लखनऊ, 19 जून। मध्य पूर्व में ईरान और इसराइल के बीच छिड़ा युद्ध वैश्विक स्तर पर हलचल मचा रहा है, और इसका असर अब लखनऊ में भी साफ दिखाई दे रहा है। इस युद्ध के कारण मध्य पूर्व के ऊपर से गुजरने वाली उड़ानों पर खतरा मंडरा रहा है, जिसके चलते लखनऊ से यूरोप जाने वाली उड़ानें प्रभावित हुई हैं। चौधरी चरण सिंह अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पिछले 24 घंटों में 125 यात्रियों ने अपनी यूरोप यात्रा के टिकट रद्द कराए हैं। दूसरी ओर, भारत सरकार ने ईरान में फंसे 4000 भारतीय छात्रों को सुरक्षित वापस लाने के लिए ‘ऑपरेशन सिंधु’ शुरू किया है, जिसमें लखनऊ के कई परिवारों के बच्चे भी शामिल हैं।
यूरोप की उड़ानें प्रभावित
ईरान और इसराइल के बीच युद्ध तेज होने के बाद मध्य पूर्व का हवाई क्षेत्र असुरक्षित हो गया है। इसराइल द्वारा तेहरान और अन्य ईरानी शहरों पर किए गए हवाई हमलों और ईरान की जवाबी मिसाइल फायरिंग ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है। नतीजतन, यूरोप जाने वाली कई उड़ानों के रास्ते बदल दिए गए हैं, जिससे उड़ानें लंबी और महंगी हो रही हैं। कुछ एयरलाइंस ने तो मध्य पूर्व के ऊपर से उड़ानें पूरी तरह बंद कर दी हैं।
लखनऊ के चौधरी चरण सिंह हवाई अड्डे पर इसका सीधा असर देखने को मिला। 19 जून तक, 125 यात्रियों ने लंदन, पेरिस, और फ्रैंकफर्ट जैसे यूरोपीय गंतव्यों के लिए अपनी टिकटें रद्द कर दीं। हवाई अड्डा अधिकारियों के मुताबिक, यात्रियों में युद्ध के कारण अनिश्चितता और डर का माहौल है। गोमती नगर के रहने वाले व्यवसायी अनिल मिश्रा ने बताया, “मैं लंदन की व्यापारिक बैठक के लिए जा रहा था, लेकिन स्थिति को देखते हुए टिकट रद्द करना पड़ा।” एयरलाइंस ने यात्रियों को रिफंड या वैकल्पिक तारीखों की पेशकश की है, लेकिन कई लोग अभी यात्रा से बच रहे हैं।
ऑपरेशन सिंधु: भारतीय छात्रों की वापसी
ईरान में बढ़ते युद्ध के बीच वहां फंसे भारतीय नागरिकों, खासकर छात्रों की सुरक्षा भारत सरकार की प्राथमिकता बन गई है। ईरान में मेडिकल और अन्य उच्च शिक्षा के लिए गए लगभग 4000 भारतीय छात्र फंसे हुए हैं। इनमें से कई लखनऊ और उत्तर प्रदेश के अन्य शहरों के हैं। भारत सरकार ने इन छात्रों को सुरक्षित वापस लाने के लिए ‘ऑपरेशन सिंधु’ शुरू किया है, जो विदेश मंत्रालय और भारतीय वायुसेना के संयुक्त प्रयासों से संचालित हो रहा है।
लखनऊ के आलमबाग निवासी मोहम्मद हसन, जो तेहरान में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे थे, उन छात्रों में शामिल हैं जो इस ऑपरेशन के तहत वापस लौटे हैं। हसन ने बताया, “तेहरान में बमबारी की आवाजें सुनकर हम डर गए थे। भारतीय दूतावास ने हमें बंकरों में शरण दी और फिर विशेष उड़ानों से वापस लाया।” विदेश मंत्रालय के अनुसार, अब तक 1200 छात्रों को वापस लाया जा चुका है, और बाकियों को अगले कुछ दिनों में भारत पहुंचाया जाएगा। लखनऊ के कई परिवार अपने बच्चों की सुरक्षित वापसी से राहत महसूस कर रहे हैं।
स्थानीय प्रभाव और चिंताएं
लखनऊ में इस युद्ध का असर न केवल यात्रा पर पड़ा है, बल्कि कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि के कारण स्थानीय अर्थव्यवस्था भी प्रभावित हुई है। पेट्रोल और डीजल की कीमतें बढ़ने से आम जनता की जेब पर बोझ बढ़ा है। साथ ही, लखनऊ के सामाजिक संगठनों और धार्मिक केंद्रों में शांति के लिए प्रार्थनाएं की जा रही हैं। सामाजिक कार्यकर्ता रुखसाना बेगम ने कहा, “यह युद्ध केवल मध्य पूर्व तक सीमित नहीं है, इसका असर हमारे शहर तक पहुंच रहा है। भारत सरकार ने लखनऊ समेत सभी प्रमुख शहरों में अपने नागरिकों को सतर्क रहने और गैर-जरूरी विदेश यात्रा टालने की सलाह दी है। लखनऊ पुलिस और प्रशासन ने भी हवाई अड्डे और अन्य संवेदनशील स्थानों पर सुरक्षा बढ़ा दी है।