लखनऊ, 2 जून । शायरी की दुनिया में अपनी अनूठी पहचान रखने वाले लखनऊ के प्रख्यात शायरे अहलेबैत, तजस्सुस एजाज़ी साहब का आज उनके निवास पर लंबी बीमारी के बाद इंतकाल हो गया। उनके निधन की खबर से लखनऊ, खासकर शिया समुदाय, में शोक की लहर दौड़ गई है। तजस्सुस एजाज़ी साहब न केवल एक माहिर शायर थे, बल्कि एक नेकदिल इंसान भी थे, जिन्होंने अपनी शायरी और व्यक्तित्व से हर दिल को छुआ।तजस्सुस एजाज़ी साहब की शायरी लखनऊ की गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल थी। उनकी रचनाएँ जहाँ एक ओर उर्दू की शुद्धता और बुलंदी को दर्शाती थीं, वहीं दूसरी ओर सरल भाषा में भी उतनी ही खूबसूरती से भावनाओं को व्यक्त करती थीं। वह न सिर्फ़ अपनी शायरी के लिए मशहूर थे, बल्कि दूसरों के अच्छे शेरों की तारीफ़ करने और नए शायरों को प्रोत्साहित करने के लिए भी जाने जाते थे। उनके मार्गदर्शन में कई शागिर्दों ने शायरी की दुनिया में अपनी पहचान बनाई, जिनमें से कई आज भी लखनऊ की साहित्यिक विरासत को समृद्ध कर रहे हैं।तजस्सुस एजाज़ी साहब के निधन से लखनऊ की शायरी को अपूरणीय क्षति हुई है। उनके परिवार में दो बेटे और चार बेटियाँ हैं, जिन्हें वे अपने पीछे छोड़ गए हैं। उनका जनाजा कल उनके निवास, जनाबो वाली गली, शाहगंज, नखास, लखनऊ से उठेगा और ऐशबाग स्थित करबला मलका जहाँ पहुँचेगा। वहाँ नमाज़-ए-जनाज़ा अदा की जाएगी, जिसके बाद उन्हें सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा।लखनऊ की साहित्यिक बिरादरी और उनके प्रशंसकों से अपील की जाती है कि वे मरहूम के जनाजे में शिरकत करें और उनकी आत्मा की शांति के लिए दुआ करें। तजस्सुस एजाज़ी साहब की शायरी और उनकी शिक्षाएँ लखनऊ की साहित्यिक विरासत में हमेशा जीवित रहेंगी।