130 करोड़ भारतीयों का किया 311 सांसदों ने फैसला
विधेयक के विरुद्ध सम्पूर्ण भारत में धरने- प्रदर्शन, सरकार के दोहरे रवैय्ये पर मुस्लमान नाराज़
लखनऊ(संवाददाता) | 31 दिसंबर 2014 तक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए हिंदू, बौद्ध, जैन, पारसी और इसाई समुदायों का धार्मिक उत्पीड़न हो रहा है उन्हें अब यह नहीं सहना करना पड़ेगा, क्योंकि उन्हें भारत की नागरिकता प्रदान की जाएगी | ये बात स्वय गृहमंत्री ने कही ,उन्होंने बताया कहा था , यह विधेयक भाजपा के घोषणापत्र का हिस्सा रहा है। वर्ष 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में देश के 130 करोड़ लोगों ने मोदी सरकार के नेतृत्व में इस विधेयक को मंजूरी दी थी |
हालाँकि इस प्रकरण में भले ही भारत की कुछ राजनैतिक दलों ने विरोध किया हो लेकिन जो
विरोध अमेरिकी आयोग ने दर्ज कराया है वो अपने आप में एक मिसाल है |
अमेरिकी आयोग ने इस प्रकरण को आड़े हाथों लेते हुए कहा ,नागरिकता संशोधन विधेयक गलत दिशा में खतरनाक मोड़ है | अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग ने गृहमंत्री अमित शाह पर रोक लगाने की मांग की है।
अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता के अमेरिकी फेडरल कमीशन ने गृहमंत्री अमित शाह पर रोक लगाने की बात कही है। कमीशन ने अमेरिकी सरकार से मांग की है कि यदि भारत के संसद में इस विधेयक को पारित कर दिया गया तब गृहमंत्री अमित शाह को अमेरिका में प्रतिबंधित करना ही उचित होगा ।
बताते चलें कि कल 9 दिसंबर, सोमवार को गृहमंत्री अमित शाह ने नागरिकता संशोधन विधेयक को लोकसभा में पेश किया था । सदन के 311 सदस्यों ने इसपर अपना समर्थन दिया और इसे पारित कर दिया गया। अब इसे राज्यसभा से पारित होना बाक़ी रह गया है।
जहाँ अमेरिका में इस विधेयक का विरोध किया गया तो वहीँ भारतीय विदेश मंत्रालय ने इसका जवाब देते हुए कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक पर अमेरिकी आयोग का बयान न तो सही है और न ही इसकी जरूरत थी। मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि नागरिकता विधेयक और एनआरसी किसी भी धर्म के भारतीय नागरिक से उसकी नागरिकता नहीं छीनता है। अमेरिका सहित हर देश को अपने यहां की नीतियों के तहत नागरिकता से जुड़े मुद्दे पर फैसला लेने का अधिकार है।
रवीश कुमार ने कहा, अमेरिकी आयोग की ओर से जिस तरह का बयान दिया गया है, वह हैरान नहीं करता है, क्योंकि उनका रिकॉर्ड ही ऐसा है।यहाँ पर रविश कुमार को कुछ याद दिलाना भी बहुत आवश्यक है ,अगर अमेरिका का ऐसा ही रिकार्ड है तो किस कारण ईरान से तेल न लिए जाने के अमेरिकी फरमान पर कोई आपत्ति या बयान नहीं दिया गया ?
इस मामले को लेकर असम में नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ दो छात्र संगठनों ने राज्यव्यापी बंद का आह्वान किया जिसके बाद ब्रह्मपुत्र घाटी में जनजीवन ठप हो गया । ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन और नॉर्थ ईस्ट स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइजेशन की ओर बंद का ऐलान किया गया था |
लोकसभा में पारित हो चुके नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर पूर्वोत्तर के राज्य में मंगलवार को आयोजित बंद को लेकर जनजीवन खासा प्रभावित हुआ। नार्थ ईस्ट स्टूडेंट यूनियन एनईएसओ ने इस बंद का आह्वान किया है। एनईएसओ पूर्वोत्तर में सक्रिय छात्र संगठनों का शीर्ष संगठन है। बंद का सबसे अधिक असर असम, मणिपुर, मेघालय में देखने को मिला जबकि अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम में बंद सामान्य ही रहा।
हालाँकि उत्तर प्रदेश में भी कई राजनैतिक दलों ने इस विधेयक कि जमकर आलोचना कि और कहीं तो विधेयक की प्रतियां भी जलाई गई |