लखनऊ (सवांददाता) आज राजधानी के खरगापुर में सदर तहसील के नवनिर्मित भवन के उद्घाटन करने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश वासियों को घर बैठे ऑनलाइन गैर विवादित वरासत और हैसियत प्रमाणत्र बनवाने की दो बड़ी सुविधाओं की सौगात दी है । हैसियत का मूल्यांकन आयकर विभाग से मान्यता प्राप्त ‘प्राइवेट वैल्युर’ से भी कराया जा सकेगा। योगी ने इन सुविधाओं का यहां शुभारंभ कर दिया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जनता के हित के लिए अपने सम्बोधन में अधिकारीयों को कई सुझाव भी दिए |
मुख्यमंत्री ने यहां समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि डेढ़ साल पहले जब उन्होंने सरकार संभाली थी, तब कानून-व्यवस्था और संगठित अपराध से प्रदेश की पहचान का संकट था। उनकी सरकार ने ‘टीम वर्क’ के साथ काम कर संगठित अपराध और राजनीतिक संरक्षण में अराजक गतिविधि पर काफी नियंत्रण पा लिया है। पर, राजस्व विवाद और खेत-मेढ़ से जुड़े विवाद में लोगों की जान जा रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जमीनी विवाद को प्रारंभ में ही गंभीरता से लेने और तकनीक का ज्यादातर प्रयोग कर इस संकट का समाधान किया जा सकता है। उन्होंने राजस्व प्रशासन के कामकाज में तकनीक के प्रयोग को तेजी से अपनाने के लिए राजस्व परिषद के चेयरमैन प्रवीर कुमार और उनकी टीम की सराहना की। योगी ने कहा कि सरकार राजस्व प्रशासन को एक बेहतर सिस्टम और इन्फ्रास्ट्रक्चर देने का प्रयास कर रही है। नई तहसील उसी की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ऑनलाइन वरासत और ऑनलाइन हैसियत प्रमाणपत्र 20 दिन में देने की व्यवस्था की गई है। इससे लोगों को सरकारी दफ्तर का चक्कर लगाने से छुट्टी मिलेगी। आने वाले दिनों में ये प्रमाणपत्र इससे भी कम समय में देने की व्यवस्था कर दी जाएगी। उन्होंने मोहनलाल गंज के सांसद कौशल किशोर और क्षेत्रीय विधायक अविनाश त्रिवेदी द्धारा उठाई गई क्षेत्र की समस्याओं का समाधान कराने का एलान भी किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्व विभाग केवल राजस्व का ही काम नहीं करता। यहां न्यायिक कार्य भी होते है। राजस्व कर्मियों को तहसील दिवस को संपूर्ण समाधान दिवस बनाने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जमीन की कीमत बढ़ने से जमीनी वाद-विवाद भी बढ़े हैं। अपनों से धोखा खाने के बाद लोग तहसील में आपके पास आते हैं। रिश्ते से ज्यादा आप पर भरोसा लेकर आते हैं। ऐसे में राजस्व कर्मियों की फरियादियों के प्रति भूमिका बढ़ जाती है। तहसील दिवस में केवल शिकायती-पत्र लेने का ही काम नहीं होना चाहिए। अधिकतम समस्याओं का समाधान भी हो जाना चाहिए। जो मौके पर संभव न हो उसे टीम गठित कर तीन दिन में निपटाएं। इससे जन-धन हानि रोकने में मदद मिलेगी।