लखनऊ,5 जून । मशहूर शायर और लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व कर्मचारी मुनीर आलम मुनीर लखनवी का आज लंबी बीमारी के बाद एरा मेडिकल कॉलेज में निधन हो गया। उनकी शायरी और सलाम-नोहों ने लखनऊ के साहित्यिक और धार्मिक माहौल में गहरी छाप छोड़ी। मुनीर लखनवी अपनी मंकबत, कसीदा, और कर्बला के शहीदों को समर्पित सलाम-नोहों के लिए विशेष रूप से जाने जाते थे। उनकी रचनाएँ विभिन्न मातमी अंजुमनों और दस्तों में पढ़ी जाती थीं। मरहूम का गुस्ल व कफ़न कर्बला तालकटोरा में होगा, जिसके बाद नमाज़-ए-जनाज़ा होगी और मजलिस ए हुसैन बरपा होगी।
जिसके बाद मरहूम को सुपुर्द ए खाक किया जाएगा। फिलहाल मरहूम का जनाजा एरा मेडिकल कॉलेज से उनके निवास स्थान निवासगंज आ चुका है, और यहां से उनका जनाजा तालकटोरा कर्बला ले जाया जाएगा।मुनीर लखनवी न केवल अपनी शायरी के लिए, बल्कि अपने मिलनसार स्वभाव के लिए भी मशहूर थे। वे हर छोटे-बड़े से सलाम-आदाब के साथ मिलते थे, जिसके कारण वे सभी के दिलों में सम्मान पाते थे। अहलेबैत अस के प्रति उनकी गहरी मोहब्बत थी, और वे अपने घर पर भी मजलिसों का आयोजन बड़े शान-ओ-शौकत से करते थे। मरहूम सौम वा सलात पाबंद थे। आज हज़रत मुस्लिम अलैहिस्सलाम की शहादत की रात भी है, और इस मौके पर उनका निधन लखनऊ के साहित्यिक और धार्मिक समुदाय के लिए गहरी क्षति है। लोगों से अपील की गई है कि वे तालकटोरा कर्बला में नमाज़-ए-जनाज़ा और मजलिस में शिरकत करें और मरहूम के परिवार को इस दुख की घड़ी में सब्र और हिम्मत प्रदान करने की दुआ करें।मरहूम की तीजा की मजलिस की जानकारी बाद में साझा की जाएगी। लखनऊ की साहित्यिक और धार्मिक बिरादरी इस अपूरणीय क्षति से शोकाकुल है।