ज़की भारतीय
लखनऊ ,संवाददाता | भाजपा नेता कपिल मिश्रा द्वारा सरेआम एक पुलिस अधिकारी के सामने धमकी दिए जाने के सोशल मिडिया पर चलने वाले विडिओ को भले ही हाई कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए कड़ी टिपण्णी करते हुए मिश्रा सहित चार भाजपा नेताओं के विरुद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करने को कहा था
लेकिन इससे पहले कोई कार्रवाई होते जज साहब का ही तबादला कर दिया गया | हालाँकि इसके पीछे कुछ और तर्क पेश किये जा रहे हैं,लेकिन वो तर्क “दिल को बहलाने का ग़ालिब ये ख्याल अच्छा है” के सिवा कुछ नहीं | दिल्ली में भड़के दंगे के बाद से न जाने कितने लोग पलायन कर चुके हैं | जहाँ जहाँ भी दंगे हुए वहां वहां लोगों के बयान थे कि दंगाई बसों से भरकर आए थे | कुछ इलाक़े के निवासियों का कहना था कि दंगाई हमारे इलाक़े के नहीं थे | ये बयानात हिन्दू मुस्लिम भाइयों ने एक साथ ही दिए हैं | बावजूद इसके अभी तक दिल्ली पुलिस उन संदिग्ध लोगों में से किसी को गिरफ्तार नहीं कर सकी जिससे पता चल सके कि वो भाड़े के लड़ाके कौन थे ? कहाँ कहाँ से आए थे ? और इसका मास्टरमाइंड कौन था ? हिन्दू मुस्लिम एकता की दिल्ली में जैसी मिसाल देखने को मिली उसने भारत की कमज़ोर होती जा रही आत्मा को मज़बूत कर दिया | मुसलमान मंदिर की रक्षा करते हुए नज़र आ रहे थे, हिन्दू भाइयों को बचने के लिए मुसलमान आगे बढ़ रहे थे ,अपने घरों में शरण दे रहे थे तो हिन्दू भाइयों ने भी मुसलमानों की ज़िन्दगी अपने घरों में पनाह देकर बचाई | मेरे महान भारत में ऐसे भारतियों को सलाम कि जिनके कारण हम आज भी लोकतांत्रिक देश के रूप में पहचाने जाते हैं | दंगा भड़काने वाले जो भी हों लेकिन एक बात समझ लें कि वो बेनक़ाब हो चुके हैं | ऊँची पहुंच के कारण भले ही पुलिस उन्हें छोड़ दे मगर ये नाटक अब अधिक दिनों तक चलने वाला नहीं | CAA के विरुद्ध प्रदर्शन कर रहे लोगों के शांतिपूर्ण धरने को समाप्त करवाने वाले वो कौन होते थे जिन्होंने सरेआम धमकी दी थी | गृहमंत्री शाहीन बाघ को तौहीन बाग़ कहे तो कोई बात नहीं ,अमित शाह दिल्ली कि जीत कि चिंगारी शाहीन बाग़ तक जाने का बेहतरीन डायलॉग मारे फिर भी कोई बात नहीं, योगी उनको दंगाई कहें कोई बात नहीं क्योंकि ये लोग उन पदों पर हैं कि, ये कुछ भी कह सकते हैं लेकिन वो लोग क्या थे जिन्होंने सरियन पुलिस के सामने भौका था ? मैं मानता हूं कि प्रशासन सरकार का वो गुलाम होता है जिसे ये कहना ही पड़ता है , “क्या हुक्म है मेरे आक़ा” इसलिए पुलिस प्रशासन से कोई शिकायत नहीं होना चाहिए | हालाँकि इसके बाद भी एक हेड कांस्टेबल शहीद हुआ कई पुलिस अधिकारी ज़ख़्मी भी हुए |हम ऐसे अधिकारीयों को झुककर प्रणाम करते हैं | लेकिन इस दंगे के लिए जो दोषी हैं वो तो हैं ही मगर केंद्र सरकार चाहती तो ये देशभर में जारी विरोध प्रदर्शन कब के समाप्त हो चुके होते या फिर सुप्रीम कोर्ट इस मामले कि पहले ही सुनुवाई कर चुकी होती | मेरा मानना है कि इस वक्त जनता का सिर्फ न्यायपालिका पर विशवास रह गया है और अगर जनता का ये विश्वाश भी उठ गया तो देश में सिर्फ जंगल राज्य रह जाएगा |
