लखनऊ (सवांददाता) रुड़की रोड स्थित स्टैंडर्ड रिसोर्ट में बसपा के दो दिवसीय जिला स्तरीय कार्यकर्ता व भाईचारा सम्मेलन में आज अंतिम दिन प्रदेश अध्यक्ष आरएस कुशवाहा ने कार्यकर्ताओं से रूबरू होते हुए आगामी 2019 लोकसभा चुनाव के मद्देनज़र मायावती के मुख्यमंत्री रहने के दौरान उनके कामों के अहसानों को याद दिलाया। इसमें सर्वसमाज की हिस्सेदारी और भागीदारी की चर्चा करने के बहाने यह बताया कि किस-किस को क्या-क्या पद दिया गया। उन्होंने बसपा के ये अहसान शायद इसलिए याद दिलाये है क्योकि भाजपा के पिछड़ी जाति के प्रति बढ़ते प्रेम के कारण कही ऐसा न हो कि पिछड़ी जाती के वोट का लाभ भाजपा उठा ले जाए| उन्होंने अपने सम्बोधन में कहा कि पिछड़ी जाति के नेताओं को बसपा के शासन काल में मंत्री बनाया गया था, राज्यसभा और विधान परिषद में भी भेजा गया था।
गौर किया जाए तो उनके दोनों दिनों के भाषण में पिछड़ी जातियों को बसपा से जुड़ने की कवायद ही शामिल रही| उन्होंने अपने सम्बोधन में यह भी बताया कि पिछड़ा वर्ग आयोग बनाकर भाजपा वोट हासिल करना चाहती है, जब्कि पिछड़ों के लिए सबसे ज्यादा भलाई का काम मायावती ने किया। उन्होंने कहा कि 2007 में जिस तरह से भागीदारी रही उसी तरह से 2019 में भी ध्यान रखा जाएगा।
सम्मेलन में अनुसूचित जातियों के साथ ही पिछड़ा वर्ग व मुस्लिम समाज के लोगों की भागीदारी रही। इसमें सुरेश कश्यप, दयाराम प्रजापति, अजीत पाल, दयाराम सैन, महीपाल माजरा, दीपक राणा, शाहजहां सैफी उपस्थित रहे। संचालन प्रवेश गोलू ने किया। इस मौके पर सतपाल पेपला, डा. कमल राजसिंह, शबील, ब्रह्मजीत गौतम, जिलाध्यक्ष सुभाष प्रधान, चतर सिंह आदि उपस्थित थे।
बताते चलें कि पिछले लोकसभा चुनाव में अगर वोट का प्रतिशत देखा जाए तो उसमे बसपा सभी पार्टियों में शीर्ष स्थान पर थी, ये भी बात तय है कि बसपा का मतलब ही दलित पार्टी से है| दलितों के नाम पर जाने वाले वोटों के बारे में सभी जानते है कि वो बसपा का वोट बैंक है | कितनी ही कोशिश गैर बसपाई कर लें लेकिन बसपा के वोट बैंक को हिलाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है |