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पढाएन की मस्जिद में हुआ जश्ने ईदे ग़दीर, निकाले गए जुलूस और आज होगी रौज़ा ए काज़मैन में महफिल

लखनऊ, 16 जून । हजरत अली अलैहिस्सलाम की विलायत के ऐलान की याद में रविवार को लखनऊ में विभिन्न धार्मिक आयोजनों के साथ उत्साहपूर्ण माहौल देखा गया। शहर के धार्मिक स्थलों पर संगोष्ठियों का आयोजन हुआ, वहीं , रौज़ा ए काज़मैन,काज़मैन रोड से एक भव्य जुलूस निकाला गया। यह जुलूस काज़मैन टापे वाली गली, मैदान एल एच खान, कश्मीरी मोहल्ला, रुस्तम नगर, और नजफ रोड होते हुए दरगाह हजरत अब्बास तक पहुंचा, जहां इसका समापन हुआ। जुलूस में शामिल लोग “नारा-ए-हैदरी” की सदाएं बुलन्द करते हुए और फूलों की बरसात करते हुए उत्साह के साथ आगे बढ़े। इस अवसर पर जगह-जगह मिठाइयां बांटी गईं, जो खुशी के इस मौके को और यादगार बनाती रहीं।जुलूस के बाद दरगाह हजरत अब्बास अलैहिस्सलाम में एक काव्य संगोष्ठी का आयोजन हुआ, जिसमें शायरों ने हजरत अली की बारगाह में अपनी रचनाएं पेश कीं। इसके अलावा, अमीनाबाद की पढ़ाएन की मस्जिद में भी अंजुमन गिरोह-ए-हुसैन की ओर से एक आलीशान जश्न का आयोजन हुआ। इस महफिल का आगाज शायर असद कर्बलई ने कुरआन की तिलावत के साथ किया। महफिल में नज़्म लखनवी, जकी भारती, आबिद नज़र, और फय्याज लखनवी जैसे प्रसिद्ध शायरों ने अपने कलाम पेश किए, जिन्हें श्रोताओं ने खूब सराहा। इसकी निजामत जकी भारती ने की, जबकि मौलाना मीसम जैदी साहब ने तकरीर के जरिए महफिल को संबोधित किया। सैकड़ों श्रद्धालु इस आयोजन में शामिल हुए और शायरों के कलाम पर जमकर दाद दी। महफिल के अंत में तबर्रुकात बांटे गए और अगले साल 18 जिलहिज्जा को होने वाले जश्न में अधिक से अधिक लोगों से शामिल होने की अपील की गई।मौलाना मीसम जैदी ने अपनी तकरीर में हजरत अली अस की विलायत के ऐलान की अहमियत पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि हज़रत पैगम्बर मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहि वा आलैहि वसल्लम ने ग़दीर-ए-खुम में हजरत अली को अपना जानशीन घोषित किया और तीन दिन तक हाजियों से उनकी बैय्यत करवाई, ताकि कोई यह न कह सके कि उसे इस ऐलान की जानकारी नहीं थी। उन्होंने बताया कि अल्लाह ने जिब्रील के माध्यम से रसूल को यह हुक्म दिया था कि विलायत का ऐलान करें, और हजरत अबू तालिब अलैहिस्सलाम ने इसकी हिफाजत का वादा किया। मौलाना ने जोर देकर कहा कि विलायत का इनकार करने वाला अल्लाह की बात का इनकार करता है, जो काफिर के समान है। उन्होंने अपनी तकरीर में कहा कि रसूलुल्लाह ने हजरत अली को न केवल अपना जानशीन बनाया, बल्कि उन्हें अपने हाथों से बुलंद कर यह ऐलान किया कि “जिसका मैं मौला, उसका अली मौला।” तीन दिन तक सवा लाख हाजियों ने हजरत अली को मुबारकबाद दी, ताकि यह संदेश स्पष्ट हो कि यह ऐलान हर किसी तक पहुंचा।आज, 16 जून को भी लखनऊ में जश्न-ए-ईद के मौके पर एक और कार्यक्रम का आयोजन होगा। यह आयोजन काज़मैन रोड पर स्थित रौज़ा ए काज़मैन में आयोजित होगा, जिसमें मौलाना मुक्तकी जैदी साहब तकरीर करेंगे। इस कार्यक्रम में भी लखनऊ के चुनिंदा शायर हज़रत अली की बारगाह में अपने कलाम पेश करेंगे। शहर के विभिन्न इबादतगाहों में इस तरह के धार्मिक आयोजन जारी रहेंगे, जो हजरत अली की विलायत के जश्न को और भव्य बनाएंगे।यह जश्न लखनऊ की सांस्कृतिक और धार्मिक एकता का प्रतीक है, जिसमें सभी समुदायों के लोग उत्साह के साथ शामिल होते हैं।

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