लखनऊ, संवाददाता | उत्तर प्रदेश में शिक्षकों की कमी को पूरा करने के लिए अब हर वर्ष अध्यापकों की भर्ती की जाएगी | इसके लिए शिक्षा विभाग अपना वार्षिक कैलेंडर बनाएगा और अगले 5 साल में सेवानिवृत्त होने वाले शिक्षकों और शिक्षणेतर कर्मचारियों का डेटाबेस तैयार करने के बाद भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी | उत्तर प्रदेश में नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के लिए शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया को और मजबूत बनाया जाएगा | लिखित परीक्षा और साक्षात्कार के साथ शिक्षण के कौशल का भी आकलन होगा, इसके लिए मानव संपदा पोर्टल की मदद ली जाएगी | जिसके माध्यम से 2025 तक होने वाली शिक्षकों और शिक्षणेतर कर्मचारियों की रिक्तियों की गणना जून 2021 तक कर ली जाएगी | शिक्षकों के कैरियर प्रबंधन हेतु प्रदर्शन के मूल्यांकन के लिए राष्ट्रीय व्यावसायिक मानक तय किए जाएंगे | राष्ट्रीय व्यावसायिक मानक पूरे सेवाकाल में शिक्षकों के कार्यक्रम भी डिजाइन करेंगे | इसी मूल्यांकन के आधार पर शिक्षकों की वेतन वृद्धि ,पदोन्नति और अन्य लाभ और प्रोत्साहन तय किये जाएगा | अब माध्यमिक विद्यार्थियों में पाठ्यक्रम की प्लानिंग पर विशेष जोर दिया जाएगा | शैक्षिक सत्र में अधिकतम 32 माह के सप्ताहिक टीचिंग प्लान के आधार पर तीन भागों में पाठ्यक्रम तैयार किया जाएगा ,पहला भाग कक्षा में पढ़ाया जाएगा ,दूसरा भाग डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से पढ़ाया जाएगा और तीसरा भाग प्रोजेक्ट के माध्यम से कराया जाएगा | राष्ट्रीय शिक्षा नीति में आलोचनात्मक चिंतन चर्चा और विश्लेषण आधारित अधिगम पर जोर दिया गया है | सभी स्तरों पर समसामयिक विषयों को पाठ्यक्रमों में शामिल किया जाएगा | इसे 2022 से कक्षा आठ और कक्षा 9 से लागू किया जाएगा |