लखनऊ (सवांददाता) 2जी,3जी और 4जी के बाद अब जल्द ही 5जी मोबाइल तकनीक का खाका ज़मीन पर बहुत जल्द ही उतरने वाला है| जी हां ये कोई सपना नहीं बल्कि एक ऐसी हक़ीक़त है जो बहुत जल्द ही साकार होने वाली है| क्योकि स्टियरिंग कमेटी की माने तो जहाँ अगली पीढ़ी की वायरलेस सेवाओं को जल्द रफ्तार देने के लिए दिसंबर तक 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी का सरकार को सुझाव दिया गया है वहीँ कहा गया है कि 5जी से देश पर 10 खरब डालर से अधिक का आर्थिक प्रभाव पड़ने की संभावना है। भारत में 5जी मोबाइल तकनीक का रोडमैप भी दिसंबर तक तैयार हो जायेगा|
रिपोर्ट में कमेटी ने देश में 5जी सेवाओं की शुरुआत और विस्तार के लिए स्पेक्ट्रम की नीति, नियम, शिक्षण और मानकों के बाबत व्यापक सिफारिशें की है। समिति ने 5जी स्पेक्ट्रम आवंटन का जो त्रिस्तरीय तरीका भी सुझाया है जिसके अनुसार वायरलेस एक्सेस के लिए 4 गीगाहर्त्ज से नीचे 405 मेगाहर्त्ज के साथ 137 मेगाहर्त्ज तथा 45 गीगाहर्त्ज से नीचे 5.25 गीगाहर्त्ज के साथ 8.3 गीगाहर्त्ज के कुल लाइसेंसी स्पेक्ट्रम दिए जाने चाहिए। जबकि बैकहॉल के लिए 57-86 गीगाहर्त्ज बैंड में 14 गीगाहर्त्ज के गैर लाइसेंसी एवं 10 गीगाहर्त्ज के हल्के लाइसेंसी स्पेक्ट्रम आवंटित करना उचित रहेगा। दूसरी ओर वाईफाई के बारे में समिति ने आउटडोर इस्तेमाल के लिए 5 गीगाहर्त्ज बैंड में अतिरिक्त गैरलाइसेंसी स्पेक्ट्रम बैंड खोलने का सुझाव दिया है।
कमेटी के प्रेजिडेंट प्रो. एजे पॉलराज ने कहा कि 5जी से जबरदस्त अवसर हैं। यह समाज के लिए परिवर्तनकारी साबित होगा। इससे न केवल देश आगे बढ़ेगा, बल्कि समाज के कमजोर वर्गो की प्रगति भी मिलेगी।
उन्होंने आशा व्यक्त कि 5जी को 2020 के आसपास व्यापारिक तौर पर लांच किया जा सकेगा। स्टियरिंग कमेटी ने 5जी स्पेक्ट्रम तकनीक से संबंधित बुनियादी ढांचे के बारे में सुझाव देने के लिए एक पांच वर्ष के कार्यकाल वाली एक संवैधानिक समिति के गठन का सुझाव भी दिया है।