लखनऊ, 17 जून । इजरायल और ईरान के बीच तनाव चरम पर पहुँच गया है। इजरायल द्वारा किए गए एक लक्षित हमले में ईरान के खातम अल-अंबिया सेंट्रल हेडक्वार्टर के डिप्टी कमांडर अली शादमानी शहीद हो गए। उनकी नियुक्ति चार दिन पहले ही हुई थी। इस घटना के जवाब में ईरान ने इजरायल के चार शहरों पर मिसाइल हमले किए, जिससे दोनों देशों के बीच युद्ध की आशंका और गहरा गई है।इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने बयान दिया कि यह युद्ध तब तक जारी रहेगा, जब तक ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामनाई को निशाना नहीं बनाया जाता। दूसरी ओर, ईरान ने इसे अपनी संप्रभुता पर हमला करार देते हुए जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी है।
घटना का विवरण
सूत्रों के अनुसार, इजरायल ने ‘ऑपरेशन राइजिंग लायन’ के तहत ईरान के सैन्य ठिकानों पर हमला किया, जिसमें अली शादमानी शहीद हुए। ईरान ने इसके जवाब में ‘ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस 3’ शुरू किया और तेल अवीव सहित इजरायली शहरों पर बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं। इन हमलों में इजरायल में 23 लोगों की मौत और ईरान में 224 नागरिकों के हताहत होने की खबर है।
ईरान ने हाल ही में अपने शीर्ष सैन्य नेतृत्व में बदलाव किया था। मेजर जनरल अमीर हातामी को सेना का चीफ कमांडर, मेजर जनरल सैय्यद अब्दुल रहीम मुसवी को चीफ ऑफ स्टाफ, और मेजर जनरल मोहम्मद पाकपौर को इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) का कमांडर नियुक्त किया गया। अली शादमानी की नियुक्ति भी इसी कड़ी का हिस्सा थी।
संयुक्त राष्ट्र ने दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील की है। अमेरिका और यूरोप ने इजरायल का समर्थन किया, जबकि रूस और चीन ने ईरान के साथ खड़े होने का संकेत दिया। भारत ने तटस्थ रुख अपनाते हुए शांति की वकालत की है।
ताकि निर्दोष नागरिकों की जान बचाई जा सके
लगातार हमलों से दोनों देशों में नागरिकों को भारी नुकसान हो रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह तनाव क्षेत्रीय युद्ध में बदल सकता है, जिसका असर वैश्विक अर्थव्यवस्था और ऊर्जा आपूर्ति पर पड़ सकता है।
यह संघर्ष भू राजनीतिक हितों और क्षेत्रीय प्रभुत्व की लड़ाई को दर्शाता है। दोनों पक्षों को युद्ध के बजाय कूटनीति का रास्ता अपनाना चाहिए, ताकि निर्दोष नागरिकों की जान बचाई जा सके।