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लोकतंत्र के आकाश पर वोट चोरी की काली घटाएं : ख़तरे में लोकतंत्र,संदेह में चुनाव आयोग
ज़की भारतीय
भारत दुनिया का एक ऐसे लोकतांत्रिक देश है, जहां हर वोट एक आवाज है, वहां हाल के वर्षों में चुनावी प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। 2025 के हरियाणा विधानसभा चुनावों में कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा किए गए वोट चोरी के खुलासे ने पूरे देश को हिला दिया है। राहुल गांधी ने दावा किया है कि भाजपा समर्थित तत्वों द्वारा सिस्टमैटिक तरीके से वोटर लिस्ट में हेराफेरी की गई, जिससे लाखों मतदाताओं के नाम काटे गए या फर्जी वोट डाले गए। यह केवल हरियाणा तक सीमित नहीं है; बिहार के आगामी चुनावों में भी समान पैटर्न सामने आया है, जहां स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) अभियान के दौरान लाखों वोटरों को वंचित करने की कोशिश की गई। सुप्रीम कोर्ट ने इन मामलों में हस्तक्षेप किया है, लेकिन सवाल यह है कि क्या न्यायपालिका के फैसलों के बावजूद चुनाव आयोग (ECI) अपनी निष्पक्षता साबित कर पा रहा है?
इस लेख में हम इन घटनाओं का विश्लेषण करेंगे, सुप्रीम कोर्ट की भूमिका को रेखांकित करेंगे और यह तर्क देंगे कि बैलेट पेपर पर लौटना ही लोकतंत्र को बचाने का एकमात्र रास्ता है। यदि चुनाव बेईमानी से जीते जाते हैं, तो लोकतंत्र की हत्या होना तय है। राहुल गांधी के खुलासे और अन्य सबूतों से साफ है कि ECI और भाजपा के बीच साठगांठ के आरोप वाजिब हैं।
आइए, गहराई से समझें। हरियाणा में वोट चोरी का काला अध्याय: राहुल गांधी का खुलासा
6 नवंबर 2025 को, हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों के ठीक बाद, राहुल गांधी ने एक वायरल वीडियो और प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से वोट चोरी का पर्दाफाश किया। उन्होंने दावा किया कि भाजपा ने EVM मशीनों और वोटर लिस्ट में हेराफेरी कर सत्ता हासिल की। सबसे चौंकाने वाला मामला एक विदेशी मूल की महिला का सामने आया, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। इस महिला को 22 अलग-अलग पोलिंग बूथों पर वोट डालते हुए कैमरे में रिकॉर्ड किया गया। वह कथित तौर पर भाजपा समर्थित एजेंट थी, जो फर्जी वोटर आईडी कार्ड्स का इस्तेमाल कर रही थी। राहुल गांधी ने कहा, “यह वोट चोरी नहीं, लोकतंत्र की हत्या है। एक व्यक्ति 22 जगह वोट डाल रहा है, और ECI चुप है।”
हरियाणा में कुल 1.2 करोड़ वोटरों में से कम से कम 5 लाख वोटरों के नाम फर्जी तरीके से जोड़े गए या काटे गए, जैसा कि कांग्रेस की RTI से सामने आया। एक रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीण इलाकों में SC/ST वोटरों के नाम विशेष रूप से निशाना बनाए गए, जो विपक्षी दलों के मजबूत वोट बैंक हैं। राहुल गांधी ने ECI को पत्र लिखकर पूर्ण जांच की मांग की, लेकिन आयोग ने अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया। यह घटना 2019 के हरियाणा चुनावों की याद दिलाती है, जब सुप्रीम कोर्ट ने एक हाई-प्रोफाइल केस में हस्तक्षेप किया था।
सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप: 2019 का ऐतिहासिक फैसला
हरियाणा के संदर्भ में सबसे महत्वपूर्ण सुप्रीम कोर्ट का फैसला 22 अक्टूबर 2019 को आया, जब कोर्ट ने हरियाणा के तोहाना विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक देवेंद्र सिंह बबली के चुनाव को रद्द कर दिया। यह केस कांग्रेस उम्मीदवार रणजीत सिंह चीनी बनाम था। चीनी ने आरोप लगाया था कि बबली ने चुनाव जीतने के लिए वोटरों को रिश्वत दी और फर्जी वोट डाले। सुप्रीम कोर्ट ने ECI को पार्टी बनाते हुए जांच के आदेश दिए। जस्टिस आरएफ नरीमन की बेंच ने सबूतों की समीक्षा की और पाया कि बबली के पक्ष में 500 से अधिक फर्जी वोट पड़े थे। कोर्ट ने कहा, “चुनावी जीत की वैधता सबूतों पर टिकी है, न कि दावों पर।”
इस फैसले ने साबित किया कि जो व्यक्ति हार गया, वह सबूतों से जीत सकता है। कोर्ट ने ECI को निर्देश दिया कि भविष्य में वोटर लिस्ट की सत्यापन प्रक्रिया को मजबूत किया जाए। 2019 के इस केस में कोर्ट ने न केवल चुनाव रद्द किया, बल्कि बबली पर 5 साल की अयोग्यता भी लगाई। यह फैसला हरियाणा के वर्तमान घोटाले के लिए मिसाल है, क्योंकि राहुल गांधी ने अपने खुलासे में इसी केस का हवाला दिया। सुप्रीम कोर्ट ने अब तक 2025 के मामले में कोई नया फैसला नहीं सुनाया, लेकिन कांग्रेस ने PIL दायर की है, जिसकी सुनवाई 15 नवंबर 2025 को निर्धारित है। कोर्ट ने अंतरिम आदेश में ECI को वोटर लिस्ट की ऑडिट करने का निर्देश दिया है।
