लखनऊ, 12 अप्रैल। समाजवादी पार्टी (सपा) के राज्यसभा सांसद रामजी लाल सुमन के विवादित बयान को लेकर करणी सेना के आह्वान पर जबरदस्त शक्ति प्रदर्शन हुआ। इस प्रदर्शन में हजारों की संख्या में लोग शामिल हुए, जिनके हाथों में तलवारें, लाठियां, डंडे, और कुछ मामलों में बंदूकें तक देखी गईं। प्रदर्शनकारियों ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव और सांसद रामजी लाल सुमन के खिलाफ नारेबाजी की और सुमन से उनके बयान पर माफी की मांग की। इस प्रदर्शन को कुंडा से विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया की पार्टी जनसत्ता दल का भी समर्थन प्राप्त था। दूसरी ओर, स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सांसद के आवास के आसपास भारी पुलिस बल तैनात किया गया और बैरिकेडिंग की गई।
विवाद की जड़: रामजी लाल सुमन का बयान
यह पूरा विवाद 21 मार्च 2025 को रामजी लाल सुमन के राज्यसभा में दिए गए एक बयान से शुरू हुआ। सुमन ने संसद में गृह मंत्रालय के कामकाज की समीक्षा के दौरान कहा था, “भाजपा वाले कहते हैं कि मुसलमानों में बाबर का डीएनए है। तो फिर हिंदुओं में किसका डीएनए है? बाबर को कौन लाया? बाबर को भारत में इब्राहिम लोदी को हराने के लिए राणा सांगा ने बुलाया था।” उन्होंने राणा सांगा को “गद्दार” करार देते हुए कहा कि अगर मुसलमानों को बाबर का वंशज कहा जाता है, तो हिंदुओं को राणा सांगा का वंशज क्यों नहीं कहा जाता। इस बयान ने राजपूत समुदाय, विशेष रूप से करणी सेना, को आक्रोशित कर दिया, क्योंकि राणा सांगा मेवाड़ के वीर राजपूत शासक के रूप में सम्मानित हैं।
इस बयान के बाद करणी सेना ने सुमन के खिलाफ तीव्र विरोध शुरू किया। 26 मार्च 2025 को आगरा में सुमन के आवास पर करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने हमला किया, जिसमें तोड़फोड़, पथराव और पुलिस के साथ झड़प हुई। इस घटना में एक इंस्पेक्टर सहित कई पुलिसकर्मी और प्रदर्शनकारी घायल हुए। पुलिस ने लाठीचार्ज कर स्थिति को नियंत्रित किया और दो एफआईआर दर्ज कीं।
आज का प्रदर्शन: रक्त स्वाभिमान सम्मेलन
आज आगरा के गढ़ी रामी में करणी सेना ने “रक्त स्वाभिमान सम्मेलन” का आयोजन किया, जिसे राणा सांगा की जयंती के उपलक्ष्य में बताया गया। इस सम्मेलन में उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, और गुजरात से करीब 80,000 कार्यकर्ता पहुंचे, और अनुमान है कि संख्या 3 लाख तक पहुंच सकती है। प्रदर्शनकारियों ने केसरिया झंडे, तलवारें, लाठियां, डंडे, और कुछ ने बंदूकें भी लहराईं। एक युवती को भी तलवार के साथ देखा गया।
प्रदर्शन में कई कार्यकर्ता पारंपरिक तलवारें लेकर आए, जो राजपूत गौरव का प्रतीक मानी जाती हैं।
कुछ कार्यकर्ता बुलडोजर के साथ पहुंचे, जो पिछले प्रदर्शन में भी देखे गए थे।
प्रदर्शनकारी “जय श्री राम” और राणा सांगा के सम्मान में नारे लगा रहे थे। उनकी मुख्य मांग थी कि रामजी लाल सुमन अपने बयान के लिए माफी मांगें, अन्यथा वे सपा और सुमन के खिलाफ आंदोलन तेज करेंगे। करणी सेना के युवा राष्ट्रीय अध्यक्ष ओकेंद्र राणा, जो 26 मार्च के हमले के मुख्य आरोपी हैं, ने कहा, “अगर शाम 5 बजे तक माफी नहीं मांगी गई, तो हम संसद भवन तक मार्च करेंगे।” उन्होंने 2027 में सपा का बहिष्कार करने और वोट न देने की शपथ भी ली।
रघुराज प्रताप सिंह की जनसत्ता दल ने इस प्रदर्शन को समर्थन दिया, जिससे आंदोलन को और बल मिला।
सुरक्षा बल:
सांसद के आवास और शहर में 10,000 पुलिस और पीएसी जवान तैनात किए गए। चार डीसीपी, तीन एडीसीपी, 12 एसीपी, 21 थाना प्रभारी, 40 इंस्पेक्टर, 300 दरोगा, और 2,500 सिपाही सुरक्षा में लगे थे।
सुमन के आवास की ओर जाने वाले रास्तों पर 50 स्थानों पर बैरिकेडिंग की गई। सड़कों पर बड़े पत्थर और बोल्डर रखे गए। और ड्रोन के जरिए प्रदर्शन स्थल और आसपास के क्षेत्रों पर नजर रखी जा रही थी।
सांसद का आवास और आसपास का एक किलोमीटर का इलाका पूरी तरह सील कर दिया गया। मेटल डिटेक्टर और बज्र वाहन भी तैनात किए गए।
सपा और अखिलेश यादव का रुख
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इस प्रदर्शन को भाजपा से प्रायोजित बताते हुए करणी सेना पर निशाना साधा। इटावा में उन्होंने कहा, “यह सेना-वेना सब नकली है, यह सब बीजेपी वाले हैं। अगर कोई हमारे रामजी लाल सुमन या हमारे कार्यकर्ता का अपमान करेगा, तो हम उनके साथ खड़े दिखाई देंगे।” उन्होंने यह भी कहा कि सुमन के बयान को संसद की कार्यवाही से हटा दिया गया है, इसलिए यह मुद्दा अब खत्म होना चाहिए। अखिलेश ने सुमन पर हमले को उनकी दलित पहचान से जोड़ा और योगी सरकार पर कानून-व्यवस्था को लेकर सवाल उठाए।
रामजी लाल सुमन ने कहा, “मुझे किसी तरह का डर नहीं है। प्रशासन ने मेरी सुरक्षा की गारंटी ली है। करणी सेना क्या कह रही है, मुझे नहीं पता। उनके प्रदर्शन से निपटना प्रशासन का काम है।” उन्होंने अपने बयान पर स्पष्ट रुख नहीं लिया, लेकिन प्रशासन पर भरोसा जताया।
पहले की घटनाएं और संदर्भ 26 मार्च का हमला
करणी सेना ने सुमन के आवास पर बुलडोजर के साथ हमला किया था, जिसमें गाड़ियों के शीशे तोड़े गए, कुर्सियां फेंकी गईं, और पुलिस के साथ हिंसक झड़प हुई। इस घटना में ओकेंद्र राणा और अन्य कार्यकर्ता घायल हुए।
8 अप्रैल को करणी सेना ने लखनऊ में 1090 चौराहे पर प्रदर्शन किया और सुमन से माफी की मांग की।
साथ ही विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल, और सर्व हिंदू समाज ने भी राजस्थान और उत्तर प्रदेश में सुमन के बयान के खिलाफ प्रदर्शन किए। जयपुर, बीकानेर, और अजमेर में पुतला जलाया गया और सुमन की राज्यसभा सदस्यता रद्द करने की मांग की गई।