HomeINDIAकोरोना का ख़ात्मा तय,भारत ने इसकी दवा बनाने की दी मंज़ूरी
कोरोना का ख़ात्मा तय,भारत ने इसकी दवा बनाने की दी मंज़ूरी
लखनऊ ,संवाददाता | कोरोना वायरस से सुरक्षा के लिए कौन सा ऐसा देश है जो दवा बनाने के लिए प्रासरत नहीं है | हमको जैसे जैसे कोरोना की रिसर्च के बारे में जानकारी होती जाती है हम वैसे वैसे उसकी संपूर्ण जानकारी आप तक पहुंचते जाते हैं | आज जो जानकारी हमें प्राप्त हुई है वो भी हम अपने पाठकों तक पंहुचा रहे हैं | प्रसन्ता की बात है कि एंटीवायरल ड्रग रेमडेसिवीर के बंदरों पर टेस्ट ने बेहतर परिणाम दिए हैं। ये बंदर सार्स -कोविड -2 से इन्फेक्टेड थे। रेमडेसिवीर दवा दिए जाने के बाद उनका वायरल लोड कम हुआ और फेफड़ों की बीमारियों को भी रोकने में सहायता मिली।
पढ़िए बदरों को रेमडेसिवीर देने से क्या हुआ ?
बंदरों को रेमडेसिवीर दी गई थी, उनमें सांस से जुड़ी बीमारियों के लक्षण नहीं थे। उनके फेफड़ों को भी कम नुकसान पहुंचा था। जिनका इलाज हुआ, उनके लोअर रिस्परेटरी ट्रैक्ट में वायरल लोड्स भी कम मिले। पहली डोज के 12 घंटे बाद, दूसरे सेट के बंदरों के मुकाबले इनमें वायरल लोड 100 गुना तक कम था। तीन दिन के बाद इन बंदरों में वायरस डिटेक्ट नहीं हुआ। जबकि दूसरे ग्रुप के छह में चार में वाायरल मौजूद था।
नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के रिसर्चर्स ने क्या खोजा
नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के रिसर्चर्स ने पाया कि रेमडेसिवीर की एंटीवायरल ऐक्टिविटी ब्रॉड है। यह दवा जानवरों में सार्स -कोविड और मेर्स कोविड जैसे इन्फेक्शन को रोकने में प्रभावी रही है। रिसर्चर्स ने इन बंदरों को पहले सार्स -कोविड -2 का इंजेक्शन दिया। सार्स -कोविड -2 से ही कोविड-19 होता है। छह बंदरों के दो ग्रुप बनाए गए। एक ग्रुप को इन्फेक्शन के 12 घंटे बाद रेमडेसिवीर दी गई। इसी वक्त फेफड़ों में वायरस का प्रॉडक्शन सबसे तेज होता है। इन बंदरों का अगले छह दिन तक हर 24 घंटे पर इलाज किया गया। बंदरों को वही डोज दी गई थी, जो इंसानों को दी जाती जाती है।
भारत ने दी इस दवा को बनाने की मंज़ूरी
रिसर्चर्स का कहना है कि इलाज की यही टाइमिंग इंसानों के लिए न इस्तेमाल की जाए। क्योंकि जिस प्रजाति के बंदरों पर यह रिसर्च की गई थी, वे आमतौर पर बेहद हल्के बीमार होते हैं। रिसर्चर्स ने कहा कि नतीजे बताते हैं कि कोविड-19 के इलाज में रेमडेसिवीर का इस्तेमाल जल्द से जल्द करना चाहिए ताकि असर ज्यादा से ज्यादा हो। अभी इस दवा का ह्यूमन क्लिनिकल ट्रायल चल रहा है। भारत में इस दवा को बनाने की मंजूरी दे दी है।
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