HomeWORLDभारत -चीन के बीच बनी सेनाएं पीछे करने पर सहमति

भारत -चीन के बीच बनी सेनाएं पीछे करने पर सहमति

लखनऊ ,संवाददाता |लद्दाख की गलवान घाटी में 15 जून को हुई खूनी झड़प के बाद भारत और चीन के बीच जारी कोर कमांडर स्तर की वार्ता के दूसरे दौर में तनाव ख़त्म करने पर आपसी सहमति बन गई है | सूत्रों के अनुसार ये जानकारी सेना ने मंगलवार को देते हुए कहा कि इस वार्ता में ईस्टर्न लद्दाख से दोनों देशों की सेनाएं पीछे हटने को तैयार हो गई हैं | मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सेना के सूत्रों ने बताया है कि दोनों देशों के बीच लेफ्टिनेंट कमांडर स्तर पर बातचीत हुई | मीडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ ये बैठक पूर्वी लद्दाख में चुशुल सेक्टर के सामने आयोजित हुई | अधिकारियों ने बताया कि सोमवार को लगभग 11 घंटे की बैठक बेहतर माहौल में आयोजित हुई है | बताते चलें कि कोर कमांडर वार्ता का पहला दौर 6 जून को आयोजित किया गया था, लेकिन 15 जून को डी-एस्केलेशन प्रक्रिया के दौरान समझौते का उल्लंघन किया गया था, जिसमें 1975 के बाद पहली बार सीमा पर हुई हिंसा में लगभग 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे |
भारतीय पक्ष का नेतृत्व लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने किया और चीन की ओर से मेजर जनरल लियू लिन के नेतृत्व में बातचीत हुई | एक ताज़ा रिपोर्ट्स के मुताबिक सेना प्रमुख मनोज नरवाना ने मंगलवार को लद्दाख का दौरा करने का फैसला किया है | यही नहीं अधिकारियों का कहना है कि आईटीबीपी पूर्वी लद्दाख में 1547 किलोमीटर एलएसी के साथ सभी 65 पेट्रोलिंग पॉइंट पर गश्त कर रही है, जिससे चीन को क्षेत्र में घुसने का कोई भी मौका न दिया जाए | यहाँ पर ये बात भी कहना आवश्यक है ,इतनी बेहतर बातचीत संपन्न होने के उपरान्त भी भारत को शायद अब भी चीन की बात पर ज़रा सा भी विश्वाश नहीं है ,शायद इसीलिए भारत, चीनी सेना के भारतीय सीमा में प्रवेश कर सकने की बात पर सतर्क है |
आईटीबीपी के साथ-साथ उत्तरी मोर्चे पर लड़ने के लिए पिछले कई सालों से प्रशिक्षित विशेष बलों को अब सीमा पर तैनात किया गया है | भारतीय माउंटेन सैनिकों को गुरिल्ला युद्ध और उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में युद्ध के लिए प्रशिक्षित किया जाता है, जैसा कि 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान देखा गया था |

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