लखनऊ (संवाददाता) दंड प्रक्रिया संहिता (उत्तर प्रदेश संशोधन) विधेयक, 2018 विधान मंडल के दोनों सदनों से अभी कुछ दिनों पूर्व ही पारित हुआ था,लेकिन राज्यपाल राम नाईक ने दंड प्रक्रिया संहिता (उत्तर प्रदेश संशोधन) विधेयक, 2018 को राष्ट्रपति को संदर्भित कर दिया है। अगर राष्ट्रपति ने इसे मंजूरी दे दी तो उत्तर प्रदेश में अग्रिम जमानत की व्यवस्था करीब 42 वर्ष बाद बहाल हो सकेगी।
बताते चलें कि कांग्रेस हुकूमत में इमरजेंसी के दौरान 1976 में अग्रिम जमानत कानून की व्यवस्था समाप्त कर दी गई थी। तबसे देश के कई राज्यों में इस कानून को दुबारा लागू कर दिया गया था लेकिन, उत्तर प्रदेश में ये क़ानून दुबारा लागू नहीं हो सका । हालांकि एक बार पहले भी इसके लिए राज्य सरकार ने पहल की थी लेकिन, केंद्र से प्रस्तावित प्रस्ताव को वापस कर दिया गया था । बताते चलें कि सरकार ने प्रमुख सचिव गृह की अध्यक्षता में एक समिति बनाकर इसकी कमियों को दूर करते हुए मजबूत तैयारी की गई है ताकि इस मरतबा को इसका दुरुपयोग न कर सके। क्योंकि ये विधेयक केंद्रीय कानून को मुतासिर करता है, इसलिए इस पर राष्ट्रपति की अनुमति मिलना जरूरी है।राष्ट्रपति की मंज़ूरी मिलने के बाद ये क़ानून उत्तर प्रदेश में भी प्रभावी हो जाएगा |