लखनऊ (सवांददाता) सुप्रीम कोर्ट द्धारा राम मंदिर निर्माण के मामले में आज हुई सुनवाई से भाजपा सहित तमाम महंतों को उस समय निराशा हाथ लगी जब कोर्ट ने इस मामले की तरीक़ जनवरी तक के लिए बड़ा दी | इससे निराश तपस्वी छावनी के महंत परमहंस दास ने सरकार से एक महीने में कानून बनाकर राम मंदिर निर्माण करने की अपील की है और चेतावनी देते हुए कहा कि अगर ऐसा न हुआ तो हम आत्मदाह करने को मजबूर होंगे। भाजपा की केंद्र सरकार को बने हुए लगभग साढ़े चार वर्ष गुज़र चुके हैं, लेकिन अब लोकसभा चुनाव से पूर्व भाजपा फिर से राम मंदिर मामला गरमा रही हैं, ज़ाहिर हैं राम मंदिर आस्था का एक बड़ा मुद्दा बन चुका हैं | ये वो मुद्दा हैं जिसके दम पर आज भाजपा प्रचंड बहुमत से केंद्र में सरकार बनाये हुए हैं | ये अलग बात हैं कि जिस नारे के दम पर भाजपा सरकार में आई थी आज वही नारा बदल कर “सबका साथ सबका विकास” हों चुका हैं | पहले भाजपा के नेताओं से जब राम मंदिर निर्माण के सम्बन्ध में प्रश्न किया जाता था तब सभी नेता एक सुर में यही कहते हुए नज़र आते थे कि ये मामला न्यायालय में विचाराधीन हैं इसलिए न्यायालय के आदेश का इंतेज़ार कीजिये |
इस मामले में उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष ह्रदय नारायण दीक्षित ने भी उन्नाव के असोहा ग्राम में यही बात कही थी | इधर फिर क़ानून लाकर मंदिर निर्माण की आवाज़ भाजपा नेता क्यों उठा रहे हैं, ये देश की जनता खूब जानती हैं |
बहरहाल परमहंस दास ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सुलह समझौते से मामले को सुलझाने का संकेत दिया है। सरकार पूर्ण बहुमत में है। कानून बनाकर राम मंदिर का निर्माण करना चाहिए। अयोध्या के 99 फीसदी मुसलमान राम जन्मभूमि पर मंदिर चाहते हैं। उन्होंने सरकार पर जबरदस्ती आमरण अनशन तुड़वाने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा कि अब सरकार को चाहिए कि जिस तरह एससी-एसटी एक्ट पर अध्यादेश लाया गया वैसा ही अयोध्या मामले पर भी लाया जाए। उन्होंने चेतावनी दी कि छह दिसंबर को ढांचा गिराया गया था। मैं छह दिसंबर से आमरण अनशन पर बैठूंगा और अगर मुझ पर किसी भी तरह का दबाव डाला या अभद्रता की गई तो मैं आत्मदाह करने के लिए मजबूर हो जाऊंगा ।