HomeINDIAऑल इंडिया जश्ने- तब्लीगे -विलायते अली अ.स. का आयोजन 24 मई को

ऑल इंडिया जश्ने- तब्लीगे -विलायते अली अ.स. का आयोजन 24 मई को

 

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लखनऊ,22 मई। ऑल इंडिया जश्ने- तब्लीगे -विलायते अली अ.स. के विषय पर आधारित महफ़िल ए मक़ासिदा का आयोजन 24 मई को 8:00 बजे शब में आशूर खाना सालार जंग बहादुर, दीवान देवड़ी, औरंगाबाद में होगा। यह जश्न अंजुमन- ए- अज़ादारान -ए-शब्बीर की जानिब से मुनाक्किद किया जा रहा है। इस महफ़िल की निज़ामत जनाब ज़ाहिद क़ानपुरी साहब करेंगे। इस ख़ास मौके पर दुनिया भर के मशहूर और मारूफ़ शोअरा-ए-कराम अपनी शायरी से मोमिनीन की दिलों को मुनव्वर करेंगे। इनमें जनाब बिलाल काज़मी साहब, जिनकी शायरी में करबला की यादें झलकती हैं, जनाब शरर नक़वी साहब, जो अपने अनोखे अंदाज़ के लिए मशहूर हैं, जनाब क़िरतास करबलाई साहब, जिनके शेर करबला की त्रासदी को बयां करते हैं, और जनाब शम्स तबरेज़ साहब, जिनकी शायरी में गहराई और जज़्बात का समंदर है, शिरकत करेंगे।इसके अलावा, तकरीर के लिए डॉ. सैयद दिलशाद ज़ैदी साहब और जनाब ज़मीन मोहम्मदाबादी साहब मौजूद रहेंगे, जो विलायत-ए-अली अ.स. की अहमियत पर रौशनी डालेंगे। जनाब सादिक़ रज़ा साहब और जनाब शम्स तबरेज़ साहब भी अपनी शायरी से माहौल को रूहानी बनाएंगे। यह महफ़िल पिछले 11 सालों से लगातार आयोजित हो रही है, और इस बार यह 11वां दौर है। कमेटी ने तमाम मोमिनीन से इस महफ़िल में शिरकत की गुज़ारिश की है, ताकि यह जश्न और ज़्यादा रौनक अख्तियार कर सके। जश्न के बाद नज़र-ए-इमाम हुसैन अ.स. का भी आयोजन होगा।

तब्लीग-ए-विलायत और शिया इतिहास

शिया इतिहास में तब्लीग-ए-विलायत का विशेष महत्व है, जो हज़रत अली अ.स. की विलायत (नेतृत्व) की घोषणा से जुड़ा है। यह घटना ग़दीर-ए-ख़ुम में 18 ज़िलहिज्जा, 10 हिजरी (632 ईस्वी) को हुई, जब पैगंबर मुहम्मद स.अ.व. ने हज के बाद अल्लाह के हुक्म से हज़रत अली अ.स. को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया। पैगंबर ने कहा, “मन कुन्तु मौला फ़हाज़ा अलीयुन मौला” अर्थात “जिसका मैं मौला हूँ, उसका अली मौला है।” शिया मान्यता के अनुसार, यह अल्लाह का हुक्म था कि अली अ.स. इस्लाम के आध्यात्मिक और राजनीतिक नेतृत्व करें। इस घोषणा को तब्लीग-ए-विलायत कहा जाता है, जो शिया समुदाय के लिए एकता और मार्गदर्शन का आधार है। शिया इतिहासकारों का मानना है कि यह घटना इस्लाम की हिफाज़त और सच्चाई को कायम रखने के लिए थी। ग़दीर-ए-ख़ुम की यह घटना शिया समुदाय में जश्न-ए-तब्लीग-ए-विलायत के रूप में मनाई जाती है, जो अली अ.स. के नेतृत्व को याद करने का प्रतीक है।

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