लखनऊ, 9 मई। मध्य पूर्व में इजरायल और हमास के बीच तनाव एक बार फिर चरम पर पहुंच गया है, जिसके वैश्विक स्तर पर गंभीर परिणाम सामने आ रहे हैं। पिछले कुछ दिनों में इजरायल द्वारा गाजा पट्टी में किए गए हवाई हमलों ने स्थिति को और जटिल बना दिया है। इन हमलों में हमास के कई ठिकानों को निशाना बनाया गया, जिसके जवाब में हमास ने इजरायल की ओर रॉकेट दागे। इस हिंसा में दोनों पक्षों को भारी नुकसान हुआ है, जिसमें दर्जनों नागरिकों की मौत की खबरें हैं।
यह तनाव तब शुरू हुआ जब इजरायल ने गाजा में हमास के एक वरिष्ठ कमांडर को निशाना बनाकर हवाई हमला किया। इजरायल का दावा है कि यह कमांडर हाल के रॉकेट हमलों के लिए जिम्मेदार था। हमास ने इस हमले को “नृशंस” करार देते हुए जवाबी कार्रवाई की। इसके अलावा, यरुशलम में अल-अक्सा मस्जिद के आसपास बढ़ते तनाव और फिलिस्तीनी परिवारों को उनके घरों से बेदखल करने की घटनाओं ने भी आग में घी डाला।
वर्तमान स्थिति
पिछले 48 घंटों में इजरायल ने गाजा में 100 से अधिक हवाई हमले किए, जिनमें हमास के हथियार डिपो, सुरंग नेटवर्क, और कमांड सेंटर नष्ट किए गए। हमास ने जवाब में दक्षिणी इजरायल की ओर 200 से अधिक रॉकेट दागे, जिनमें से कई को इजरायल की आयरन डोम मिसाइल रक्षा प्रणाली ने नष्ट कर दिया। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, गाजा में कम से कम 50 लोग मारे गए हैं, जिनमें बच्चे और महिलाएं शामिल हैं। इजरायल में भी 5 नागरिकों की मौत की खबर है।
वैश्विक प्रभाव
इस तनाव का सबसे बड़ा प्रभाव वैश्विक तेल बाजार पर पड़ा है। मध्य पूर्व में अस्थिरता के कारण कच्चे तेल की कीमतों में 5% का उछाल आया है, जिससे भारत जैसे तेल आयातक देशों पर दबाव बढ़ गया है। भारत के विदेश मंत्रालय ने स्थिति पर नजर रखने के लिए एक विशेष टास्क फोर्स गठित की है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील की है।अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी इस मुद्दे पर बंटा हुआ है। अमेरिका और यूरोपीय संघ ने इजरायल के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन किया है, जबकि तुर्की, ईरान, और कई अरब देशों ने इजरायल की कार्रवाइयों की निंदा की है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने एक आपात बैठक बुलाई है, लेकिन स्थायी समाधान की संभावना कम दिख रही है।
भारत पर प्रभाव
भारत के लिए यह स्थिति इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि मध्य पूर्व उसका प्रमुख तेल आपूर्तिकर्ता क्षेत्र है। तेल कीमतों में वृद्धि से पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिसका असर महंगाई पर पड़ेगा। इसके अलावा, मध्य पूर्व में रह रहे लाखों भारतीय प्रवासियों की सुरक्षा भी चिंता का विषय है। भारत सरकार ने भारतीय दूतावासों को अलर्ट पर रखा है और जरूरत पड़ने पर निकासी की योजना तैयार की है।
आगे की राह
विश्लेषकों का मानना है कि यह तनाव जल्द कम होने की संभावना कम है, क्योंकि दोनों पक्ष अपनी स्थिति पर अड़े हुए हैं। मिस्र और कतर जैसे देश मध्यस्थता की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन अभी तक कोई ठोस प्रगति नहीं हुई है। वैश्विक समुदाय की नजर इस क्षेत्र पर टिकी है, क्योंकि इसका असर न केवल मध्य पूर्व, बल्कि पूरी दुनिया पर पड़ सकता है।