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रमज़ान स्पेशल पर पढ़िए , क्या आज ही ईद -उल -फ़ित्र है ?
ज़की भारतीय
अल्लाह के खौफ के आगे क्या कोरोना का खौफ है भारी ?
वो चाँद रात में कपड़ों की खरीदारी,बाजार की चमक दमक,सिवईं और मेवों की खरीदारी ,मेहमानों की खिदमत का इंतज़ार ,बुज़ुर्गों से मिलने वाली ईदी ,दुश्मनों को भी दिल से माफ़ करने का दिन ,दिल के साथ -साथ गले लगाने का मौक़ा मेरी पूरी ज़िन्दगी में पहली मर्तबा मेरी इन आँखों ने ये मंज़र नहीं देखा | यही नहीं 3 दिनों तक मनाने वाले इस त्यौहार को मैं 3 सेकंड के लिए भी नहीं मना सका ,जिसका मुझे मलाल ज़रूर रहेगा |
कल रात मैं जब सड़क पर निकला तो सड़क पर पसरा सन्नाटा अपनी दास्ताँ बयान कर रहा था ,मेरी आँखें गुज़िश्ता बरस का मंज़र याद कर मानो रो रहा हो | जिस मार्किट और सड़क पर पैर रखने की जगह नहीं मिलती थी ,जहाँ तेज़ क़दमों से चलना महाल होता था, वहां कल रात मोटरसाईकिल से तन्हा गुज़र रहे थे |
आज रोजदारों के तन पर पुराना लिबास था, न तो उनके हाथों में दूसरे को लगाने के लिए इत्र था और न ही उनके हाथ बच्चों को ईदी बाटते दिखाई दे रहे थे | कभी सोचा भी नहीं था कि कोरोना जैसा ज़र्रे से भी निहायत छोटा वायरस , सिर्फ ईद ही नहीं बल्कि सभी मज़हब के मानने वालों कि खुशियों के दामन को ग़मों से भर देगा | सड़क पर ही नहीं आज हर घर में अजब सा सन्नाटा है ,खुशियों से दूरियां हैं चेहरों पर ग़म छलका हुआ है ,धंधे चौपट जेबें ख़ाली उसपर सोशल डिस्टेंसिंग और लॉकडाउन का पालन ,ऐसे में वो खुशियां कहाँ से लेकर आएं जो अबतक रमजान के बाद खुद नसीब होती थीं | लेकिन इंसान को इस कोरोना वायरस से भी कुछ सीखने को ज़रूर मिला है | ज़ाहिर है लोग पूछ सकते हैं कि कोरोना वायरस ने आखिर क्या सिखा दिया ? तो आपको समझना पड़ेगा कि कोरोना वायरस ने क्या सिखा दिया ? सबसे बड़ी बात जो इसने आपको सिखाई ,वो है खौफ | यही वो खौफ है जिसका अहसास अल्लाह ने अपनी पाक किताब क़ुरआन में बार-बार इंसान को करवाना चाहा है | उसने कहा तुम किसी का हक़ गज़्ब मत करो ,तुम किसी बेगुनाह पर ज़ुल्म मत करो ,ग़ीबत मत करो ,इन्साफ से काम लो, किसी मज़लूम पर ज़ुल्म मत करो ,किसी को अल्लाह का शरीक मत बनाओ ,यतीमों की सरपरस्ती करो ,खुद भी नेक रास्ते पर चलो और दूसरों को भी नेकी की हिदायत करो ,अपना अख़लाक़ अच्छा रक्खो ,तक़वा पैदा करो ,हराम चीज़ों से दूर रहा ,हलाल ग़िज़ाओं से शिकम सेर करो , तालीम हासिल करो ,अल्लाह पर यक़ीन करो लेकिन अल्लाह की तमाम बातों पर बंदा इसलिए नहीं चल रहा है ,क्योंकि उसके दिलों से खौफ रुखसत हो चुका है | हैरत की बात है ,एक अदना से वायरस के खौफ से मुसलमान भी डरा हुआ नज़र आ रहा है लेकिन उस अल्लाह का खौफ दिलों से निकल गया जिसने कहा है कि मैंने तुम्हारी नेकियों के बदले जन्नत बनाई है और तुम्हरे गुनाह के बदले दोज़ख | इस लेख लिखने का मेरा मक़सद ये है कि इंसान अपने में बदलाव लाए और अल्लाह के बताए हुए रास्तों पर चलने कि कोशिश करे ,जिससे वो दुनिया में भी अच्छा रहे और मरने के बाद अल्लाह उसे नेकियों की जज़ा दे | इंसान को दुनिया में ज़िन्दगी गुज़ारने के लिए जो इस्लाम ने तरीक़ा बताया है ,उसपर अगर इंसान चले तो वो कामयाब मौत पाएगा | कहा गया है कि दुनिया में इस तरह ज़िन्दगी बसर करो कि जब तक ज़िंदा रहो लोग तुमसे मिलने की तमन्ना करें और तुम्हारे मर जाने के बाद लोग तुम्हें याद कर के रोएं | मैं समझता हूँ कि इंसान के लिए इससे बेहतरीन मिसाल और कोई नहीं हो सकती |इस छोटी सी बात में आपके अख़लाक़ की पूरी अक़्क़ासी की गई है |
जिस तरह अल्लाह ने नमाज़ को फ़र्ज़ यानि वाजिब किया है ठीक उसी तरह से रोज़ा भी फ़र्ज़ किया गया है |एक बात आपको यहाँ बताते चलें किअल्लाह ने जो कुछ भी आप पर फ़र्ज़ किया है वो सब आप के फायदे के लिए है न कि अल्लाह पर आपका अहसान ,क्योंकि आपके सजदे रोज़े वगैरह का अल्लाह मोहताज नहीं है | रोज़े रखने से आपकी रूह मज़बूत होती है ,उसको ताक़त मिलती है |आप को भले ही ज़ोर से प्यास लगे,भूख लगे, लेकिन आपको पता है कि खाना खाने या पानी पीने से आपका रोज़ा टूट जाएगा इसलिए आप अपने नफ़्स पर काबू रखते हैं जिससे आपकी रूह में ताक़त आती है जो बहुत ज़रूरी है | बताने के लिए बातें तो बहुत हैं मगर हमारे लिए सबसे ज़रूरी है खौफ -ए- खुदा ,क्योंकि अगर खौफ रहेगा तो जिस तरह आप कोरोना वायरस से बचाओ के लिए हर वो काम कर रहे हैं जिससे आपकी जान महफूज़ रह सके ठीक वैसे ही आप अल्लाह के बताए हर उस काम को अंजाम देंगे जिससे आप दुनिया में भी कामयाब हों और आखरत में भी |
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