आज गोदी मिडिया के बड़े बड़े संपादक ,एसोसिएट एडिटर और सरकारी लालच की अलमारी रेहेन रक्खे क़लम वो लिखने लगे है जिसकी कल्पना भी नहीं कि जा सकती थी | CAA का विरोध करने वालों को अज्ञानी लिखा जा रहा है,एक पक्षीय ख़बरें या लेख लिखे जा रहे हैं ,जो अत्यंत दुखद है |
आज CAA पर तर्क वितर्क होना चाहिए ,डिबेट होनी चाहिए लेकिन चैनलों की मंडियों में नहीं बल्कि खुले मंच पर ,जहाँ अमित शाह हों और उनके सामने वो लोग हों जिन्होंने अमित शाह से वार्ता करने के लिए अपने नाम भिजवाए थे | उसके बाद पता चलेगा कि CAA पर अमित शाह जी और उसका विरोध करने वालों में कौन सही है |
ये बात बिलकुल सत्य है कि CAA नागरिकता देने के लिए एक क़ानून है ,ये भी सत्य है कि इसे कांग्रेस लेकर आई थी ,क्योंकि अगर ये CAA पहले से नहीं होता तो इसे संशोधन बिल न कहा गया होता | इसमें जो संशोधन किया गया उसमे से मुसलमानों को वंचित कर दिया गया और दूसरा ये कि कोंग्रेस के द्वारा लाये गए CAA में नागरिकता मात्र 11 वर्ष में दी जाने का प्राविधान था ,जबकि अब सिर्फ 6 वर्ष में नागरिकता दी जानी है |
अब अगर नज़र से देखा जाए तो भाजपा ने इस क़ानून को लाकर मुसलमानों के साथ सौतेला बर्ताव कर दिया ? जो मुसलमान इस क़ानून से भयभीत हो गए है | दरअसल मुस्लमान CAA से नहीं बल्कि CAA के साथ एनआरसी को मिलाकर देख रहा है | जिसकी मिसाल आसाम उनके सामने है | एनआरसी लागू किये जाने का एलान जहाँ गृह मंत्री अमित शाह ने संसद भवन में किया था वहीँ एक साक्षात्कार में उन्होंने 2024 में NRC लागू हो जाने की बात कही थी |
मुसलमान जान रहा है कि CAA जब NRC से जुड़ेगा तो जिन मुसलमानों के पास प्रयाप्त कागज़ात नहीं होगे उन्हें डिटेंशन सेंटर में डाल दिया जाएगा ,और ये बात सत्य भी है |
अब प्रश्न ये उठता है कि जब NRC लागू ही करना है तो उसके लिए कागज़ात कि घोषणा पहले ही करना होगी जिससे भ्रान्ति दूर हो सके या फिर गृहमंत्री को ये आश्वासन देना होगा कि NRC लागू नहीं होगी | हालाँकि उनके ये कह देने से गृह मंत्री न तो छोटे हो जाएंगे और न ही इसमें कोई परेशानी है|
वरना दिल्ली जैसे दंगे ,दंगाई करते रहेंगे देश वासियों की मौत और शहादत पर मातम छाया रहेगा |
कभी किसी जज का तबादला किया जाएगा कभी AAP पार्षद ताहिर हुसैन जैसों के विरुद्ध थाने में हत्या समेत कई धाराओं में मामला दर्ज किया जाता रहेगा । अफ़सोस है ,उत्तर पूर्वी दिल्ली में हिंसा में मरने वालों की संख्या बढ़कर 38 हो गई है।