लखनऊ, 10 अक्टूबर। लखनऊ में ठोस कचरा (हार्डकल्चर वेस्ट) प्रबंधन की बदहाली चरम पर पहुंच गई है। नगर निगम (एलएमसी) को हर मोहल्ले से शिकायतें मिल रही हैं कि कूड़ा समय पर नहीं उठ रहा, जिससे सड़कों पर ढेर लग गए हैं। विकास नगर, इंदिरानगर, गोमती नगर, आशियाना, राजाजीपुरम, आलमबाग, चंद्रनगर जैसे इलाकों में कूड़े के पहाड़ से बदबू, मच्छर और स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ रही हैं। दैनिक 1500-2100 मीट्रिक टन कचरा उत्पन्न होता है, लेकिन डोर-टू-डोर कलेक्शन में 30-40% कमी है। एलएमसी ने दो कंपनियों को जिम्मेदारी दी है,लखनऊ स्वच्छ अभियान (जोन 1,3,4,6) और लायन एनवायर सर्विसेज (जोन 2,5,8)। लेकिन पेमेंट डिले से ट्रक और स्टाफ कम हैं।
नागरिकों ने कंट्रोल रूम (0522-2289764, 2289777; मोबाइल 9151055671-73) पर शिकायतें कीं, लेकिन समाधान धीमा रहा। जोनल अधिकारी जैसे राजेश सिंह (जोन-1: 9415309973) से संपर्क संभव है। आयुक्त इंद्रजीत सिंह ने कहा, “शिकायतों का तुरंत निपटारा होगा,” लेकिन फरवरी 2025 में 39 कचरा सेंटर बनाने का प्रोजेक्ट लेट हो गया। फिक्स्ड और पोर्टेबल कॉम्पैक्टर सिस्टम से कचरा क्रश कर शिवरी प्लांट भेजना था, लेकिन लापरवाही से देरी।
जून 2025 में लखनऊ को “जीरो डंप सिटी” घोषित किया गया, जहां 2100 टन कचरा रोज प्रोसेस हो रहा है। शिवरी प्लांट के तीन यूनिट चालू हैं, जो रस्सी, कोकोपीट, आरडीएफ और खाद बनाते हैं। लेकिन लोकल स्तर पर समस्या बरकरार। एनजीटी ने 2023 में 96 करोड़ का प्रोजेक्ट स्वीकृत किया, जो आईआईटी रुड़की और वीजेटीआई मुंबई मॉनिटर कर रहे हैं। पहले ज्योति एनवायरटेक और फिर इकोग्रीन फेल हुई, जिससे 19 लाख टन कचरा पहाड़ बना। अब दो-तिहाई साफ हो गया। बसपा सुप्रीमो मायावती ने रैली में सफाई पर सवाल उठाए। नागरिकों ने कहा, “कूड़े से बीमारियां फैल रही हैं, फॉगिंग और सड़क मरम्मत प्रभावित।” एलएमसी ने नंबर बदले, जिससे कन्फ्यूजन। समाधान के लिए स्रोत पर सेग्रीगेशन जरूरी, लेकिन जागरूकता कम।



