लखनऊ,1 मई। एक मई यानी मजदूर दिवस, यह दिन श्रमिकों के अधिकारों, उनके योगदान और संघर्षों को सम्मान देने के लिए समर्पित है।मजदूर दिवस की शुरुआत 1886 में अमेरिका के शिकागो में हेमार्केट आंदोलन से हुई, जब श्रमिकों ने 8 घंटे के कार्यदिवस की मांग की थी। भारत में यह पहली बार 1923 में चेन्नई में लेबर किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्तान द्वारा मनाया गया। आज यह दिन श्रमिकों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने और उनके योगदान को सम्मान देने का अवसर है।
लखनऊ, उत्तर प्रदेश और पूरे भारत में इस अवसर पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित हुए, रैलियां निकाली गईं और नेताओं ने श्रमिकों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई।
लखनऊ में मजदूर दिवस की प्रमुख गतिविधियां
लखनऊ के इंदिरा नगर, सेक्टर-सी में लेबर अड्डा पर ट्रस्ट ने “शपथ ग्रहण एवं जलपान वितरण” कार्यक्रम आयोजित किया। यह आयोजन सुबह 9 बजे शुरू हुआ, जिसमें श्रमिकों के सम्मान में उनके अधिकारों और कल्याण के लिए शपथ ली गई।
उत्तर प्रदेश कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के लखनऊ स्थित राज्य कमेटी कार्यालय में मजदूर दिवस के अवसर पर झंडा फहराया गया। यह आयोजन श्रमिक एकजुटता का प्रतीक था। यही नहीं लखनऊ के रिसालदार पार्क में शिक्षक संगठन ने मजदूर दिवस के प्रतीकात्मक अवसर पर बैठक की। 75 जिलाध्यक्षों और कार्यसमिति ने शिक्षक-श्रमिकों की मांगों को सरकार के समक्ष रखने का निर्णय लिया।
बसपा अध्यक्ष मायावती का बयान
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष वा पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने लखनऊ से मजदूर दिवस पर एक पोस्ट साझा की। उन्होंने कहा कि “आज के युग में सरकारी और गैर-सरकारी स्तर पर व्यवसायीकरण चरम पर है, जिसके कारण श्रमिकों का शोषण बढ़ रहा है। मजदूर दिवस इस शोषण के खिलाफ जागरूकता और श्रमिकों के महत्व को रेखांकित करने के लिए प्रासंगिक है।” उन्होंने देश के करोड़ों श्रमिकों को बधाई दी।
उत्तर प्रदेश सहित भारत के कई हिस्सों में ट्रेड यूनियनों और श्रमिक संगठनों ने रैलियां, सेमिनार और जागरूकता अभियान आयोजित किए। इन आयोजनों का उद्देश्य न्यूनतम वेतन, सुरक्षित कार्यस्थल और सामाजिक सुरक्षा जैसे मुद्दों पर ध्यान आकर्षित करना था।
लखनऊ के सामाजिक कार्यकर्ता कुमार सुदेश आर्य ने मजदूर दिवस पर सभी श्रमिकों को बधाई दी और उनके अधिकारों के लिए चल रही लड़ाई में समर्थन जताया। उन्होंने कहा, “मजदूरों का योगदान देश की प्रगति की नींव है।”
मोदी सरकार की योजनाओं पर जोर
कई आयोजनों में केंद्र सरकार की श्रमिक कल्याण योजनाओं जैसे ई-श्रम पोर्टल, पीएम श्रम योगी मानधन योजना (60 वर्ष की आयु के बाद ₹3000 मासिक पेंशन), और अटल पेंशन योजना का उल्लेख किया गया। इन योजनाओं का उद्देश्य असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना है।
कुछ संगठनों ने असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के सामने कम वेतन, नौकरी की असुरक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी जैसे मुद्दों को उठाया। गिग इकोनॉमी और तकनीकी बदलावों के प्रभाव पर भी चर्चा हुई।