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कार या मोटरसाइकिल नहीं,बॉलीवुड की कहानी चोरी: दक्षिण सिनेमा के साथ अनुचित खेल

लखनऊ,7 मई। बॉलीवुड एक बार फिर विवादों के घेरे में है, इस बार दक्षिण भारतीय सिनेमा की कहानियों की कथित चोरी को लेकर। मशहूर अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने हाल ही में एक इंटरव्यू में बॉलीवुड के कुछ निर्माताओं पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि कई हिंदी फिल्में तमिल, तेलुगु, या कन्नड़ फिल्मों की कहानियों को बिना इजाजत या क्रेडिट के उठा लेती हैं। इस बयान ने न केवल बॉलीवुड की रचनात्मकता पर सवाल उठाए, बल्कि नैतिकता और कॉपीराइट के मुद्दे को भी सामने ला दिया।बॉलीवुड में दक्षिण की फिल्मों के रीमेक का सिलसिला पुराना है। सूर्यवंशम, गजनी, और हाल की लाल सिंह चड्ढा जैसी फिल्में दक्षिण की कहानियों से प्रेरित रही हैं। लेकिन समस्या तब शुरू होती है, जब निर्माता मूल लेखकों को नजरअंदाज कर देते हैं। नवाजुद्दीन ने बताया कि कुछ निर्माता हिट दक्षिण फिल्मों की स्क्रिप्ट को मामूली बदलाव के साथ पेश करते हैं, बिना यह स्वीकार किए कि कहानी कहाँ से आई। इससे न केवल मूल रचनाकारों का अपमान होता है, बल्कि दर्शकों को भी गुमराह किया जाता है।दक्षिण भारतीय सिनेमा अपनी अनूठी कहानियों और सशक्त निर्देशन के लिए जाना जाता है। केजीएफ, पुष्पा, और कांतारा जैसी फिल्मों ने न केवल भारत, बल्कि वैश्विक दर्शकों को प्रभावित किया। इसके बावजूद, बॉलीवुड में इन कहानियों को “प्रेरणा” के नाम पर बिना क्रेडिट कॉपी करने की प्रवृत्ति बढ़ रही है। उदाहरण के लिए, हाल ही में एक हिंदी फिल्म पर तमिल फिल्म के निर्माता ने कॉपीराइट उल्लंघन का दावा किया, जिसे कानूनी रूप से निपटाया गया।

कॉपीराइट विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में कहानी की चोरी को साबित करना चुनौतीपूर्ण है। कॉपीराइट कानून विचारों को नहीं, बल्कि उनके अभिव्यक्ति के तरीके को संरक्षित करता है। इस वजह से, कई निर्माता “प्रेरित” होने का दावा कर बच निकलते हैं। लेकिन यह प्रवृत्ति बॉलीवुड की साख को ठेस पहुँचा रही है। दर्शक, खासकर ओटीटी युग में, मौलिक और प्रामाणिक कहानियाँ चाहते हैं।सोशल मीडिया पर इस मुद्दे ने दो धड़ों को जन्म दिया। कुछ लोग नवाजुद्दीन के बयान का समर्थन करते हैं, उनका मानना है कि बॉलीवुड को अपनी कहानियाँ गढ़नी चाहिए। दूसरी ओर, कुछ का कहना है कि रीमेक वैश्विक सिनेमा का हिस्सा हैं, और अगर अधिकार खरीदे जाएँ, तो इसमें गलत कुछ नहीं। फिर भी, नैतिकता का सवाल बना रहता है। क्या बॉलीवुड को दक्षिण सिनेमा के कंधों पर चढ़कर सफलता पाने की जरूरत है? नवाजुद्दीन जैसे सितारों के इस साहसिक बयान से शायद बॉलीवुड को आत्ममंथन का मौका मिले, और वह अपनी रचनात्मक जड़ों की ओर लौटे।

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