लखनऊ (संवाददाता) लखनऊ के रौज़ा -ए-काज़मैन में कल रात 9 बजे हज़रत इमामे मूसिये काज़िम (अस) पूरी शानो शौकत के साथ मनाया गया |इमामे मूसिये काज़िम(अ.स) के जन्म दिन के अवसर पर जश्ने इमामे मूसिये काज़िम का आयोजन पूरी शानो-शौकत के साथ हुआ | इस जश्न के अवसर पर पूरे काज़मैन क्षेत्र को दुल्हन की तरह सजाया गया था, रौज़ए काज़मैन की ख़ूबसूरती तो ऐसी थी की लोग उसे देखने के लिए दूर-दूर से आ रहे थे | हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी महफ़िल का आगाज़ पवित्र ग्रन्थ कुरआन की तिलावत से क़ारी यूसुफ़ ने किया |
महफ़िल को शिया धर्मगुरु अब्बास इरशाद और मीसम ज़ैदी ने सम्बोधित किया |
अब्बास इरशाद ने अपनी तक़रीर में कहा की इमामे मूसिये काज़िम (अ.स) का मतलब होता है कि गुस्से को पी जाना |उन्होंने कहा कि एक शख्स ने इमाम से सवाल किया कि आप लोगों के वो नाम होते हैं जो और किसी के न हों ,तो आखिर आपका नाम हज़रत मूसा (अस) पर क्यों रक्खा गया | इमाम ने जवाब देते हुए कहा कि मेरा नाम उनके नाम पर नहीं है बल्कि उनका नाम मेरे नाम पर रक्खा गया था |मौलाना ने कहा कि ये अहलेबैते (अस) हैं जो अल्लाह के नूर से बने हैं,उन्होंने कहा जब दुनिया में कोई भी नहीं था तब भी ये पाक हस्तियां दुनिया में मौजूद थीं |मौलाना ने कहा जब तक चाँद कि ख़िलक़त नहीं हुई इंसान दुनिया में नहीं आया उन्होंने कहा कि जबतक सूरज कि ख़िलक़त नहीं हुई तबतक इंसान दुनिया में नहीं आया|उन्होंने कहा कि इंसान इन सब चीज़ों का मोहताज है लेकिन इमाम किसी चीज़ का मोहताज नहीं होता | उन्हों ने कहा कि इंसान आग ,हवा ,मिटटी और पानी से मिलकर बना है और अहलेबैते (अ.स) अल्लाह के नूर से बने हैं |
मौलाना मीसम ज़ैदी ने अपनी तक़रीर में कहा कि जब अल्लाह ने हज़रत आदम (अ.स) के पुतले में रूह फूंक दी और इबलीस से आदम का सजदा करने को कहा तो उसने सजदे से इंकार कर दिया ,तो अल्लाह ने कहा कि ये तो काफिरों में से था ही और अपनी बात पर ऐठ भी गया ,उन्होंने कहा कि अब पता चला कि सिर्फ अल्लाह कि बात का इंकार करने वाला ही काफिर नहीं बल्कि अल्लाह के हुक्म पर ऐठ जाने वाला भी काफिर होता है| उन्होंने कहा कि यही मामला है ऐलाने ग़दीर का ,क्योंकि हारिस ने हज़रत मोहम्मद मुस्तुफा (स.अ.व.व ) से कहा था कि विलायत हुक्म अगर आपकी तरफ से है तो कोई बात नहीं लेकिन ये हुक्म अगर अल्लाह कि तरफ से है तो मैं ये हुक्म नहीं मानता | जब उसने अज़ाब माँगा तो उसपर फौरन अज़ाब नाज़िल हुआ और वो चबाए हुए भूसे कि तरह हो गया |मौलाना की तक़रीर के बाद शायरे अहलेबैत इस महफ़िल के कन्वीनर और नाज़िम नय्यर मजीदी ने अपनी बेहतरीन निज़ामत से महफ़िल में जान डाल दी और आने वाले शायर के लिए बेहतरीन माहौल तैयार किया |उन्होंने सबसे पहले लखनऊ के शायर ज़की भारतीय को आवाज़ दी |जिन्होंने बारगाहे इमाम में मन्ज़ूम नज़रनाए अक़ीदत पेश किया और महफ़िल के लिए निकाले गए तरही मिसरे में भी अशआर पेश किये |कल की महफ़िल में ‘कलामे पाक की सूरत है नाम मूसिये काज़िम’मिसरा निकाला गया था| ज़की भारतीय के बाद सूबी सिरसिवि,फ़य्याज़ रायबरेलवी ,हसन मीरपुरी ,गुलशन बिजनौरी ,सावन हल्लौरी ,वक़ार सुल्तानपुरी ,जर्रार अकबराबादी ,शहज़ादा गुलरेज़ ,नासिर जरवली ,हसन फ़राज़ ,फरीद मुस्तुफा ,सय्यद रिज़वी ,एजाज़ ज़ैदी और तजस्सुस ऐजाज़ी ने अपना-अपना कलाम पेश किया|