। मौलाना ने अपने बयान को लिखित रूप में भी जारी किया, जो उनके आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल पर उपलब्ध है।

मौलाना का राजनीतिक सफर और भाजपा से दूरी

मौलाना सैयद कल्बे जव्वाद नकवी कभी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के करीबी माने जाते थे। उनके रिश्ते इतने मजबूत थे ,उनकी मर्ज़ी पर योगी सरकार ने शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड का गठन किया था। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने भी मौलाना को अपने करीब लाने की कोशिश की थी। मौलाना ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का साथ तब छोड़ा, जब वक़्फ़ संशोधन बिल को लोकसभा और राज्यसभा से पास कराया गया ।वक्फ विधेयक को मौलाना ने मुस्लिम वक़्फ़ संपत्तियों के लिए ख़तरा बताया । उन्होंने इस विधेयक के खिलाफ लखनऊ और दिल्ली में विरोध प्रदर्शन किए। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कुछ प्रावधानों पर रोक लगा दी, जिससे मौलाना की स्थिति मजबूत हुई। इस कदम ने शिया समुदाय में उनकी स्वीकार्यता बढ़ाई, क्योंकि पहले उन्हें “सरकारी मौलवी” कहा जाता था।

शिया समुदाय में बढ़ती स्वीकार्यता

मौलाना के इस बयान को शिया समुदाय में व्यापक समर्थन मिला है। लखनऊ के शिया युवा नेता सैयद अली रज़ा ने कहा, “मौलाना ने हक की बात की। उन्होंने भाजपा से दूरी बनाकर और वक्फ विधेयक के खिलाफ आवाज़ उठाकर अपनी गलतियों को सुधारा। अब वे शिया समुदाय की आवाज़ बन गए हैं।” सामाजिक कार्यकर्ता फातिमा हुसैन ने कहा कि मौलाना का इजरायल-विरोधी बयान समय की माँग है, क्योंकि शिया समुदाय ईरान को अपना आध्यात्मिक केंद्र मानता है। X पर कई पोस्ट्स में शिया युवाओं ने मौलाना की प्रशंसा की, लेकिन कुछ ने उनके पुराने भाजपा कनेक्शन पर सवाल भी उठाए।

मौलाना का बयान भारत की विदेश नीति पर एक धार्मिक दृष्टिकोण दर्शाता है। भारत ने इजरायल और ईरान दोनों के साथ रणनीतिक संबंध बनाए रखे हैं। इजरायल भारत का प्रमुख रक्षा साझेदार है, जबकि ईरान के साथ ऐतिहासिक और ऊर्जा संबंध हैं। 13 जून 2025 को पीएम मोदी ने इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू से बात की और शांति की अपील की, जो भारत की तटस्थ नीति को दर्शाता है। मौलाना का बयान शिया समुदाय की भावनाओं को प्रतिबिंबित करता है, जो ईरान के साथ धार्मिक और सांस्कृतिक जुड़ाव रखता है। हालांकि, यह बयान भारत की कूटनीति पर कितना असर डालेगा, यह स्पष्ट नहीं है।
मौलाना सैयद कल्बे जव्वाद नकवी ने 16 जून 2025 को लखनऊ के इमामबाड़ा पंजतनी में इजरायल- ईरान युद्ध पर भारत से तटस्थ रहने की अपील की। यह बयान शिया समुदाय में उनकी बढ़ती स्वीकार्यता को दर्शाता है, खासकर भाजपा से दूरी और वक्फ विधेयक विरोध के बाद। उन्होंने इजरायल को मानवता का दुश्मन बताया और पीएम मोदी से शांति की पहल करने को कहा। यह बयान धार्मिक सभा में दिया गया, जिसमें 200 लोग मौजूद थे।

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