लखनऊ (संवाददाता) लखनऊ में आज 9 मोहर्रम के मौके पर सुबह इमामबाड़ा गुफरानमाब में मुनक़्क़िद मजलिस को मौलाना सय्यद कल्बे जव्वाद नक़वी ने खिताब किया |इमामबाड़ा आग़ा बाक़िर में जारी अशरए मजालिस की आखरी मजलिस को मौलाना मीसम ज़ैदी ने ख़िताब किया ,जब्कि नाज़िम साहब के इमाम बाड़े में जारी आज मर्सियाख्वानी की आखरी मजलिस को मर्सिया गो व मर्सिया ख्वान तय्यब काज़मी ने अपने मख़सूस अंदाज़ में ख़िताब किया | इसके अलावा मदरसे नाज़मिया में भी आखरी मजलिस को मौलाना हमीदुल हसन ने ख़िताब किया |इसी तरह सुबह से शाम तक मजलिसों का सिलसिला जारी रहा | जब्कि रात 10 बजे शबे आशूरा के उन्वान से नाज़िम साहब के इमामबाड़े में मुनक़्क़िद मजलिस को मौलाना कल्बे जव्वाद नक़वी ने खिताब किया ,जिसके बाद जुलूसे शबे आशूरा बरामद हुआ |ये जुलुस नक्खास,बिल्लोचपुरा चौराहा ,अशर्फाबाद,मंसूरनगर,होता हुआ दरगाह हज़रत अब्बास अस देर रात पहुंचेगा |पुलिस ने आज के जुलुस को लेकर काफी सख्त इंतज़ाम किये हैं |
मौलाना कल्बे जव्वाद ने आज की मजलिस को खिताब करते हुए हज़रत इमाम हुसैन अस और उनके अंसार का ज़िक्र किया और आखिर में उन्होंने हज़रत इमाम हुसैन अस की शहादत का ज़िक्र किया ,जिसे सुनकर मातमदार रोने लगे और सदाए या हुसैन से इमामबाड़ा गूंज उठा |
यहाँ के बाद आग़ा बाक़िर इमामबाड़े में मीसम ज़ैदी ने मजलिस को ख़िताब करते हुए पहले एहतरामें अज़ादारी पर रौशनी डाली फिर उन्होंने कहा कि आज लोग कहते हैं कि ये मन्नत क्या है ये ख्वाब क्यां हैं ये रोना बिदअत है |तो वो लोग सुन लें हज़रत इब्राहीम अस ने जब ख्वाब देखा और अपने बेटे से पूरी बात बताई तो क्या बेटे ने ख्वाब का मज़ाक़ उड़ाया ?उन्होंने कहा कि ख्वाब को सच्चा मानकर अपने बेटे को क़ुर्बान करने भी ले गए और अपनी आँखों पर पट्टी बांधकर अपने बेटे की गर्दन पर छुरी भी चलाई ,लेकिन उनमे इज़्तेराब भी पैदा हुआ और और आँखों से अश्क भी जारी हुए |तो अब लोग फालतू की बातें करना बंद कर दें |उन्होंने कहा कि लहू हम अपना बहाते हैं तकलीफ दूसरों को होती है ,मातम हम करते हैं असर दूसरों पर होता है,तबर्रुक हम बाटते हैं ग़रीब दुश्मन होता है |
उन्होंने आखिर में अंसारी इमामे हुसै अस का ज़िक्र किया और शबे आशूरा का मंज़र पेश किया ,जिसके बाद ताबूत बरामद हुआ और अकीदतमंदों ने ज़ियारत की,साथ ही अपने मज़लूम इमाम को अपने लहू का पुरसा दिया |