लखनऊ (सवांददाता) केंद्र सरकार द्वारा सोशल मीडिया हब बनाने के प्रस्ताव के बाद लोगो ने आरोप लगाया था कि ये हब नागरिकों की ऑनलाइन गतिविधियों पर नजर रखने का हथियार बन सकता है। इस मामले को लेकर तृणमूल कांग्रेस के विधायक महुआ मोइत्रा ने उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर की थी| याची ने सरकार की इस हब अधिसूचना को वापस लिए जाने की अपील की थी, बताते चले कि आज इस मामले पर उच्चतम न्यायालय में सरकार बैकफुट पर आ गई है | सरकार का कहना है कि वो सोशल मीडिया हब बनाने के प्रस्ताव वाली अपनी अधिसूचना को वापस ले रही है|
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने केंद्र की ओर से अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल की इस दलील पर विचार किया कि अधिसूचना को वापस लिया जा रहा है। इसके बाद न्यायालय ने इसे चुनौती देने वाली याचिकाओं का निस्तारण कर दिया। वेणुगोपाल ने पीठ को बताया कि सरकार सोशल मीडिया नीति की पूरी तरह समीक्षा करेगी। उच्चतम न्यायालय ने 13 जुलाई को यह याचिका विचारार्थ स्वीकार करते हुये सरकार से कहा था कि ऐसा हब बनाने का उसका कदम क्या लोगों के व्हाट्सएप संदेशों पर नजर रखने के लिए है और उसने कहा था कि यह ‘‘सर्विलांस स्टेट’’ बनाने जैसा होगा।