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किसी भी समय हो सकता है पाकिस्तान पर हमला, ईंट का जवाब पत्थर से देने की कोशिश

ज़की भारतीय

लखनऊ,24 अप्रैल। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में गत दिनों हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने अटारी-वाघा बॉर्डर को बंद कर दिया और सिंधु जल समझौते को स्थगित कर दिया। यह कदम राजनयिक और रणनीतिक स्तर पर भारत की सख्त प्रतिक्रिया को दर्शाता है। बॉर्डर सील करना और समझौते स्थगित करना आमतौर पर तनावपूर्ण स्थिति में दबाव बनाने और अपनी स्थिति मजबूत करने का संकेत होता है।

सैन्य और वायुसेना की बैठकें:

पहलगाम हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) की बैठक हुई, जिसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस. जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल शामिल थे। रक्षा मंत्री ने तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ भी बैठक की। ये बैठकें संकेत देती हैं कि भारत स्थिति का आकलन कर रहा है और जवाबी कार्रवाई के लिए रणनीति तैयार कर रहा है। इसका मतलब यह नहीं है कि हमला निश्चित है, बल्कि यह दिखाता है कि भारत सभी विकल्पों पर विचार कर रहा है, जिसमें सैन्य कार्रवाई भी शामिल हो सकती है।
ये कदम भारत की ओर से एक मजबूत संदेश हैं कि वह आतंकी हमले को बर्दाश्त नहीं करेगा। यह राजनयिक, आर्थिक और सैन्य दबाव बनाने की रणनीति हो सकती है।

क्या भारत-पाकिस्तान पर हमला करने वाला है?

पहलगाम हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा के विंग ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) ने ली है। भारत ने इस हमले को पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से जोड़ा है, और कुछ नेताओं (जैसे कपिल सिब्बल) ने पाकिस्तान को आतंकवादी संगठन घोषित करने की मांग की है। भारत ने पहले भी आतंकी हमलों (जैसे 2016 उरी और 2019 पुलवामा) के जवाब में सर्जिकल स्ट्राइक (2016) और एयर स्ट्राइक (2019, बालाकोट) की हैं।संभावित कार्रवाई: कुछ रिपोर्ट्स और सोशल मीडिया पोस्ट्स में दावा किया गया है कि भारत सैन्य कार्रवाई की तैयारी कर सकता है, जैसे कि सर्जिकल स्ट्राइक या सीमित सैन्य ऑपरेशन। हालांकि, ये दावे अभी अनुमान पर आधारित हैं, और कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है कि भारत तत्काल हमला करेगा। भारत की रणनीति आमतौर पर साक्ष्य जुटाने, अंतरराष्ट्रीय समर्थन हासिल करने, और फिर कार्रवाई करने की रही है।जोखिम और विचार: बिना ठोस सबूत के या जल्दबाजी में हमला करना भारत के लिए रणनीतिक और कूटनीतिक रूप से जोखिम भरा हो सकता है। भारत अंतरराष्ट्रीय समुदाय, खासकर अमेरिका, रूस, और संयुक्त राष्ट्र जैसे मंचों पर अपनी स्थिति मजबूत करना चाहेगा। साथ ही, पाकिस्तान ने भी अपनी वायुसेना को सीमा पर तैनात किया है, जिससे तनाव बढ़ सकता है।

क्या आतंकवादी पाकिस्तानी सेना के साथ आए थे?

उपलब्ध जानकारी के अनुसार पहलगाम हमले में जहां आतंकवादियों ने पर्यटकों को निशाना बनाया वहीं पहलगाम के रहने वाले एक मुस्लिम नौजवान को उस समय मौत के घाट उतर दिया जब वो पर्यटकों को बचाने के लिए आतंकियों से भिड़ गया। इस कायराना हमले की जिम्मेदारी TRF ने ली, जो लश्कर-ए-तैयबा का हिस्सा है।
भारत ने इस हमले को पाकिस्तान प्रायोजित बताया है, लेकिन अभी तक कोई ठोस सबूत सार्वजनिक नहीं हुआ है जो यह साबित कर सके कि इस हमले में पाकिस्तानी सेना सीधे शामिल थी।

भारत ने पहले भी पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI और सेना पर आतंकी संगठनों को समर्थन देने का आरोप लगाया है। 2016 के उरी हमले में भी पाकिस्तानी सेना की संलिप्तता के सबूत मिले थे। हालांकि, पहलगाम हमले में अभी तक ऐसी कोई पुष्टि नहीं हुई है।हालांकि यह संभव है कि आतंकियों को पाकिस्तान से प्रशिक्षण, हथियार, या रसद समर्थन मिला हो, जैसा कि पहले के हमलों में देखा गया है। लेकिन सीधे सैन्य सहयोग का दावा करने के लिए और सबूतों की जरूरत होगी।

क्या भारत ने सबूत जुटाए हैं?

