लखनऊ (सवांददाता) लोकसभा चुनाव समय से पहले करवाए जाने की सभी अटकलों पर आज पानी फिर गया हैं क्योकि राजनैतिक पार्टियों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा निरंतर रैलियों और शिलन्यास करने से अनुमान होने लगा था कि मोदी चुनाव जल्दी करने के मूड में हैं|लेकिन आज मिली खबर के अनुसार ऐसा हो पाना सम्भव नहीं है। इसके पीछे वजह बताई जा रही है कि चुनाव के लिए वीवीपैट समय पर उपलब्ध नहीं हो सकेगा। इसलिए अब महसूस हो रहा है कि चुनाव समय से पहले कराना मुश्किल है| एक अंग्रेजी अखबार की खबर के मुताबिक उन्होंने यह जानकारी सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत हासिल की है। चुनाव आयोग ने पिछले साल सितंबर में दो कंपनियों को वीवीपैट, बैलेट यूनिट और कंट्रोल यूनिट तैयार करने को कहा था। इस ऑर्डर की डिलीवरी इसी साल सितंबर तक होनी थी, लेकिन ये कंपनियां इस समय इस ऑर्डर को तैयार कर पाने में नाकाम हो गई हैं। जानकारी के मुताबिक 19 जून तक सिर्फ 22 फीसदी वीवीपैट की ही आपूर्ति की गई है। ऐसी स्थिति में बाकी बचे वीवीपैट की डिलीवरी में देरी होना तय है। बताते चले कि वीवीपैट (वोटर वेरिफाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल) मशीन इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से जुड़ी होती हैं। वीवीपैट में एक मतदाता द्वारा वोट डालने के बाद उम्मीदवार का नाम और जिस पार्टी के पक्ष में उसने वोट डाला है उसके चुनाव चिह्न की पर्ची निकलती है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मुख्य चुनाव आयुक्त ने स्वीकार किया है कि वीवीपैट और ईवीएम की डिलीवरी में देरी हुई है। लेकिन साथ ही उन्होंने कहा कि नवंबर तक बाकी बचे वीवीपैट मशीनें मिल जाएंगी। उन्होंने कहा कि डिलीवरी में केवल डेढ़ महीने की देरी होगी। मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि दो कंपनियों को आपूर्ति के लिए ऑर्डर दिया गया था। इनमें से एक कंपनी सात नवंबर और दूसरी कंपनी 15 नवंबर तक मशीनों की आपूर्ति कर देगी। पिछले साल नवंबर में तत्कालीन मुख्य चुनाव आयुक्त अचल कुमार ज्योति ने कहा था कि निर्वाचन आयोग को सितंबर 2018 तक 40 लाख वीवीपैट मशीनें और ईवीएम मिल जाएंगी, जिनका इस्तेमाल 2019 के आम चुनावों में होगा। केंद्र सरकार ने निर्वाचन आयोग को 40 लाख मशीनें खरीदने के लिए पांच हजार करोड़ रुपये मंजूर किए हैं। उन्होंने कहा था, “2019 के चुनावों के लिए हमें 23 लाख से ज्यादा ईवीएम और 16 लाख वीवीपैट मशीनों की जरूरत पड़ेगी|