लखनऊ, 15 मई । लखनऊ में “जश्ने इमाम मूसा काज़िम (अ.स.)” के विषय पर आधारित आल इंडिया महफिल ए मक़ासिदे का आयोजन होने जा रहा है, जो 24 मई 2025 को रात 9 बजे काज़मैन रोड, लखनऊ में रौज़ा-ए-काज़मैन में होगा। इस आयोजन को इमाम मूसा काज़िम अकादमी, काज़मैन रोड, लखनऊ द्वारा आयोजित किया जा रहा है। इस महफिल की तैयारियों के लिए आज 15 मई को लखनऊ में एक बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें शहर के विभिन्न गणमान्य व्यक्तियों और कमेटी के सदस्यों ने शिरकत की। इस बैठक में तय किया गया कि इस महफिल को भव्य और कामयाब बनाने के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा, जिसमें श्रोताओं को ज्यादा से ज्यादा शामिल करने के लिए व्यक्तिगत रूप से निमंत्रण दिया जाएगा। इस आयोजन में कई मक़ामी वा बेरुनी शायर शिरकत करेंगे, जिनमें सरवर नवाब, जर्रार अकबराबादी, नासिर जरवली, जावेद बरकी, फिदवी नकवी, फरीद मुस्तफा, शान आबिदी, ताहिर एडवोकेट, ज़की भरती, आबिद नज़र, असद नसीराबादी, अज़ादार अज़मी, खुश्नूद मुस्तफा, मेयार जरवली, ज़िया काज़िम तक़वी, मीर हिलाल रिज़वी, आरिफ अकबराबादी, फैज़ान लखनवी, अली लखनवी, असर नसीराबादी, आमिर वारसी, यूनुस आब्बास, और वसी मोहानी शामिल हैं। ये सभी शायर अपनी भावपूर्ण और धार्मिक रचनाओं से महफिल को रौशन करेंगे।इस जश्ने इमाम मूसा काज़िम (अ.स.) की महफिल में कई अन्य महत्वपूर्ण व्यक्तियों की भी भागीदारी होगी। तिलावत की जिम्मेदारी जनाब कारी फुरकान मिर्ज़ा को दी गई है।
इस आल इंडिया जश्न ए मुसिये काज़िम अस की अध्यक्षता धर्मगुरु शौज़ब काज़िम जरवली साहब करेंगे, शौज़ब काज़िम जरवली विश्विख्यात धर्मगुरु ताहिर जरवली साहब के बेटे हैं जो खुद भी एक सम्मानित और विद्वान् हैं धर्मगुरु, सैफ आब्बास नकवी और प्रो. अनवर हुसैन रिज़वी महफिल को संबोधित करेंगे। जबकि गुलरेज़ नकी इस आयोजन को संचालित करेंगे। खुर्शीद फतेहपुरी इस महफिल की कन्वेनर की भूमिका निभाएंगे, जबकि जॉइंट कन्वेनर की जिम्मेदारी जावेद रज़ा साहब को सौंपी गई है। इसके अलावा, बेरुनी शायर भी इस महफिल में शिरकत कर रहे हैं, जिनमें मौलाना वा शायर फ़राज़ वास्ती,ताज कानपुरी, मेराज मंगलोरी, नायाब हल्लौरी, मसरूर मोहम्दाबादी,मंसब तारागढ़ी और सावन हल्लौरी जैसे शायरों के भी नाम है। साथ ही, धर्मगुरु वा कवि फराज़ वास्ती की उपस्थिति इस महफिल को और भी यादगार बनाएगी। इस आयोजन में शामिल होने वाले सभी शायरों और मेहमानों का स्वागत बड़े उत्साह के साथ किया जाएगा, ताकि यह महफिल एक ऐतिहासिक और आध्यात्मिक अनुभव बन सके।
बैठक में कमेटी के सदस्यों ने यह भी तय किया कि इस आयोजन में अक़ीदतमंदो की अधिकतम भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए व्यक्तिगत निमंत्रण प्रणाली अपनाई जाएगी। हर एक व्यक्ति से संपर्क करके उन्हें इस महफिल में शामिल होने के लिए प्रेरित किया जाएगा, ताकि यह आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि सामाजिक एकता के लिहाज से भी सफल हो। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य इमाम मूसा काज़िम (अ.स.) की शिक्षाओं को याद करना और उनके संदेश को जन-जन तक पहुंचाना है।यह महफिल न केवल एक कवि संगोष्ठी होगी, बल्कि एक ऐसा मंच भी होगा जहां लोग धार्मिक और आध्यात्मिक भावनाओं को साझा कर सकेंगे। आयोजकों का मानना है कि इस तरह के आयोजन से न केवल धार्मिक एकता को बढ़ावा मिलता है, बल्कि समाज में सकारात्मकता और भाईचारे का संदेश भी फैलता है।
महफिल के बाद लॉटरी द्वारा मौजूद अकीदतमंदों के मध्य पुरस्कार भी निकाले जाएंगे।
इमाम मूसा काज़िम (अ.स.) की संक्षिप्त जानकारी
इमाम मूसा काज़िम (अ.स.) शिया संप्रदाय के सातवें इमाम थे। इनके पिता का नाम इमाम जाफर सादिक (अ.स.) था। इनका जन्म मदीना, सऊदी अरब (7 सफर 128 हिजरी, 745 ईस्वी)को हुआ था ।जेल में कठोर यातनाओं के बावजूद उन्होंने इस्लाम की शिक्षाएं फैलाईं। उनकी सब्र और इल्म की मिसाल दी जाती है। उन्होंने सब्र, ज्ञान, और इंसानियत की राह दिखाई, लोगों को एकजुट रहने और अत्याचार का विरोध करने की सीख दी।
25 रजब 183 हिजरी (799 ईस्वी) को बगदाद, इराक में इमाम की शहादत हुई। उस दौर के खलीफा हारुन रशीद ने उन्हें जहर देकर शहीद किया।