लखनऊ (सवांददाता) मुख्य न्यायधीश दीपक मिश्रा ने आज सेवानिवृत्त होने से पूर्व दिए अपने विदाई भाषण में कहा कि वे लोगों को उनके इतिहास की बुनियाद पर जज नहीं करते थे , वे लोगों को जुबान रोकने के लिए भी नहीं कहते थे, ताकि वे बोल सकें। जस्टिस मिश्रा ने कहा कि मैं आपकी बात सुनूंगा और अपने तरीके से अपनी बात रखूंगा। उन्होंने कहा कि आंसू चाहें गरीब के हों या अमीर के, दोनों के बराबर हैं।
समलैंगिकता के मामले पर उनके द्धारा दिए गए फैसले के बाद से वो चर्चा में बने हुए हैं | उन्होंने कहा कि इंसाफ का चेहरा और रवैया मानवीय होना चाहिए। मिश्रा ने इस दौरान जस्टिस रंजन गोगोई की भी तारीफ की और कहा कि वे न्यायिक स्वायत्तता और गरिमा को आगे बढ़ाते रहेंगे। मिश्रा ने कहा कि ‘जस्टिस विद इक्विटी’ यानि समता के न्याय का सपना तभी साकार होगा जब सुदूर इलाके के हर व्यक्ति को न्याय मिलेगा।
चीफ जस्टिस मिश्रा ने भारत की न्यायव्यवस्था की तारीफ करते हुए कहा कि दुनिया भर में भारत कि न्यायव्यवस्था का कोई मुक़ाबला नहीं। यहां लोगों के अधिकारों को सुरक्षित रखा जाता है, ये सब जजों की वजह से ही मुमकिन है। मिश्रा ने कहा कि हमलों के बावजूद न्यायपालिका मजबूती से खड़ी हुई है।
जस्टिस रंजन गोगोई ने भी इस अवसर पर मुख्य न्यायधीश दीपक मिश्रा की सराहना की। उन्होंने कहा कि जस्टिस मिश्रा ने इंसान की आज़ादी बरक़रार रखी हैं ।