अस्करी आएंगे महफिल में, सुना है तय्यब।
चांद तारे भी तेरे घर की तरफ देखते हैं।।
लखनऊ, 16 अक्टूबर । हजरत इमाम हसन अस्करी (अ.स.) की विलादत की खुशी में हर साल की तरह इस साल भी 18 अक्टूबर 2025, शनिवार रात 8:30 बजे एक तरही महफिल ए मक़ासिदे का आग़ाज़ शायर ए अहलेबैत मरहूम मोहिब लखनवी साहब की रिहाइश गाह , सआदत गंज नियर कर्बला दियानुतुद्दौला बहादुर काज़मैन लखनऊ में होगा। जिसमें मशहूर ए मआरूफ और मुंतखब शोअरा अपने मख्सूस अंदाज़ में कलाम पेश करेंगे। तरही महफिल ए मक़ासिदे का आग़ाज़ तिलावते कलाम ए पाक से क़ारी फुरक़ान साहब करेंगे। जिसके बाद जनाब मौलाना सैयद हसन मुक्तक़ी मीसम ज़ैदी साहब अपनी तकरीर से महफिल को संबोधित करेंगे।
जिस मिसरे में शोअरा ए कराम अशआर पेश करेंगे वो है;
” मदहा ख्वा ग्यारवें रहबर की तरफ देखते हैं”
इसके काफ़िए ,खंजर ,रहबर,बेहतर और पत्थर वगैरह हैं जबकि ,”की तरफ देखते हैं” इसकी रदीफ मुक़र्रर की गई है।
इस जश्न में सभी मोमेंनीन से शिरकत की गुजारिश मरहूम मुहिब अब्बास साहब के फरजंदगान ने की है। महफिल की निजामत मशहूर शायर खुर्शीद रजा फतेहपुरी साहब करेंगे, जबकि ताहिर कानपुरी एडवोकेट को इस आयोजन का कन्वीनर नियुक्त किया गया है।
इमाम हसन अस्करी (अ.स.) की संक्षिप्त जीवनी
हजरत इमाम हसन अस्करी (अलैहिस्सलाम), 11वें इमाम और इमाम अली नक़ी (अ.स.) के फरज़ंद थे।
उनका पैदाइश दिवस 8 रबी-उस-सानी 232 हिजरी (लगभग 846 ईस्वी) को मदीना मुनव्वरा में हुआ। आपने 28 वर्ष तक उम्मत की हिदायत का फर्ज निभाया। इमाम हसन अस्करी (अ.स.) ने अपना ज़्यादातर जीवन सामर्रा (इराक) में अब्बासी ख़लीफ़ाओं की नज़रबंदी में गुज़ारा।
आप पर ख़लीफ़ा मुअतमिद ने कड़ी निगरानी रखी और आख़िर 8 रबी- उल-अव्वल 260 हिजरी (873 ईस्वी) में ज़हर देकर शहीद कर दिया गया। आपका मजार शरीफ सामर्रा में ही है, जो आज भी लाखों मोमिनों का केंद्र- ए -अक़ीदत है।