भारत ने पहलगाम हमले को पाकिस्तान से जोड़ा है, और विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी पुष्टि की है। कुछ सेटेलाइट रिपोर्ट्स और खुफिया जानकारी का हवाला दिया गया है, जो पाकिस्तान की संलिप्तता की ओर इशारा करती हैं। हालांकि, ये सबूत अभी सार्वजनिक रूप से विस्तृत नहीं किए गए हैं।

भारत ने पहले के हमलों (जैसे पुलवामा) में साक्ष्य जुटाकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को दिखाया था। इस बार भी भारत संभवतः खुफिया जानकारी, सेटेलाइट इमेजरी, और आतंकी संचार के इंटरसेप्ट जैसे सबूत जुटा रहा होगा। CCS की बैठक और सेना की तैयारियां इस बात का संकेत देती हैं कि भारत बिना सबूत के जल्दबाजी में कार्रवाई नहीं करेगा।क्योंकि बिना किसी ठोस सबूत के सैन्य कार्रवाई करना भारत को कूटनीतिक रूप से कमजोर कर सकता है, इससे पाकिस्तान और उसके सहयोगी (जैसे चीन) भारत को आक्रामक साबित करने की कोशिश कर सकते हैं।

क्या भारत बिना सबूत के हमला करके गलती करेगा?

भारत की सैन्य और राजनयिक नीति सावधानीपूर्वक और साक्ष्य-आधारित रही है। 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 की बालाकोट एयर स्ट्राइक में भारत ने पहले सबूत जुटाए और फिर कार्रवाई की। इस बार भी भारत संभवतः ऐसा ही करेगा। CCS की बैठक और विदेश मंत्रालय की प्रेस कॉन्फ्रेंस से पता चलता है कि भारत अपनी कार्रवाई को तर्कसंगत और अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुरूप रखना चाहता है।
बिना सबूत के हमला करने से भारत को कुछ जोखिम उठाना पड़ सकते हैं।
संयुक्त राष्ट्र और अन्य देश भारत को आक्रामक मान सकते हैं।

पाकिस्तान का जवाबी हमला

पाकिस्तान ने अपनी वायुसेना को तैनात किया है, जिससे युद्ध का खतरा बढ़ सकता है।
भारत में पहले से ही हमले को लेकर गुस्सा है, और जल्दबाजी में कार्रवाई से स्थिति और जटिल हो सकती है।भारत संभवतः सर्जिकल स्ट्राइक या सीमित सैन्य कार्रवाई जैसे विकल्पों पर विचार करेगा, लेकिन यह तभी होगा जब उसके पास पर्याप्त सबूत हों । हालांकि अंतरराष्ट्रीय समर्थन में अमेरिका या इजरायल से पीछे रहने वाला नहीं है।

निर्मल हत्या और 27 भारतीयों की मौत

22 अप्रैल 2025 को पहलगाम के बैसरन घाटी में हुए आतंकी हमले में 27 लोग मारे गए, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे। इनमें भारतीय इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) के अधिकारी मनीष रंजन, नौसेना के लेफ्टिनेंट विनय नरवाल, और वायुसेना के कॉरपोरल टेज हैलियांग शामिल थे। हमले को ‘निर्मम’ बताया गया है। इस हमले ने पूरे देश में गुस्सा पैदा किया है। कई नेताओं (जैसे सोनिया गांधी, महबूबा मुफ्ती) और समुदायों ने इसकी निंदा की है।
अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि भारत ने इस हमले के लिए पाकिस्तान की सीधी संलिप्तता के ठोस सबूत जुटाए हैं या नहीं। हालांकि, खुफिया एजेंसियां और सेटेलाइट डेटा इस दिशा में काम कर रहे हैं।

भारत हमला करेगा या नहीं?

भारत अभी सैन्य, राजनयिक, और खुफिया स्तर पर जवाबी कार्रवाई की योजना बना रहा है। सर्जिकल स्ट्राइक या एयर स्ट्राइक जैसे कदम संभव हैं, लेकिन ये सबूतों और अंतरराष्ट्रीय समर्थन पर निर्भर करेंगे। भारत जल्दबाजी में कोई गलती करने से बचेगा, क्योंकि उसकी नीति सावधानीपूर्वक रही है।आतंकियों और पाकिस्तानी सेना का संबंध: आतंकियों को पाकिस्तान से समर्थन मिलने की संभावना है, लेकिन सेना की सीधी संलिप्तता के लिए और सबूत चाहिए। भारत इस दिशा में काम कर रहा है।

सबूतों की स्थिति

भारत संभवतः सबूत जुटा रहा है, और बिना पुख्ता सबूत के बड़ा कदम उठाने से बचेगा। भारत राजनयिक दबाव (जैसे पाकिस्तान को आतंकी देश घोषित करना), आर्थिक प्रतिबंध, और सीमित सैन्य कार्रवाई जैसे विकल्पों पर विचार कर सकता है। साथ ही, वह अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अपने पक्ष में करने की कोशिश करेगा।
स्थिति संवेदनशील है, इसलिए आधिकारिक बयानों और विश्वसनीय समाचार स्रोतों पर ध्यान दें। अफवाहों और अनिश्चित दावों (जैसे सोशल मीडिया पोस्ट्स) से बचें। भारत की कार्रवाई साक्ष्य-आधारित और रणनीतिक होगी, जैसा कि उसने पहले दिखाया है।

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