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पुराने लखनऊ में ऐतिहासिक धार्मिक स्थल के निकट एक मकबरा कूड़े घर में तब्दील, नगर निगम मौन

ज़की भारतीय

लखनऊ, 12 जून । पुराने लखनऊ में सड़क जाम, अवैध अतिक्रमण, और कूड़े के ढेर की समस्या ने स्थानीय निवासियों का जीना मुहाल कर रखा है। नगर निगम द्वारा समय-समय पर सफाई और अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाए जा रहे हैं, लेकिन ये कार्रवाइयां अस्थायी साबित हो रही हैं। हाल ही में नगर निगम ने घुमंतू दुकानदारों और ठेलों के खिलाफ कार्रवाई की, जिसमें जोन-4, जोन-5, और जोन-6 में अवैध झुग्गी-झोपड़ियों, ठेलों, और गुमटियों को हटाया गया। जोन-4 में डिवाइन हार्ट हॉस्पिटल ओवरफ्लाई पुल के नीचे, जोन-5 में नादरगंज और अमौसी, तथा जोन-6 में पारा से आगरा एक्सप्रेस-वे तक अभियान चलाया गया, जिसमें 25 ठेले, 15 गुमटी, और 10 अस्थायी दुकानें हटाई गईं।हालांकि, ये अभियान स्थायी समाधान नहीं दे पा रहे। निवासियों का कहना है कि अभियान के बाद सड़कें और बाजार कुछ समय के लिए साफ हो जाते हैं, लेकिन धीरे-धीरे फिर से अतिक्रमण और कूड़ा जमा होने लगता है।

खासकर पुराने लखनऊ के ऐतिहासिक धार्मिक स्थल दरगाह हजरत अब्बास के निकट वजीर बाग के पास मकबरे के आसपास कूड़े के ढेर लगे हैं। मकबरे की बाउंड्री टूटी होने और सफाई कर्मचारियों की लापरवाही के कारण कूड़ा नालियों में बहाया जा रहा है या सड़क पर छोड़ दिया जाता है। स्थानीय लोगों ने बताया कि कूड़ा न उठने से गंदगी बढ़ रही है, जिससे बीमारियों का खतरा भी बढ़ रहा है।वजीर बाग के निवासियों ने नगर निगम के अधिकारियों पर लापरवाही का आरोप लगाया है। एक स्थानीय निवासी ने बताया कि उन्होंने जोनल अधिकारी से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उनका नंबर उपलब्ध नहीं होने के कारण बात नहीं हो सकी। कूड़े के ढेर और अतिक्रमण से न केवल सड़क जाम की समस्या हो रही है, बल्कि पैदल चलने वालों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।हाल ही में पुराने लखनऊ में सफाई कर्मचारियों और जोनल अधिकारी के बीच गाली-गलौज की घटना भी सामने आई है। कर्मचारियों का आरोप है कि जोनल अधिकारी मनोज यादव ने उनके साथ अभद्र व्यवहार किया। यह घटना सफाई कार्यों में लापरवाही और तनाव को दर्शाती है। विशेषज्ञों का कहना है कि नालों की सफाई जैसे खतरनाक कार्यों में गैसों के जोखिम के कारण विशेष सावधानी और प्रशिक्षित कर्मचारियों की जरूरत है, लेकिन ऐसी व्यवस्था का अभाव दिखता है।नगर निगम ने कूड़ा प्रबंधन और अन्य समस्याओं के लिए हेल्पलाइन नंबर (जैसे 1533) जारी किए हैं, जहां सफाई, जलभराव, और अतिक्रमण की शिकायत दर्ज की जा सकती है। लेकिन निवासियों का कहना है कि शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई नहीं होती। उदाहरण के लिए, इंदिरानगर में जलभराव और अवैध निर्माण की शिकायतों पर कार्रवाई में देरी और अधिकारियों द्वारा अभद्रता की शिकायतें सामने आई हैं। नगर निगम को अतिक्रमण हटाने के बाद नियमित निगरानी और पुलिस सहायता सुनिश्चित करनी चाहिए ताकि दोबारा कब्जा न हो। कूड़े का दैनिक उठान और डंपिंग साइट्स की व्यवस्था को मजबूत करना जरूरी है। कूड़ा बीनने वालों के लिए अलग स्थान निर्धारित किए जाएं। नालों और मैनहोल की सफाई के लिए प्रशिक्षित कर्मचारियों और सुरक्षात्मक उपकरणों का उपयोग अनिवार्य हो।

वजीर बाग ढाल पर स्थित मकबरे जैसे संवेदनशील स्थानों पर विशेष सफाई अभियान चलाए जाए

जोनल अधिकारियों और सफाई कर्मचारियों के बीच संवाद को बेहतर करने के लिए प्रशिक्षण और कार्यशालाएं आयोजित की जाएं। नगर निगम को चाहिए कि वह पुराने लखनऊ की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को बचाने के लिए त्वरित और स्थायी कदम उठाए। यदि समस्याओं का स्थायी समाधान नहीं किया गया, तो सड़क जाम, कूड़ा, और अतिक्रमण की समस्या शहर की छवि को और खराब कर सकती है।

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