बिहार का मामला: SIR अभियान और वोटरों का शोषण
हरियाणा की तरह बिहार में भी चुनाव से ठीक पहले वोट चोरी की साजिश रचने की कोशिश हुई। 2025 के बिहार विधानसभा चुनावों से पूर्व, ECI ने स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) अभियान चलाया, जिसका उद्देश्य वोटर लिस्ट को अपडेट करना था। लेकिन विपक्ष के आरोपों के अनुसार, यह अभियान विपक्षी वोटरों को वंचित करने का हथियार बन गया। लाखों वोटरों के नाम काट दिए गए, विशेष रूप से मुस्लिम और दलित बहुल इलाकों में। RTI से सामने आया कि 8 लाख से अधिक नाम फर्जी तरीके से हटाए गए।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में 10 सितंबर 2025 को सुनवाई की, जब RJD और कांग्रेस ने संयुक्त याचिका दायर की। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने ECI को पार्टी बनाया और कहा, “वोटर लिस्ट में हेराफेरी लोकतंत्र का अपमान है।” कोर्ट ने ECI को निर्देश दिया कि सभी प्रभावित वोटरों को तत्काल बहाली का मौका दिया जाए। न्यायपालिका ने स्वयं सबूतों की जांच की, जिसमें आधार कार्ड, वोटर आईडी और अन्य दस्तावेज शामिल थे। एक मामले में, कोर्ट ने पाया कि एक ही व्यक्ति के नाम पर 10 फर्जी एंट्रीज थीं।
बिहार में प्रथम चरण के आज हुए मतदान के दौरान शिकायतों का सिलसिला अभी जारी है। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो दिखाते हैं कि वोटर पोलिंग बूथ पर पहुंचे तो पता चला कि उनका वोट पहले ही डाल दिया गया। एक वोटर ने शिकायत की, “मेरा वोटर आईडी कार्ड दिखाया, लेकिन फोटो किसी और का था। पोलिंग ऑफिसर ने कहा, ‘आपका वोट डाल चुका है।'” ऐसे सैकड़ों केस दर्ज हुए। ECI ने अब तक सार्वजनिक स्पष्टीकरण नहीं दिया, जो संदेह को और गहरा करता है। सुप्रीम कोर्ट ने 20 अक्टूबर 2025 को एक और आदेश जारी किया, जिसमें ECI को सभी शिकायतों पर 48 घंटे में कार्रवाई करने को कहा। लेकिन व्यावहारिक रूप से, आयोग चुप्पी साधे हुए है।
चुनाव आयोग पर सवाल: निष्पक्षता की कमी और भाजपा का समर्थन
चुनाव आयोग, जो संवैधानिक संस्था है, अब विपक्ष के निशाने पर है। राहुल गांधी ने कहा, “ECI और भाजपा मिलकर वोट चोरी कर रहे हैं।” सबूतों में 2019-2025 के बीच ECI के फैसलों का पैटर्न शामिल है, जहां भाजपा को फायदा पहुंचा। सोशल मीडिया पर ECI की आलोचना बढ़ी तो रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 5 नवंबर 2025 को एक बयान जारी किया: “चुनाव आयोग पूरी तरह निष्पक्ष है, विपक्ष के आरोप राजनीतिक साजिश हैं।” भाजपा प्रवक्ताओं ने भी ECI का बचाव किया, जो संयोग नहीं लगता।
सवाल उठता है: किसी मामले को बैन करने या सुधार के लिए कितने सबूत चाहिए? यदि मतदाता संतुष्ट नहीं, राजनीतिक दल असंतुष्ट हैं, और सुप्रीम कोर्ट सवाल उठा रहा है, तो ECI सुधार क्यों नहीं कर रहा? बैलेट पेपर पर लौटने में क्या कठिनाई है? EVM की पारदर्शिता पर सवाल 2019 से हैं, जब सुप्रीम कोर्ट ने VVPAT की 100% जांच का सुझाव दिया, लेकिन ECI ने इसे सीमित रखा। बैलेट पेपर से वोट चोरी असंभव हो जाती, क्योंकि हर वोट गिनती के समय दिखता है। जनता का हक है कि चुनाव निष्पक्ष हों; बेईमानी से जीतने वाले लोकतंत्र के दुश्मन हैं।
बैलेट पेपर ही रास्ता, वरना लोकतंत्र का कत्ल तय
हरियाणा और बिहार के ये मामले साबित करते हैं कि EVM और वोटर लिस्ट हेराफेरी से लोकतंत्र खतरे में है। राहुल गांधी का खुलासा, विदेशी महिला का 22 जगह वोट डालना, SIR में लाखों नाम कटना—ये सब भ्रष्टाचार के प्रमाण हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में हरियाणा केस
(22 अक्टूबर) और 2025 में बिहार केस (10 सितंबर और 20 अक्टूबर) में मजबूत कदम उठाए, लेकिन ECI की चुप्पी चिंताजनक है। राजनाथ सिंह का बयान और भाजपा का समर्थन संदेह पैदा करता है।
यदि ऐसे ही चला, तो जो हार रहे हैं, वे जीत जाएंगे, और लोकतंत्र मर जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट को वोट चोरी के इन सबूतों को देखते हुए बैलेट पेपर लागू करने का आदेश दे देना चाहिए। अगर कोई व्यक्ति ईवीएम द्वारा विजय प्राप्त कर रहा है तो वो बैलेट पेपर से भी विजय प्राप्त कर सकता है,तो आख़िर ईवीएम को हटाए जाने पर विवाद और और हठधर्मिता क्यों ?
यह जनता का अधिकार है। वोट चोरी बंद हो, तभी भारत सच्चा लोकतंत्र बनेगा। समय है जागने का, वरना इतिहास हमें माफ नहीं करेगा।
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