ज़की भारतीय
लखनऊ ,संवाददाता ।नागरिकता संशोधन क़ानून अगर देश की जनता के लिए उचित है तो आखिर भाजपा ने इस बिल के संसद और राजयसभा मेँ पास होने से पूर्व या पास होने के बाद इसके बारे में जनता को क्यों नहीं समझाया ? उस समय गृह मंत्री अमित शाह का टोन हिटलर जैसा प्रतीत हो रहा था | आज भाजपा CAA के प्रति जन जागृति अभियान चला रही है ,स्वय अमित शाह जनता को पर्चे वितरित करते हुए नज़र आ रहे थे ,आखिर क्यों ? क्या CAA का विरोध करने वाले सभी लोग अज्ञानी अर्थात जाहिल हैं? सिर्फ भाजपाई ही शिक्षित और समझदार हैं ? नहीं ऐसा नहीं ,क्योंकि इस क़ानून के बाद आने वाले समय के परिणाम बुद्धजीवियों को पता हैं | इस क़ानून के माध्यम से सरकार को जो भारतीय नागरिकों के प्रति स्नेह और प्यार हैं उसे नकारा नहीं जा सकता ,क्योंकि जिन भारतीय अल्पसंख्यकों पर पकिस्तान,अफगानिस्तान और बांग्लादेश मेँ अत्याचार हो रहा था हैं और वो 31 दिसम्बर 2014 से पूर्व भारत आ चुके हैं उन्हें भारत को नागरिकता दी जाएगी ,अगर इनको भारत को नागरिकता नहीं दी जाएगी तो वो अपने भारत के अलावा कहाँ जाएं ? इसलिए ये क़ानून बिलकुल उचित और सराहनीय हैं | भाजपा का ये नारा “ये क़ानून नागरिकता देने के लिए हैं किसी की नागरिकता लेने के लिए नहीं” बिलकुल उचित हैं | अब सवाल पैदा ये होता हैं कि आखिर इस क़ानून का विरोध क्यों किया जा रहा हैं ? आइये हम यहाँ पर आपको बताना चाहेंगे ,इसका विरोध क्यों किया जा रहा हैं |दरअसल 31 दिसम्बर 2014 से भारत में आए ,हिन्दू ,सिख,ईसाई ,बौद्धिष्ट ,जैन और पारसियों को भारत की नागरिकता प्रदान को जा रही हैं जबकि इसमें मुसलमानों ,दलितों और ट्रांसजेंडर को शामिल नहीं किया गया हैं ये हमारे लोकतांत्रिक देश में पहली बार कोई क़ानून बना हैं जो धर्म के आधार पर नागरिकता प्रदान कर रहा हैं जो भारतीय संविधान के आर्टिकल – 14 के विरुद्ध हैं | यही नहीं 1955 मेँ नागरिकता विधेयक के अनुसार नागरिकता पाने के लिए 11 वर्षों तक भारत मेँ रहना अनिवार्य होता था जो अब घटाकर 5 वर्ष कर दिया गया हैं | भारतीय नागरिकों को जो, किसी भी देश से अपने भारत मेँ वापसी चाहते हों उन्हें भी भारत की नागरिकता दिए जाने से या फिर भारत मेँ 5 वर्षों से रह रहे भारतियों को नागरिकता देने से किसी को भी अप्पति नहीं हो सकती लेकिन इसके लिए आखिर क़ानून बनाने की क्या आव्य्श्यकता थी ? इस क़ानून में स्पष्ट भेदभाव नज़र आ रहा हैं |क्योंकि इसमें मुसलमानों,दलितों और ट्रांस जेंडर को अलग रक्खा गया है, क्या सरकार इस बात का उत्तर देगी ? नहीं ,सरकार सिर्फ यही कहेगी ,ये नागरिकता लेने के लिए नहीं ,देने के लिए हैं | लेकिन इसी का दूसरा पहलु एनआरसी हैं ,अभी जो लोग खुद को भारतीय साबित करके भारतीय नागरिकता प्राप्त कर लेंगे उन्हें एनआरसी मेँ कुछ भी साबित नहीं करना पड़ेगा लेकिन जो इससे अलग रक्खे गए है उनके लिए एनआरसी लागू होने के बाद खुद को भारतीय साबित करने के लिए अपने भविष्य के सहारे रहना पड़ेगा | शायद यही कारण है,CAA का विरोध जारी हैं | जिन को CAA से अलग रक्खा गया है वो खूब जानते है कि आगे उनके साथ क्या होने वाला हैं | इस मामले पर ये कहना ग़लत नहीं होगा कि यदि एनआरसी लागू हुआ और CAA मेँ बदलाव ना हुआ तो वो लोग जो खुद को भारतीय साबित नहीं कर सकेंगे, वो या तो, डिटेंशन सेंटर में रहेंगे या फिर उन्हें किसी और देश जाने पर बाध्य होना पड़ेगा | सरकार ये बात सार्वजानिक करे कि अगर एनआरसी लागू हुआ तो सभी भारतीय नागरिकों को प्रमाण देना होगा या फिर अभी से एनआरसी के लिए पेश किये जाने वाले दस्तावेज़ का उल्लेख करना होगा ,जिसको आसान किया जाना भी आवश्यक होगा ,वरना CAA का विरोध जारी रहने कि संभावना हैं |
अभीतक जो लोग CAA में शामिल ही नहीं किये गए है ,वो एनआरसी में खुद को कैसे भारतीय नागरिक साबित कर सकेंगे ? आज जो CAA का विरोध हो रहा हैं उसका मुख्य कारण एनआरसी ही हैं|
अगर आज गृह मंत्री अमित शाह या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ये घोषणा कर दें कि उनकी सरकार जबतक हैं देश में एनआरसी लागू नहीं होगा तो आज ही CAA का विरोध समाप्त हो जाएगा | वरना जनता मूर्ख नहीं हैं, जो इतनी जल्दी CAA प्रकरण पर बैकफुट पर आ जाए |