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इलाहाबाद हाईकोर्ट में हुई याचिका से बिल्डरों और भवन स्वामियों को लग सकता है बड़ा झटका
ज़की भारतीय
लखनऊ | अगर आप ट्रेन या बस में बिना टिकट यात्रा कर रहे हों और आप पकडे जाएं तो आपको जेल नहीं भेजा जाता ,बल्कि पहले आपसे पेनाल्टी वसूली जाती है | यदि आप पेनाल्टी अदा नहीं करते तो आपको ऐसी स्थित में दंड के तौर पर जेल भेजा जा सकता है | जितने भी ऐसे सरकारी मामले होतें हैं उनमे पहले आर्थिक दंड वसूलने का प्राविधान है और आर्थिक दंड अदा न करने की दशा में सज़ा के तौर पर कारागार भेजा जाता है | बिजली का बिल समय सीमा के अंतर्गत जमा न करने वालों पर ब्याज लगाया जाता है ,बैंकों के लोन की किस्तों में देरी करने वालों को नोटिस भेजा जाता है , ब्याज दर में वृद्धि कर दी जाती है ,यदि कोई बैंक का ऋणदाता ब्याज दर के साथ बैंक का संपूर्ण धन जमा कर देता है तो उसे जेल नहीं भेजा जाता बल्कि उसे अनापत्ति प्रमाण पत्र दिया जाता है | ये सहूलियत आरबीआई द्वारा दी गई है | ऐसे अनगिनत मामले हैं जिसमे सरकार द्वारा ग़लती को सुधारने के लिए लोगों को अवसर प्रदान किये गए हैं | ठीक इसी तरह अगर कोई व्यक्ति बिना एलडीए की इजाज़त के भवन बनाता है तो उससे कम्पाउंडिंग शुल्क लेकर उसके भवन को सही मान लिया जाता है | ये सहूलियत भी और मामलों की तरह लोगों को प्रदान की गई है ,लेकिन इसमें जो नया मोड़ आने वाला है उस मोड़ पर इलाहाबाद हाईकोर्ट को गहन चिंतन करने के बाद ही कोई फैसला देना होगा ,वरना इस कम्पाउंडिंग फीस पर अगर पाबन्दी लगी तो जहाँ सरकार को हानि होगी वहीँ जनता को दी जाने वाली सहूलियत उससे छीन ली जाएगी |
दरअस्ल इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई करते हुए किसी भी अवैध निर्माण को नियमित करने की कम्पाउंडिंग स्कीम 2020 को सही नहीं माना है | कोर्ट ने तत्काल प्रभाव से इस योजना को लागू करने पर रोक लगा दी है | कोर्ट ने राज्य सरकार सहित और विकास प्राधिकरणों को इस नई योजना पर अमल न करने का निर्देश दिया है | कोर्ट ने साथ ही कहा है कि यह योजना प्रथमदृष्टया अर्बन प्लानिंग एंड डेवलपमेंट एक्ट के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए अवैध निर्माणों को नियमित करने के उद्देश्य से बनाई गई है | यह आदेश जस्टिस अश्वनी कुमार मिश्र ने शाहजहांपुर के मेहर खान अंसारी की याचिका पर दिया है |
कोर्ट की माने तो कोर्ट ने कहा है कि ये योजना अवैध निर्माणों को नियमित करने के लिए बनायीं गयी है |
इसके लिए कोर्ट ने अर्बन प्लानिंग एंड डेवलपमेंट एक्ट का भी हवाला दिया है | हालाँकि सवाल ये है कि क्या नियमित करने का शुल्क नहीं लिया जाएगा ? जब नियमित करने का शुल्क लिया जाएगा, तो फिर गैर क़ानूनी ढंग से निर्मित भवन को नियमित क्यों नहीं किया जा सकता? जो व्यक्ति अपने भवन का मानचित्र एलडीए से स्वीकृत करवाकर घर बनवाता है ,वो भी चार्जेस जमा करता है और अगर कोई बिना स्वीकृत मानचित्र के घर बनवाता है तो उससे भी कम्पाउंडिंग चार्जेस लिया जाए तो शायद ग़लत नहीं |
डालिये एक नज़र इसपर भी
योजना के क्लाज चार में कहा गया है कि 300 वर्गगज के निर्माण में पहले से अनुमन्य कम्पाउंडिंग के अतिरिक्त 20 प्रतिशत और अवैध निर्माण को कम्पाउंडिंग के दायरे में ला दिया गया | इसी तरह रियर शेड बैक का पूरा अवैध निर्माण और फ्रंट का 50 प्रतिशत कम्पाउंडिंग के लिए मंजूर कर लिया गया | ग्रुप हाउसिंग में 15 प्रतिशत तक अतिरिक्त निर्माण की छूट, व्यवसायिक और मल्टीस्टोरी बिल्डिंग तथा अन्य निर्माणों में बाईलॉज का उल्लंघन करते हुए अवैध निर्माणों को (जिनकी कंपाउडिंग एक्ट में भी मान्य नहीं है) इस नई योजना से कम्पाउंडिंग के दायरे में ला दिया गया |
हालाँकि हाईकोर्ट ने अपर मुख्य सचिव (शहरी विकास) से इस मामले में 20 अक्टूबर तक हलफनामा मांगा है | कोर्ट ने कहा कि राज्य के अधिकारियों से अपेक्षा है कि अवैध निर्माणों को रोकेंगे, न कि उन्हें बढ़ावा देंगे | कोर्ट ने कहा कि ऐसी योजनाएं उन ईमानदार लोगों को हताश करने वाली हैं जो नियमों का पालन कर निर्माण की अनुमति लेकर कानून के तहत भवन बनवाते हैं | ऐसे लोगों को नियमों का सख्ती से पालन करने के लिए बाध्य भी किया जाता है, जबकि भवन निर्माण कानून का उल्लंघन कर बिल्डिंग बनाने वालों को और अधिक अवैध निर्माण की छूट दी जा रही है |
कोर्ट का यह आदेश नियम के विपरीत निर्माण कराने के बाद में कम्पाउंडिंग फीस देकर उसे वैध कराने वाले बिल्डरों और भवन स्वामियों के लिए बड़ा झटका है | कोर्ट ने कहा कि सुनियोजित विकास से सिर्फ इस आधार पर समझौता नहीं किया जा सकता कि अवैध निर्माणों में बड़ी संख्या में प्राइवेट पूंजी का निवेश किया गया है | साथ ही राज्य के अधिकारी ऐसी योजना नहीं बना सकते, जो कानून के प्रावधानों के विपरीत हो | कोर्ट ने कहा कि इस नियम को लागू करने की अनुमति देने से अर्बन प्लानिंग एंड डेवलपमेंट एक्ट के लक्ष्य और उद्देश्य दोनों को हानि होगी |
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