लखनऊ, 4 मई । लखनऊ में विश्व हिंदू रक्षा परिषद ने रविवार को एक धर्म संसद का आयोजन किया, जिसमें उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने हिस्सा लिया। इस आयोजन में सात प्रस्ताव पारित किए गए, जिनमें सनातनी हेल्पलाइन नंबर जारी करने और भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करने की मांग प्रमुख रही। यह आयोजन शहर में सामाजिक और राजनीतिक चर्चा का केंद्र बन गया, विशेष रूप से हिंदू राष्ट्र की मांग और एक वरिष्ठ राजनेता की उपस्थिति के कारण। विश्व हिंदू रक्षा परिषद की स्थापना अप्रैल 2014 में श्री सुमित्रा नंदन स्वामी द्वारा की गई थी। संगठन का उद्देश्य हिंदू संस्कृति और धर्म के संरक्षण के साथ-साथ हिंदू समुदाय की एकजुटता को बढ़ावा देना है। हिंदू राष्ट्र की मांग परिषद की विचारधारा का हिस्सा है, जो भारत को हिंदू सांस्कृतिक मूल्यों पर आधारित राष्ट्र के रूप में देखना चाहती है। संगठन का दावा है कि यह मांग देश में बहुसंख्यक हिंदू समुदाय की आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित करती है। हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब ऐसी मांग उठी हो। विश्व हिंदू परिषद (VHP), जो 1964 में स्थापित हुई, ने भी लंबे समय से हिंदू राष्ट्र की वकालत की है। VHP ने राम मंदिर आंदोलन और अन्य हिंदू केंद्रित मुद्दों पर सक्रिय भूमिका निभाई है।विश्व हिंदू परिषद पर अतीत में कानून-व्यवस्था को बिगाड़ने के गंभीर आरोप लगे हैं, विशेष रूप से 1992 के बाबरी मस्जिद विध्वंस में इसकी कथित भूमिका को लेकर। इस घटना ने देश में सांप्रदायिक दंगे भड़काए और सैकड़ों लोगों की जान गई। VHP के कई नेताओं पर भारतीय दंड संहिता की धारा 153A (धर्म के आधार पर शत्रुता को बढ़ावा देना) और धारा 295A (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना) के तहत मामले दर्ज हुए हैं। उदाहरण के लिए, VHP के कुछ नेताओं के भड़काऊ बयानों को 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों से जोड़ा गया, जिसमें 60 से अधिक लोग मारे गए थे। विश्व हिंदू रक्षा परिषद पर अभी तक ऐसी बड़ी घटनाओं में प्रत्यक्ष संलिप्तता के प्रमाण नहीं मिले, लेकिन इसकी विचारधारा VHP से मिलती-जुलती होने के कारण यह भी जांच के दायरे में रहता है।उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक की इस आयोजन में भागीदारी ने विवाद को जन्म दिया है। संविधान के तहत भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है, और सरकारी पदों पर बैठे व्यक्तियों से धार्मिक तटस्थता की अपेक्षा की जाती है। पाठक की उपस्थिति को कुछ लोग सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के रूप में देख रहे हैं, जबकि उनके समर्थकों का तर्क है कि यह हिंदू समुदाय के साथ जुड़ने का प्रयास है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ऐसे आयोजनों में वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी संवेदनशील मुद्दों को और जटिल बना सकती है।विश्व हिंदू रक्षा परिषद और VHP जैसे संगठनों के आयोजनों में अक्सर उत्तेजनात्मक बयान सामने आते हैं। उदाहरण के लिए, VHP के नेता प्रवीण तोगड़िया पर 2014 में गुजरात में भड़काऊ भाषण देने के लिए धारा 153A के तहत मामला दर्ज हुआ था। इसी तरह, 2021 में हरिद्वार में आयोजित एक धर्म संसद में कुछ वक्ताओं ने अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा भड़काने वाले बयान दिए, जिसके बाद धारा 505(2) (शत्रुता को बढ़ावा देना) के तहत कार्रवाई हुई। लखनऊ में 4 मई के आयोजन में ऐसे बयानों की कोई पुष्टि नहीं हुई, लेकिन इसकी मांगें सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने की आशंका पैदा करती हैं।यह आयोजन और उपमुख्यमंत्री की उपस्थिति ने यह सवाल उठाया है कि क्या ऐसे संगठनों को मुख्यधारा की राजनीति में इतना महत्व दिया जाना चाहिए। विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को सभी समुदायों के बीच संतुलन बनाए रखने की जरूरत है। लखनऊ पुलिस ने आयोजन के दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए, और कोई अप्रिय घटना नहीं हुई।