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डॉ. विजयंत देवनराज: हृदय रोग विशेषज्ञ ही नहीं, मरीजों के लिए मसीहा भी

डॉ. विजयंत देवनराज: हृदय रोग विशेषज्ञ ही नहीं, मरीजों के लिए मसीहा भी

ज़की हुसैन ज़की भारतीय

लखनऊ के मैक्स हॉस्पिटल में कार्डियोथोरेसिक और वैस्कुलर सर्जरी के डायरेक्टर डॉ. विजयंत देवनराज एक ऐसे चिकित्सक हैं, जिन्होंने अपनी बेजोड़ विशेषज्ञता, अटूट मानवता, और मरीजों के प्रति संवेदनशीलता से लाखों दिलों पर राज किया है। हार्ट और लंग्स ट्रांसप्लांट के विशेषज्ञ, एमसीएच (सीटीवीएस) डिग्री धारक डॉ. विजयंत न केवल हृदय रोगों में अपनी महारत के लिए विख्यात हैं, बल्कि गरीब और असहाय मरीजों के लिए आशा की एक किरण भी हैं। यह लेख उनकी प्रेरक यात्रा, सामाजिक योगदान, और मेरे जीवन में उनके चमत्कारी कार्य की कहानी है।

उत्तर प्रदेश के टांडा ,अम्बेडकरनगर से ताल्लुक रखने वाले डॉ. विजयंत का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ। उनके पिता, एक प्रसिद्ध चेस्ट स्पेशलिस्ट, उनकी प्रेरणा बने। उनकी बहन एक कैंसर विशेषज्ञ हैं, जबकि भाई एक कुशल इंजीनियर हैं, जो परिवार की विविध प्रतिभाओं को दर्शाता है। मेरठ से मेडिकल शिक्षा का आगाज़ करने के बाद, डॉ. विजयंत ने दिल्ली में जटिल सर्जरी में अनुभव अर्जित किया। इसके बाद, लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) में उन्होंने हार्ट और लंग्स ट्रांसप्लांट में अपनी कला को निखारा। आज, मैक्स हॉस्पिटल, लखनऊ में 20 वर्षों से अधिक के अनुभव के साथ, उन्होंने हजारों बाईपास, एंजियोप्लास्टी, और ट्रांसप्लांट सर्जरी कर मरीजों को जीवनदान दिया।

मेरी जिंदगी में किया डॉक्टर विजयंत देवनराज ने चमत्कार

मैं, ज़की हुसैन ज़की भारतीय, एक पत्रकार, 98% धमनी ब्लॉकेज और 25% इजेक्शन फ्रैक्शन के साथ मौत के साये में जी रहा था। क्रोनिक ब्रॉन्काइटिस और 25% इजेक्शन फ्रैक्शन ने सांस लेना दूभर कर दिया था। लखनऊ के कई बड़े अस्पतालों—पीजीआई,एरा मेडिकल कॉलेज और लारी कार्डियोलॉजी—ने मेरी सर्जरी को असंभव बता दिया। निराशा और लापरवाही ने मेरे परिवार का हौसला तोड़ दिया। लेकिन, 98 % ब्लाकेज के बावजूद 2% की उम्मीद ने मुझे जिंदगी से जोड़े रखा।
डॉ. विजयंत ने मेरे बच्चों से मिलने के बाद पहले तो उनकी मायूसी और नाउम्मीदी के ख़ौफ़ को दूर किया बाद में उन्होंने मुझसे मिलने की इच्छा ज़ाहिर की। मैं जब दूसरे दिन उनसे मिलने गया तो उनसे मिलकर एहसास हुआ कि मैं सही जगह आया हूं। उन्होंने मुझे दूसरे दिन भर्ती किया, मेरे परिवार को ढांढस बंधाया, और हल्के-फुल्के मजाक से मेरा मनोबल बढ़ाया। उन्होंने इलाज की प्रक्रिया को पारदर्शी ढंग से समझाया और भरोसा दिलाया कि वह मेरी जान बचाने की पूरी कोशिश करेंगे। उनकी सर्जिकल कुशलता ने मुझे नया जीवन दिया। आज मैं यह लेख लिख रहा हूँ, क्योंकि डॉ. विजयंत ने असंभव को संभव कर दिखाया।

मरीजों का सच्चा हमदर्द

डॉ. विजयंत मरीजों को एक केस नहीं, बल्कि परिवार मानते हैं। उनकी आत्मीय बातचीत, सरल भाषा में जटिल प्रक्रियाएँ समझाने की कला, और हंसी-मजाक मरीजों का विश्वास जीत लेते हैं। उनकी मुस्कान मृत्यु के भय को हौसले में बदल देती है। वह गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीजों और उनके परिजनों के लिए एक मजबूत सहारा हैं। मेरे जैसे अनगिनत मरीज उनकी संवेदनशीलता के कायल हैं।

गरीबों के लिए आर्थिक सहारा

डॉ. विजयंत समझते हैं कि हृदय सर्जरी की लाखों रुपये की लागत गरीब परिवारों के लिए असहनीय है। इसलिए, वह मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष के माध्यम से आर्थिक सहायता दिलाने में अग्रणी हैं। मेरे मामले में, उन्होंने 2.5 लाख रुपये की मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से मिलने वाली सहायता में जहां अहम रुचि निभाई वहीं अस्पताल से छूट दिलाई। उनकी टीम आवेदन पत्र, मेडिकल दस्तावेज (एंजियोग्राफी, इकोकार्डियोग्राफी), और प्रक्रिया में सहायता करती है। इस कोष से 50,000 से 2.5 लाख रुपये तक की सहायता मिल सकती है, जो सीधे अस्पताल के खाते में जाती है।

सामाजिक योगदान और प्रेरणा

डॉ. विजयंत न केवल सर्जरी में माहिर हैं, बल्कि गरीब मरीजों के लिए जागरूकता फैलाने में भी सक्रिय हैं। उन्होंने कई शिविरों में मुफ्त हृदय जांच और परामर्श प्रदान किया, जिससे हजारों लोगों को समय पर इलाज मिला।
उनकी पारदर्शिता,नवीनतम तकनीकों का उपयोग और मरीजो के प्रति हमदर्दी उन्हें चिकित्सा समुदाय में एक बे मिसाल व्यक्ति बनाता है।
एक युगपुरुष डॉ. विजयंत ने हजारों मरीजों को जीवनदान दिया, जिन्हें अन्य अस्पतालों ने असाध्य घोषित किया था। मेरे जैसे मरीज उन्हें “दूसरा भगवान” मानते हैं, क्योंकि उन्होंने न केवल हमारी जान बचाई, बल्कि जीने का नया मकसद दिया। उनकी करुणा और कर्तव्यनिष्ठा मानवता में विश्वास जगाती है।
विजयंत देवनराज एक युगपुरुष हैं, जो टांडा के अकबरपुर से निकलकर मेरठ, दिल्ली, KGMU, और मैक्स हॉस्पिटल तक एक प्रेरक यात्रा तय कर चुके हैं। उनकी मानवता, विशेषज्ञता, और सामाजिक योगदान चिकित्सा जगत में मिसाल हैं। मैं उनकी कृतज्ञता में यह लेख लिख रहा हूँ, जो उनकी महानता का छोटा-सा आभार है।उनकी प्रशंसा के लिए मेरे पास वो शब्द ही नहीं जिन्हें उनकी शान में रख सकूं।

 

लेखक : ज़की भारतीय

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